Thank You Japan for granting $4.7 Million to Maldives against China
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References -
https://edition.mv/news/20514
https://raajje.mv/90933
https://timesofindia.indiatimes.com/world/south-asia/us-to-open-embassy-in-maldives-mike-pompeo/articleshow/78914376.cms
https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/japan-signs-pact-with-maldives-announces-7-6-million-support-for-security-infrastructure/articleshow/79350555.cms
आज के इस वीडियो के स्पांसर है, पियूष कामदार (Piyush Kamdar) जी from बोरीवली ईस्ट मुंबई, हमें सपोर्ट करने के लिए आपको धन्यवाद.
कोई बहुत पहले की बात नहीं है, जब भारत अमेरिका और जापान से बार बार कहा करता था, की उन्हें मालदीव्स में अपनी उपस्थिति को मजबूत करना चाहिए. लेकिन भारत ही क्या इन सभी देशो पर चीन के प्यार का खुमार सर चढ़ कर बोल रहा था. परिणाम स्वरुप, इन दोनों देशो ने मालदीव्स पर ध्यान नहीं दिया.
लेकिन सबके होश ठिकाने पर तब आ गए, जब इनके द्वारा छोड़ी गयी खाली जगह पर चाइनीस ड्रैगन बैठ गया. कोई बात नहीं, जब जागे तभी सवेरा. मालदीव्स तो सभी लोकतान्त्रिक देशो के हाथो से फिसल गया था, वही पर हम सभी को एक और मौका मिल रहा है, वर्ष 2019 के मालदीव्स जनरल इलेक्शन के बाद.
इसी एक ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठाया था, अमेरिका ने, जब उसने मालदीव्स में अपने दूताबास को स्थापित करने का निर्णय पिछले अक्टूबर महीने में लिया. और यह तब हुआ जब पिछले 30 सालों में पहली बार किसी अमेरिकी विदेश सचिव को मालदीव की यात्रा करने का समय मिला.
कहने का मतलब यह है, आज यदि चाइनीस पतंग महत्वकांशा की ऊँची उड़ान उड़ रही है, तो उसकी डोर को ढील भी हम सभी लोकतान्त्रिक देशो ने दी थी.
यह तो हो गयी बैकग्राउंड की बात, आज जापान ने मालदीव्स को 7.6 मिलियन डॉलर की ग्रांट देने का निर्णय लिया, जिसका उपयोग मालदीव्स डिफेंस फोर्सेज के कोस्ट गार्ड की capability बढ़ाने में किया जायेगा.
चूँकि यह ग्रांट के रूप में आर्थिक सहायता दी गयी है, इसलिए मालदीव्स को इसे लौटाने के बारे में चिंता करने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है.
इस पैसे का इस्तेमाल उन उपकरण और साजो सामान को खरीदने में किया जायेगा, जिनका प्रयोग राहत और बचाव कार्यो में किया जाता है.
मालदीव्स कोस्ट गार्ड को हर साल लगभग 390 स्ट्रेस कॉल मिलते हैं, जिनमे मदद करके अराउंड 900 जिंदगियां बचाई जाती है. पॉइंट सिंपल है, जापान ने जो पैसा दिया है, उससे कई जाने बचाने की मालदीवियन छमता में इजाफा होगा.
अब आप में से कुछ लोग कह सकते हैं, की हम क्या फालतू के छोटे मोटे टॉपिक को कवर कर रहे हैं, तो आप जरा बताएं, की किस बहाने को ढाल बनाकर चीन ने हिन्द महासागर छेत्र में अपना दबदबा बढ़ाया है.
इन्ही राहत बचाव कार्यक्रम और पायरेसी को रोकने के बहाने चीन ने हिन्द महासागर में अपनी उपस्थिति परमानेंट कर ली है.
यहाँ पर आपको जापान और चीन की एप्रोच में भी अंतर समझ आ गया होगा, एक ओर जहाँ जापान मालदीव्स के हाथ मजबूत कर रहा है, तो दूसरी ओर चीन मालदीव्स के हाथ कमजोर बताकर मालदीव्स के पास से गुजरने वाली सप्लाई लाइन पर अपनी डिफेंस capability को मजबूत करने की फ़िराक में लगा हुआ है.
मालदीव्स के एक्सक्लूसिव इकनोमिक जोन में सिक्योरिटी और स्टेबिलिटी को बढ़ाने वाली यह जापानी मदद निश्चित करेगी, की इंडो पसिफ़िक रीजन में आवाजाही की स्वतंत्रता और अंतरास्ट्रीय कानूनों का पालन होता रहे. क्योकि तभी इस छेत्र के सभी देशो का विकास और समृद्धि सुनिश्चित की जा सकेगी.
साथ ही यहाँ पर मेंशन करना जरूरी है, की जापान मालदीव्स को 47 मिलियन डॉलर लोन के रूप में भी मुहैया करवा रहा है, ताकि मालदीव्स कोरोना वायरस के कहर से अपने आप को बचा पाए, हम सभी को पता है, चाइनीस कोरोना की सबसे अधिक मार टूरिज्म और होटल इंडस्ट्री पर पड़ी है, जो की मालदीव्स में एक प्रमुख व्यवसाय है.
सभी चीज़ों को यदि मिलाकर देखें, तो साफ़ साफ़ नजर आ रहा है, की अमेरिका हो या जापान हो, दोनों ही मालदीव्स को अब गंभीरता से ले रहे हैं. कोई बात नहीं, देर से ही सही लेकिन ये दोनों देश अपनी पुरानी भूल को सुधार रहे हैं.
यहाँ पर कहने की जरूरत नहीं है, जैसे जैसे भारतीय डेमोक्रेटिक दोस्तों अमेरिका और जापान का मालदीव्स में दखल बढ़ेगा, वैसे वैसे दुश्मन चीन के लिए मालदीव्स में स्पेस सिकुड़ता चला जाएगा.
लेकिन यहाँ पर हमने मुंगेरी लाल के हसीं सपने नहीं देखना है, geo पॉलिटिक्स के खेल में कब क्या हो जाये, यह कहा नहीं जा सकता है, इस खेल में जीत उसी की होती है, जो हर दिन पूरी लगन के साथ खेलता है.
अंत में स्पॉन्सरशिप के लिए पियूष कामदार जी को धन्यवाद देते हुए हम यह वीडियो समाप्त करते हैं.
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