China seeks Indian Help to save the world!!
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https://www.foxnews.com/world/taiwan-who-china-coronavirus-warnings
https://www.hindustantimes.com/india-news/coronavirus-outbreak-in-phone-call-with-s-jaishankar-china-makes-a-request-on-covid-19/story-EnVHkTnK1bXFGCHR8XgZGP.html
https://timesofindia.indiatimes.com/india/india-china-discuss-joint-covid-19-fight/articleshow/74801803.cms
https://www.news18.com/news/world/china-still-withholding-coronavirus-information-says-pompeo-2549877.html
https://www.forbes.com/sites/brendanahern/2020/03/13/china-market-update-chinese-investors-buy-stocks-while-foreigners-flee/#6400a9b07b03
जैसा की आपको पता है, आज पूरी दुनिया पर घोर संकट के बादल छाए हुए हैं. इसी पृष्ठ्भूमि में कल भारत और चीन के विदेश मंत्रीओ ने बातचीत की.
इस फ़ोन कॉल के बाद भारत के विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, की इस आपदा से कैसे साथ मिलकर निपटा जाये, इस बारे में दोनों नेताओं ने बातचीत की. साथ ही उन्होंने यह भी साफ़ कर दिया, की वैश्विक चुनौती का सामना वैश्विक सहयोग से किया जाना चाहिए.
फिर आया चीन के विदेश मंत्री की तरफ से भारत में उनके राजदूत का ट्वीट, जिसमे उन्होंने कहा चीन अपना अनुभव शेयर करने के लिए तैयार है,भारत की मदद भी करेगा, और हमारे लिए प्रोक्योरमेंट चैनल भी ओपन कर देगा.
साथ में चीन ने इस लड़ाई में भारत की जीत को लेकर विश्वास भी जताया है.
यह तो हो गयी मीठी मीठी बात, लेकिन फिर उन्होंने कहा, की यह बात चीन को acceptable नहीं होगी , की इस आपदा को चीन से जोड़कर देखा जाये. क्योकि ऐसा करना संकुचित मानसिकता का प्रतीक है, और इस तरह चीन का दोष का डीकरा फोड़ना, ग्लोबल कोऑपरेशन के लिए खतरनाक है.
अब बात आपको भी समझ आ गयी होगी, की चीन ने शर्त के साथ मदद का हाथ आगे बढ़ाया है. कुछ दिनों पहले जब हवाई जहाज में भर भर के हमने मेडिकल सप्लाई चीन को भेजी थी, काश हमने भी तब चीन पर शर्ते लगायी होती.
काश हमारे विदेश मंत्री ने इस फ़ोन कॉल में चीन से पूछा होता, की पाकिस्तान को जा रहा चीन का मिसाइल ऑटो clave भारत में क्यों पकड़ा गया?
लेकीन जो बात हमारे गले अभी तक नहीं उतर पा रही है, वह यह है, की चीन के राजदूत के मुताबिक भारत के विदेश मंत्री ने चीन के विदेश मंत्री के साथ सहमति प्रकट की है, की आपदा पर किसी भी प्रकार का मेड इन चाइना लेबल नहीं लगाया जाना चाहिए.
यदि हम चीन के राजदूत की बात पर भरोसा करें, तो ऐसा लगता है, की भारतीय विदेश मंत्री ने चीन की शर्त मान ली है, और अब इस संकट से भारत और चीन साथ मिलकर निपटेगें.
चूँकि भारतीय विदेश मंत्री ने यह बात ट्वीट में नहीं लिखी है, इसलिए हो सकता है, की चीन के राजदूत अपना Global प्रोपोगंडा आगे बड़ा रहे हों. लेकिन यदि भारत ने रियलिटी में चीन की यह शर्त मान ली है , तो भारत सर्कार के इस स्टैंड का हम समर्थन नहीं कर सकते हैं.
महामारी पर मेड इन चाइना का लेबल हो या न हो, बड़ा सवाल यह है, की महामारी के विकराल रूप को प्रकट होने से चीन ने रोका, क्या इस बात पर चीन से कोई सवाल नहीं पूछा जाये?
एक्सपर्ट लोग हर संकट से सीखने की बात करते हैं, तो फिर चीन में पैदा हुए संकट पर क्या सवाल पूछने की सीखने की किसी को कोई जरूरत नहीं है.
विद्वान लोगों से क्या अपेक्षा की जाए, स्वयं WHO ने चीन के आगे सरेंडर कर दिया है.
दिसंबर महीने में जब चीन यह बात छुपा रहा था अथवा उसे यह पता नहीं था, की यह वीमारी एक आदमी से दूसरे आदमी तक फ़ैल रही है, तब ताइवान ने WHO को यह क्रिटिकल इनफार्मेशन दी थी, लेकिन WHO ने तो अपनी आँखों पर चीन की पट्टी बांध रखी थी.
क्या WHO इस बात का जवाब देगा, की उसने ताइवान के द्वारा दी गयी इनफार्मेशन पर कौन सा कदम उठाया. और फिर जाके 20 जनवरी के आस पास चीन को पता चला, की यह बीमारी एक आदमी से दूसरे आदमी तक पहुंच सकती है.
अब आप ही बताएं, कम से कम इन 20 दिनों की देरी का जिम्मेदार कौन है, चीन या WHO
जब दुनिया में संकट फ़ैल रहा था, तब WHO और चीन एक दूसरे की पीठ खुजा रहे थे., परिणाम सामने है, हमारे देश पर अगले 21 दिनों तक के लिए टाला पड़ चूका है.
शेयर मार्किट डूब गया, लोगों की रोटी पर तलवार लटक गयी, इस साल सैलरी इनक्रीस और बोनस को तो भूल जाएँ, क्रूड आयल की कीमत जमीं पर हैं, और हमें भरनी पड़ेगी पेट्रोल डीजल की आसमान छूती कीमत.
गलती करे चीन, पर्दा डाले उस पर WHO और कीमत अदा करें हम सभी, हम वह करने को भी तैयार हैं, लेकिन यदि हम सवाल पूछे, तो चीन हमारे मुँह पर अब ताला भी डालना चाहता है.
बात यही ख़तम हो जाती तो ठीक होता, जब दुनिया भर में बिकवाली चल रही है, चीन खरीददारी में लगा है. Forbes में रिपोर्ट छपी है, की जब विदेशी निवेशक अपना पैसा निकालकर भाग रहे हैं, तब चीन के निवेशक स्टॉक्स खरीदने में बिजी हैं. दुनिया के शरमार्केट लाल पीले हो रहे हैं, तो चीन के शेयर मार्किट में हरियाली का मौसम है..
अब जबकि भारत ने मोबाइल और दवाओं के छेत्र में आत्मा निर्भर होने के लिए कदम उठा लिए हैं, वर्तमान की कड़वी सच्चाई हमारे सामने है, अपनी अधिकतर दवाओं के लिए हम आज भी चीन पर निर्भर हैं.
आज भी जो लोग चीन को लाभ पहुंचाने वाले ग्लोबलाइजेशन का सपोर्ट कर रहे हैं, उनसे छोटा सा सवाल है, की यह कैसे हो गया है, की हमारी गर्दन चीन की तलवार के नीचे आ गयी.
आप सभी जानते हैं, निर्भरता शोषण को जन्म देती है, और आज हम इसी शोषण का शिकार हो रहे हैं. इस आपदा के बदल छत जायेंगे, हम सभी को ऐसी उम्मीद करनी चाहिए.
लेकिन चीन पर हमारी ओवर डिपेंडेंस ख़तम कब होगी, इस सवाल का कोई जवाब हमारे पास अभी तक नहीं है.
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