Well Done Modi ji - Huge Indian Victory

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जैसा की आप सभी को पता लग गया होगा, भारत और चीन ने सभी तनाव ग्रस्त इलाको में डिस एंगेज होने का निर्णय लिया है. हालाँकि यह खबर राहत देने वाली है, लेकिन गलवान फेस ऑफ की याद अभी ताजा है, जब तक चीन सभी फ्रिक्शन पॉइंट्स से पीछे नहीं हटता, तब तक हम चीन की मीठी मीठी बातों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं.

इसलिए आने वाले दिनों में यह देखना इम्पोर्टेन्ट होगा, की बातचीत की टेबल पर हुए समझौते को चीन जमीं पर कब और कैसे उतारता है.

इसी दौरान जैसा की आप सभी देख रहे हैं, की भारत सर्कार चीन से इम्पोर्ट कम करने को लेकर गंभीर प्रयास कर रही है. ना केवल गैर जरूरी चाइनीस माल पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने को लेकर विचार चल रहा है, साथ ही ऐसे भी नियम बनाये जा रहे है, जिससे ऑनलाइन प्रोडक्ट सिलेक्शन के दौरान इंडियन कस्टमर को पता लग सके, की वह product कहाँ से बन कर आया है, और उसमे मेड इन इंडिया कॉम्पोनेन्ट कितने परसेंटेज हैं.

मोदी सर्कार के द्वारा उठाये जा रहे इन कदमो का प्रभाव आगे आने वाले समय में दिखाई देगा, ऐसी उम्मीद की जा सकती है. लेकिन आप में से कुछ लोग कह सकते हैं, की ये सब बातें हैं बातों का क्या.

इसलिए आज हम चर्चा करेंगे, भारत और चीन के बीच के पांच सालों के actual ट्रेड डेटा की.

जब वर्ष 2014 में मोदी सर्कार सत्ता में आयी, तब चीन के साथ व्यापर करने से भारत को 48.7 बिलियन डॉलर का घाटा हुआ था.

जो की वर्ष 2018 में बढ़ कर 63 बिलियन डॉलर के ऊँचे स्तर तक पहुंच गया. लेकिन तभी से आप सभी ने चीन के साथ भारत के बढ़ते ट्रेड डेफिसिट को लेकर खतरे की घंटी बजाना चालू कर दिया.

जब सभी एक्सपर्ट हमें यह बताते थे, की ट्रेड डेफिसिट से भारत को कोई नुकसान नहीं होता है, तब आप सभी का साफ़ तौर पर विस्वास था, की भारत में रोजगार चीन से आयी सस्ते मॉल की बाढ़ में डूबकर ख़तम हो गए.

वैसे भी सलाह देने के लिए लाखो करोड़ों पाने वाले इन विद्वानों को भारत में खरीदने वाले 130 करोड़ लोग तो दिखाई देते हैं, लेकिन काम करने वाले 260 करोड़ हाथ इन्हे नजर नहीं आते हैं.

आप सभी जानते हैं, की भारत से व्यापर करने से चीन जो धन कमाता है, उसी पैसे से चीन पाकिस्तान नेपाल जैसे देशो में भारत विरोधी कार्यकर्मो को प्रायोजित करता है.

पॉइंट सिंपल है, ये ट्रेड तो बहाना है, कपटी चीन हमारे पैसे से हमी को बर्बाद करने की फ़िराक़ में बैठा हुआ है.

लेकिन इसी दौरान अच्छा यह हुआ, की भारत सर्कार ने यह दसको पुरानी बेवक़ूफ़ उम्मीद करना बंद कर दिया, की भारत के साथ व्यापारिक घाटे को कम करने के लिए मित्र चीन अचानक भारत से बड़ी मात्रा में माल खरीदना चालू कर देगा.

तभी से भारत ने चीन के स्क्रू टाइट करने चालू कर दिए, और परिणाम हमारे सामने है, चीन के साथ भारत के व्यापारिक घाटे में वर्ष 2018-19 में 9.4 बिलियन डॉलर की कमी आयी.

और पिछले वित्तीय वर्ष यानि की 2019-20 में चीन के साथ भारत का व्यापारिक घाटा गिरकर 48.7 बिलियन डॉलर के स्तर तक पहुंच गया.

सिंपल सब्दो में वर्ष 2018 के अधिकतम आकंड़ो की  तुलना में पिछले फाइनेंसियल ईयर में भारतीय व्यापारिक घाटे में 22 फीसदी की कटौती की जा चुकी है.

दूसरे शब्दों में भारत के साथ व्यापर करने से चीन को पिछले दो सालों में 14.3 बिलियन डॉलर का कम लाभ हुआ है. बात साफ़ है, भारत के साथ ट्रेड में चीन अब कम मलाई उड़ा पा रहा है.

कोई आश्चर्य नहीं है. ट्रेड आंकड़ों के कारण तिलमिलाए चीन की झल्लाहट गलवान वैली में हम सभी को कुछ दिनों पहले दिखाई दी.

पिछले पांच सालों में भारत ने न केवल बॉर्डर एरियाज में ऐतिहासिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माड किया, बल्कि चीन के साथ ट्रेड डेफिसिट को कम करने में भी सफलता प्राप्त की है.

इसे ही कहते हैं, चाणक्य की कूटनीति, जिस पर मोदी सर्कार काम कर रही है.

इस स्ट्रेटेजी के अनुसार भारत अपने दुश्मन के साथ शांति तो चाहता है, लेकिन  पुरानी एक परिवार की सरकारों की तरह अब वह आँख मूंदकर चाइनीस दुश्मन की मीठी मीठी बातों पर भरोषा नहीं करता है. बल्कि भारत शांति की स्थापना के लिए धैर्य पूर्वक अपनी शक्ति को मजबूत कर रहा है.

वैसे भी छमा करने की छमता शक्तिशाली के पास होती है. जब तक हम चाणक्य के बताये रस्ते पर चलते रहेंगे, तब तक जिनकी ऑंखें तक नहीं खुलती हैं, उन्हें ऑंखें  फाड़कर सच्चाई देखने के लिए हम मजबूर कर सकते हैं.

अब जबकि चीन के साथ व्यापर करने से भारत का व्यपारिक घाटा पांच सालों के सबसे निचले स्तर पर आ गया है, यह देखना भी रोचक होगा, की होन्ग कोंग के साथ हमारा व्यापारिक घाटा कहीं पांच सालों में सबसे अधिक तो नहीं हो गया??

हम सभी को चालबाज़ चीन की कार गुजारियों के बारे में पता है, की चीन होन्ग कोंग के रस्ते भी भारत में माल डंप करता है.  इसलिए आगे आने वाले दिनों में हम भारत और होन्ग कोंग के बीच के व्यापारिक आंकड़ों पर नजर बनाये रखेंगे.

हाल फिलहाल मोदी सर्कार को चीन के साथ व्यापारिक घाटा कम करने में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत बहुत बधाई.

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