Well Done Modi ji - India to become Self Dependent in Drugs & Devices Production
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https://www.forbes.com/sites/hisutton/2020/03/22/china-deployed-underwater-drones-in-indian-ocean/#1c35f4a76693
http://www.newsonair.com/Main-News-Details.aspx?id=383509
https://www.newindianexpress.com/business/2020/mar/21/cabinet-clears-schemes-to-incentivise-electronics-pharma-sectors-2119950.html
https://www.theweek.in/news/biz-tech/2020/03/21/govt-to-set-up-dedicated-parks-for-electronics-and-pharma-compan.html
इस वीडियो को स्पोंसर करने के लिए हम *विशाल कदम* जी को धन्यवाद् देना चाहेंगे. आपके सहयोग के कारण ही हम यह वीडियो बना पाए हैं.
हमारे कुछ दर्शको का कहना होता है, की हम चीन के खिलाफ बहुत नेगेटिविटी फैलाते हैं. ऐसे विद्वान दर्शको से निवेदन है, की वह आज फोर्ब्स की वेबसाइट पर जाकर स्वयं पढ़ लें, जहाँ पर रिपोर्ट किया गया है, पिछले साल दिसंबर में चीन ने अपने 14 अंडरवाटर ड्रोन्स को इंडियन ओसेन में डेप्लॉय किया था.
जिनमे से 12 ड्रोन्स को एक्चुअली काम पर लगाया गया, और उन्होंने हमारे हिन्द महासागर के बारे में 3400 ऑब्जरवेशन रिकॉर्ड किये.
अब आप कह सकते हैं, की चीन के यह ड्रोन्स समुद्र की गहराई माप रहे थे, और समुद्र की सतह में ऑक्सीजन कितनी है, यह पता लगा रहे होंगे. वैसे आपके प्यारे चीन का भी यही कहना है, की यह ड्रोन्स हिन्द महासागर में रिसर्च कर रहे थे.
अब यह आप पर निर्भर करता है, आप आज चीन की मीठी मीठी बातों पर भरोसा कर लें, अथवा भविस्य में जब अचानक से हिन्द महासागर के बीचो बीच आर्टिफीसियल चाइनीस आइलैंड बना लिया जायेगा, तब आपको पता लग ही जायेगा , की चीन की इन चासनी भरी बातों में कितनी कड़वाहट थी.
फिर भी अच्छी बात यह है, की हमारे अधिकतर दर्शको को चीन की चालाकियों के बारे में अच्छे से पता है.
लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य ही है, की चाइनीस ड्रैगन हमारे गले में पड़ा फंदा कसता जा रहा है, और हमारे यहाँ इसके बारे में चर्चा करने का किसी को समय ही नहीं है.
वैसे इंडियंस को हरानेके लिए चीन को युद्ध लड़ने की जरूरत ही क्या है, भारत को घुटनो पर लाने के लिए चीन को बस दवाइयों की सप्लाई ही तो कुछ दिनों के लिए बंद करनी है.
सायद आपको पहले से जानकारी हो, दुनिया में दवाओं का निर्माण करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश भारत है. लेकिन इन दवाओं के उतपादन के लिए जिस रॉ मटेरियल, एक्टिव फार्मास्यूटिकल ingredients की जरूरत होती है, उनका 67% अमाउंट हर साल भारत चीन से आयत करता है. कुछ दवाओं को बनाने के लिए 80 से 100 प्रतिशत कच्चा माल चीन से आता है.
अब आप ही बताएं, जिस देश के साथ हमारा दुनिया का सबसे लम्बा सीमा विवाद है, जिसने 72 सालों में 1 बार युद्ध में हमें हराया हुआ है, क्या ऐसे दुश्मन देश पर हम अपनी जिंदगी के लिए निर्भर हो सकते हैं. आप सभी अच्छे से समझते हैं, की निर्भरता सिर्फ शोषण को जन्म देती है.
इसलिए सवाल उठता है, की जान लेने के लिए जिस दुश्मन देश से हम बन्दूक की एक गोली भी नहीं खरीदते हैं, अपनी जान बचाने के लिए बनायीं जाने वाली गोलिओं के लिए हम उसी शत्रु देश पर over dependent हैं. और भी बड़ा सवाल यह है, की इस तरह की आत्मघाती निर्भरता को पैदा किसने होने दिया??
आप सभी ने पड़ा होगा, की आज जब हम कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं, तो दवाओं की सप्लाई के लिए हम चीन का मुँह देख रहे हैं, और वह दुनिया भर में तो दवाएं सप्लाई कर रहा है, लेकिन इंडिया को जाने वाले एंटी वायरल ड्रग्स के शिपमेंट की राह में रोड़े पैदा कर रहा है.
अच्छी बात यह है, की देर से ही सही, भारत सरकार की ऑंखें खुल गयी है, और उसने कल फार्मास्यूटिकल प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए 13760 करोड़ allocate कर दिए हैं. इस पैसे को खर्च करने के लिए विशेष स्कीम भी बनाई गयी है.
पहली स्कीम के तहत, इसमें से 7 हज़ार करोड़ से कुछ कम राशि का प्रयोग करके अगले आठ बर्षो में दवाओं और उनके रॉ मटेरियल के लिए उत्पादन करने वाली कंपनियों को उनके प्रोडक्शन के अनुपात में 10 से 20 फ़ीसदी इंसेंटिव दिया जायेगा.
दूसरी स्कीम के अंतर्गत अगले पांच सालों में 3000 करोड़ रुपयों का इस्तेमाल करके तीन बल्क ड्रग पार्क बनाये जायेंगे.
भारत में रॉ मटेरियल का उत्पादन नहीं हो पाता है, इसके पीछे एक्सपर्ट लोगों के द्वारा बहाना यह बनाया जाता है, की एपीआई और अन्य रॉ मटेरियल के उत्पादन से प्रदुषण बहुत फैलता है, इसलिए हमने ये प्लांट ही नहीं लगाए.
अब आप ही बताएं, इस कारण को जानने के लिए हमें सरकारों और एक्सपर्ट लोगों की क्या जरूरत है, अरे भाई, इन मटेरियल को बनाने से प्रदुषण होता है, तो क्या पोल्लुशन को रोकने अथवा कम करने का कोई तरीका नहीं है.
वह कहा जाता है न, जहाँ चाह वहां राह. अब भारत जो तीन बल्क ड्रग पार्क बनाने जा रहा है, उनमे कॉमन फैसिलिटीज होगी, ताकि पोल्लुशन को कण्ट्रोल में रखा जा सके.
तीसरी स्कीम के तहत साढ़े तीन हज़ार करोड़ का इस्तेमाल करके implantable devices जैसे की pacemakers के भारत में उतपादन को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव दिया जायेगा.
चौथी स्कीम के अंतर्गत 400 करोड़ का खर्च करके चार मेडिकल डिवाइस पार्क बनाये जायेंगे. इन पार्क्स में X Ray, MRI मशीन का उतपादन किया जायेगा.
इन चारो स्कीम को अगर आप मिलाकर देखे, तो आप समझ जायेंगे, दवाओं और मेडिकल devices के उतपादन के लिए ना सिर्फ पार्क के रूप में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जा रहा है, बल्कि उनमे एक्चुअली में उत्पादन भी चालू हो, इसके लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव भी दिया जा रहा है.
वैसे भी भारत सरकार अब इंफ्रास्ट्रक्चर के सफ़ेद हाथियों को पैदा नहीं करना चाहती है, सुविधा है, उसका प्रयोग कीजिये, जितना प्रोडक्शन होगा, उतना ही लाभ होगा.
हाई लेवल से देखने पर यह चारों स्कीम देर से उठाया गया दुरुस्त कदम जान पड़ती है, लेकिन हमारा अनुभव बताता है, की इन योजनाओ के कागजो से जमीं पर उतरने का इंतजार करना होगा.
चीन पर भारत की निर्भरता को कम करने में यह स्कीम्स कितनी सफल होती हैं, यह तो आगे आने वाला समय ही बताएगा, हमें पूरा विस्वास है, भारत सरकार इन योजनाओ के राह में आने वाली रुकावटों को भी हटाती रहेगी.
ड्रग्स और मेडिकल डिवाइस के छेत्र में भारत को शेल्फ डिपेंडेंट बनाने के लिए पहला कदम उठाने के लिए मोदी सरकार को धन्यवाद. लेकिन हमने इसका श्रेय चीन को भी देना चाहिए, क्योकि उसकी कारगुजारिओ ने भारत सरकार की नींद को तोड़ने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है.
हम सभी ने देखा है, ढोकलाम कनफ्लिक्ट के बाद नार्थ ईस्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट पर तेजी लायी गयी, अब यदि कोरोना वायरस के कारण भारत में ड्रग्स और डिवाइस का प्रोडक्शन रफ़्तार पकड़ता है, तो चीन को क्रेडिट देने में हमें कोई हरज नहीं होना चाहिए. .
इस टॉपिक पर वीडियो बनाने के लिए हमारे दर्शक सेंचुरी प्रोक्सिमा, और जयेश साधनानी ने सजेस्ट किआ था, हम उन्हें धन्यवाद् देते हैं.
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