Why Indian Surgical Strike was not a Failure???
भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक को क्यों असफल नहीं माना जाना चाहिए?
Second Anniversary of Indian Surgical Strike
Was it a Success or failure
Reference -
https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_terrorist_incidents_in_India
https://en.wikipedia.org/wiki/2015_Gurdaspur_attack
https://en.wikipedia.org/wiki/2001_Indian_Parliament_attack
https://en.wikipedia.org/wiki/2016_Uri_attack
Transcript -
नमस्ते दोस्तों, Real Quick Info चैनल पर आपका स्वागत है. आइए, अब हम अपने Original Real Quick Analysis के बारे में चर्चा करते हैं.
आज भारत अपनी पहली सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ पराक्रम पर्व के रूप में मना रहा है.
एक ओर सर्जिकल स्ट्राइक को भारत की एक असाधारण सफलता माना जाता है, तो दूसरी ओर सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता के ऊपर असाधारण प्रश्न खड़े किए जाते हैं.
जब भी पाकिस्तान भारत के खिलाफ किसी नई आतंकवादी घटना को अंजाम देता है, तो बड़े बड़े विद्वानों को आपने कहते हुए सुना होगा, की पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक पूरी तरह से असफल हुई थी, क्योंकि पाकिस्तान तो अभी भी भारत के खिलाफ आतंकवाद प्रायोजित कर रहा है.
भारत की पहली सर्जिकल स्ट्राइक का महत्व समझने के पहले, हमें स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का मतलब समझना होगा. इसका मतलब पाकिस्तान के हमले की उस तीव्रता से होता है, जिसके खिलाफ भारत जवाबी कार्यवाही जरूर करेगा.
पाकिस्तान ने भारत के इस स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का जमकर लाभ उठाया है. और इसी के अंतर्गत पाकिस्तान ने हजारों घाव से भारत का खून बहाने की रणनीति अपनाई है.
यहां तक कि आज भी पाकिस्तान कहता है, कि भारत के साथ लड़ाई लड़ना पाकिस्तान के लिए कोई विकल्प नहीं है. इसलिए पाकिस्तान के द्वारा प्रायोजित आतंकवादी हमले की तीव्रता भारत के स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड से कम होती है. जिसके कारण पाकिस्तान पूरी तरह से आश्वस्त रहता है, कि भारत उसके खिलाफ जवाबी कार्यवाही नहीं करेगा.
आतंकवाद के पहले 20 वर्षों के दौरान पाकिस्तान ने इसी रणनीति पर सफलतापूर्वक काम किया, और भारत ने कोई जवाबी कार्यवाही नहीं की.
लेकिन कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने भारत के स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड को बढ़ाने की कोशिश की. और इसीलिए उसने आतंकवादी घटनाओं से आगे बढ़कर, भारतीय सीमा के अंतर घुसपैठिए भेज दिए. लेकिन स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड मैं बढ़ोतरी भारत को स्वीकार नहीं थी, इसलिए भारत ने मजबूती के साथ पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की.
अगर हम कारगिल युद्ध नहीं जीते होते, तो पाकिस्तान को इस बात का भरोसा हो जाता, कि भारत का स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड बढ़ चुका है. और भारत के बड़े हुए स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के कारण पाकिस्तान हमारे साथ लगातार कारगिल घुसपैठ के स्तर पर भविष्य में कई हमले अथवा विरोधी कार्यवाही करता रहता.
कारगिल युद्ध को जीतकर भारत ने अपने स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के स्तर को बनाए रखने में सफलता प्राप्त की थी. और इसी कारण पिछले 20 वर्षों में कारगिल घुसपैठ के स्तर पर पाकिस्तान ने किसी भी घटना को अंजाम नहीं दिया है.
लेकिन दिसंबर 2001 में जब पाकिस्तान के आतंकवादियों ने भारतीय संसद पर हमला किया, तो पाकिस्तान पर हमला करने के लिए, भारत ने पंजाब और जम्मू कश्मीर की सीमा पर सेना को तैनात करके भारत के स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के स्तर को कम करने का प्रयास किया.
लेकिन भारत ने पाकिस्तान पर हमला नहीं किया, और अक्टूबर 2002 में सैनिकों को पीछे हटा लिया गया.
इस प्रकार भारतीय स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के स्तर में गिरावट को रोकने में पाकिस्तान ने सफलता प्राप्त की.
वर्ष 2002 से लेकर पिछले दो दशकों में लगातार पाकिस्तान ने भारत के इसी स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के नीचे रहकर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया है.
आपको याद होगा, वर्ष 2008 में मुंबई पर आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें 171 लोगों की जानें गई थी.
लेकिन 18 सितंबर 2016 को, पाकिस्तान से आए चार आतंकवादियों ने भारतीय सेना के ऊपर उरी में पिछले 20 वर्षों का सबसे बड़ा हमला किया. हम सभी को याद है, इस हमले में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे.
इस बार पाकिस्तान ने फिर भारत के स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का स्तर ऊंचा उठाने की कोशिश की. लेकिन भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जोरदार सर्जिकल स्ट्राइक कर के अपने स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का स्तर और नीचे गिरा लिया.
उरी आतंकवादी हमले में जहां 20 भारतीय सैनिको की जान गई, वहीं भारत की सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तान को दोहरी कीमत चुकानी पड़ी, जिसमे 38 आतंकवादी और दो पाकिस्तानी सैनिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.
अब जबकि भारत ने अपने स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का स्तर नीचे कर लिया है, जिससे पाकिस्तान को यह बात पता लग गई है, कि यदि भारत के खिलाफ उरी जैसा कोई और आतंकवादी हमला किया गया, तो पाकिस्तान पर निश्चित रूप से सर्जिकल स्ट्राइक दोबारा की जाएगी.
अब आप देखिए, पिछले 2 वर्षों के दौरान उरी आतंकवादी हमले जैसा कोई भी बड़ा आतंकवादी हमला भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने अंजाम नहीं दिया है.
जैसा कि बहुत सारे भारतीय लोगों का मानना है, उसके ठीक विपरीत पाकिस्तान एक बहुत ही बुद्धिमान देश है. उसके पास अपने लाभ हानि का अनुमान लगाने की अद्भुत क्षमता है.
पाकिस्तान ऐसा कोई काम नहीं करेगा, जिसके करने से उसे लाभ की तुलना में हानि ज्यादा हो.
जैसा कि स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड कंसेप्ट हमेशा काम करता है, इसलिए पाकिस्तान कभी भी उरी आतंकवादी हमले जैसा दूसरा हमला नहीं करेगा.
और अगर पाकिस्तान ऐसा करने की हिमाकत करता है, तो भारत को पाकिस्तान के खिलाफ दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक करनी होगी.
इसीलिए तो अभी हाल ही में भारत के सेनाध्यक्ष ने साफ तौर पर कहा है, अगर जरूरत पड़ी तो भारत पाकिस्तान के ऊपर दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक करेगा.
अगर आपको भारत की पहली सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता का अनुमान लगाना है, तो वह आप केवल स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के आधार पर ही लगा सकते हैं.
भारत ने अभी स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का जो स्तर बनाया हुआ है, पाकिस्तान उसके नीचे रह कर आतंकवादी हमले करता रहेगा. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है, कि भारत की पहली सर्जिकल स्ट्राइक पूरी तरह से असफल हुई.
जैसा कि भारत की पिछली सर्जिकल स्ट्राइक ने हमारे स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का स्तर नीचे गिराने में सफलता प्राप्त की, आगे आने वाली भारत सरकारों की जिम्मेदारी है, की वह कम से कम स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के स्तर को बनाए रखें, या इसे और अधिक नीचे गिराने की कोशिश करें.
किसी भी हालत में, पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने वाले भारत के इस स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के स्तर में बढ़ोतरी स्वीकार नहीं होना चाहिए.
आपके विश्लेषण के अनुसार, क्या भारत की पहली सर्जिकल स्ट्राइक सफल थी, या असफल थी?
आप अपने विचार हमें नीचे कमेंट सेक्शन में लिख कर बता सकते हैं.
इस वीडियो को बनाते समय हमने कुछ ऑनलाइन लेख पढ़े थे. आपको उनकी लिंक डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जाएगी.
इस वीडियो को देखने के लिए आपका बहुत धन्यवाद.
आज भारत अपनी पहली सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ पराक्रम पर्व के रूप में मना रहा है.
एक ओर सर्जिकल स्ट्राइक को भारत की एक असाधारण सफलता माना जाता है, तो दूसरी ओर सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता के ऊपर असाधारण प्रश्न खड़े किए जाते हैं.
जब भी पाकिस्तान भारत के खिलाफ किसी नई आतंकवादी घटना को अंजाम देता है, तो बड़े बड़े विद्वानों को आपने कहते हुए सुना होगा, की पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक पूरी तरह से असफल हुई थी, क्योंकि पाकिस्तान तो अभी भी भारत के खिलाफ आतंकवाद प्रायोजित कर रहा है.
भारत की पहली सर्जिकल स्ट्राइक का महत्व समझने के पहले, हमें स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का मतलब समझना होगा. इसका मतलब पाकिस्तान के हमले की उस तीव्रता से होता है, जिसके खिलाफ भारत जवाबी कार्यवाही जरूर करेगा.
पाकिस्तान ने भारत के इस स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का जमकर लाभ उठाया है. और इसी के अंतर्गत पाकिस्तान ने हजारों घाव से भारत का खून बहाने की रणनीति अपनाई है.
यहां तक कि आज भी पाकिस्तान कहता है, कि भारत के साथ लड़ाई लड़ना पाकिस्तान के लिए कोई विकल्प नहीं है. इसलिए पाकिस्तान के द्वारा प्रायोजित आतंकवादी हमले की तीव्रता भारत के स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड से कम होती है. जिसके कारण पाकिस्तान पूरी तरह से आश्वस्त रहता है, कि भारत उसके खिलाफ जवाबी कार्यवाही नहीं करेगा.
आतंकवाद के पहले 20 वर्षों के दौरान पाकिस्तान ने इसी रणनीति पर सफलतापूर्वक काम किया, और भारत ने कोई जवाबी कार्यवाही नहीं की.
लेकिन कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने भारत के स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड को बढ़ाने की कोशिश की. और इसीलिए उसने आतंकवादी घटनाओं से आगे बढ़कर, भारतीय सीमा के अंतर घुसपैठिए भेज दिए. लेकिन स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड मैं बढ़ोतरी भारत को स्वीकार नहीं थी, इसलिए भारत ने मजबूती के साथ पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की.
अगर हम कारगिल युद्ध नहीं जीते होते, तो पाकिस्तान को इस बात का भरोसा हो जाता, कि भारत का स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड बढ़ चुका है. और भारत के बड़े हुए स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के कारण पाकिस्तान हमारे साथ लगातार कारगिल घुसपैठ के स्तर पर भविष्य में कई हमले अथवा विरोधी कार्यवाही करता रहता.
कारगिल युद्ध को जीतकर भारत ने अपने स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के स्तर को बनाए रखने में सफलता प्राप्त की थी. और इसी कारण पिछले 20 वर्षों में कारगिल घुसपैठ के स्तर पर पाकिस्तान ने किसी भी घटना को अंजाम नहीं दिया है.
लेकिन दिसंबर 2001 में जब पाकिस्तान के आतंकवादियों ने भारतीय संसद पर हमला किया, तो पाकिस्तान पर हमला करने के लिए, भारत ने पंजाब और जम्मू कश्मीर की सीमा पर सेना को तैनात करके भारत के स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के स्तर को कम करने का प्रयास किया.
लेकिन भारत ने पाकिस्तान पर हमला नहीं किया, और अक्टूबर 2002 में सैनिकों को पीछे हटा लिया गया.
इस प्रकार भारतीय स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के स्तर में गिरावट को रोकने में पाकिस्तान ने सफलता प्राप्त की.
वर्ष 2002 से लेकर पिछले दो दशकों में लगातार पाकिस्तान ने भारत के इसी स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के नीचे रहकर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया है.
आपको याद होगा, वर्ष 2008 में मुंबई पर आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें 171 लोगों की जानें गई थी.
लेकिन 18 सितंबर 2016 को, पाकिस्तान से आए चार आतंकवादियों ने भारतीय सेना के ऊपर उरी में पिछले 20 वर्षों का सबसे बड़ा हमला किया. हम सभी को याद है, इस हमले में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे.
इस बार पाकिस्तान ने फिर भारत के स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का स्तर ऊंचा उठाने की कोशिश की. लेकिन भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जोरदार सर्जिकल स्ट्राइक कर के अपने स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का स्तर और नीचे गिरा लिया.
उरी आतंकवादी हमले में जहां 20 भारतीय सैनिको की जान गई, वहीं भारत की सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तान को दोहरी कीमत चुकानी पड़ी, जिसमे 38 आतंकवादी और दो पाकिस्तानी सैनिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.
अब जबकि भारत ने अपने स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का स्तर नीचे कर लिया है, जिससे पाकिस्तान को यह बात पता लग गई है, कि यदि भारत के खिलाफ उरी जैसा कोई और आतंकवादी हमला किया गया, तो पाकिस्तान पर निश्चित रूप से सर्जिकल स्ट्राइक दोबारा की जाएगी.
अब आप देखिए, पिछले 2 वर्षों के दौरान उरी आतंकवादी हमले जैसा कोई भी बड़ा आतंकवादी हमला भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने अंजाम नहीं दिया है.
जैसा कि बहुत सारे भारतीय लोगों का मानना है, उसके ठीक विपरीत पाकिस्तान एक बहुत ही बुद्धिमान देश है. उसके पास अपने लाभ हानि का अनुमान लगाने की अद्भुत क्षमता है.
पाकिस्तान ऐसा कोई काम नहीं करेगा, जिसके करने से उसे लाभ की तुलना में हानि ज्यादा हो.
जैसा कि स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड कंसेप्ट हमेशा काम करता है, इसलिए पाकिस्तान कभी भी उरी आतंकवादी हमले जैसा दूसरा हमला नहीं करेगा.
और अगर पाकिस्तान ऐसा करने की हिमाकत करता है, तो भारत को पाकिस्तान के खिलाफ दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक करनी होगी.
इसीलिए तो अभी हाल ही में भारत के सेनाध्यक्ष ने साफ तौर पर कहा है, अगर जरूरत पड़ी तो भारत पाकिस्तान के ऊपर दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक करेगा.
अगर आपको भारत की पहली सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता का अनुमान लगाना है, तो वह आप केवल स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के आधार पर ही लगा सकते हैं.
भारत ने अभी स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का जो स्तर बनाया हुआ है, पाकिस्तान उसके नीचे रह कर आतंकवादी हमले करता रहेगा. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है, कि भारत की पहली सर्जिकल स्ट्राइक पूरी तरह से असफल हुई.
जैसा कि भारत की पिछली सर्जिकल स्ट्राइक ने हमारे स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड का स्तर नीचे गिराने में सफलता प्राप्त की, आगे आने वाली भारत सरकारों की जिम्मेदारी है, की वह कम से कम स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के स्तर को बनाए रखें, या इसे और अधिक नीचे गिराने की कोशिश करें.
किसी भी हालत में, पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने वाले भारत के इस स्ट्रैटेजिक थ्रेसहोल्ड के स्तर में बढ़ोतरी स्वीकार नहीं होना चाहिए.
आपके विश्लेषण के अनुसार, क्या भारत की पहली सर्जिकल स्ट्राइक सफल थी, या असफल थी?
आप अपने विचार हमें नीचे कमेंट सेक्शन में लिख कर बता सकते हैं.
इस वीडियो को बनाते समय हमने कुछ ऑनलाइन लेख पढ़े थे. आपको उनकी लिंक डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जाएगी.
इस वीडियो को देखने के लिए आपका बहुत धन्यवाद.
Transcript -
Hello Friends, welcome to Real Quick Info channel. Lets discuss our Original Real Quick Analysis.
Today, India is celebrating second anniversary of first ever cross border surgical strike as Parakram Parv.
Though it has been widely accepted as major achievement for India, Questions have always been raised on the success of this surgical strike.
Whenever a terrorist attack happens in India, many experts say, what is the result of surgical strike, when Pakistan continues to sponsor terrorist activities against India.
Before realizing the real outcome of first Indian surgical strike.
We need to understand the concept of strategic threshold, which means the minimum scale of attack, which will force India to launch retaliatory attack against Pakistan.
Pakistan adopted the strategy of bleeding India by thousand cuts, only because it wanted to exploit very high Indian strategic threshold.
Even now, Pakistan says war is not an option, which effectively means, Pakistan will not do anything which will cross Indian strategic threshold, and Invite Indian attack on Pakistan.
For around 20 years, Pakistan exploited Indian threshold by launching terrorist attacks against India without inviting retaliation whatsoever.
During Kargil Conflict, Pakistan deliberately tried to stretch Indian threshold by going beyond terrorist attacks to massive infiltration. but India launched forceful retaliation because it was unacceptable to India.
If India had not won Kargil back, it would have confirmed to Pakistan about Indian threshold getting stretched.
Afterwards, we would have had to suffer many Kargil like attacks by Pakistan.
Basically, by Winning in Kargil India has again kept its threshold limit. thereafter no Pakistani act was executed at the scale of Kargil conflict.
However, After December 2001 Parliament attack, India tried to lower its threshold by mobilizing the troops to Kashmir and Punjab for retaliatory attack on Pakistan.
However, India didn't attack on Pakistan, and Indian troops withdrawal happened in October 2002.
In this way, Pakistan succeeded in avoiding lowering of Indian threshold.
The result was, since 2002 Pakistan has continued exploitation of this threshold by launching numerous terrorist attacks year after year.
You may recall, 2008 Mumbai terror attack claiming 171 precious lives.
On 18 September 2016, four heavily armed militants conducted deadliest attack on Indian security forces in Kashmir in last two decades.
We all remember, 20 Indian soldiers martyred in Uri attack.
This time, when Pakistan was trying to stretch Indian strategic threshold, India retaliated with Surgical strike thus lowering Indian threshold instead.
In response to 20 casualties in Uri Attack, Pakistan had to pay double price by getting 38 terrorists and 2 Pakistani soldiers killed.
Now, India has effectively set lowered threshold by conveying to Pakistan that if you do any terrorist attack at the scale of Uri Attack, you will invite surgical strike.
Now you can see, in last two years, no terrorist attack happened against India at the scale of Uri terrorist attack.
Contrary to what many Indian believes, Pakistan is a smart country, it understands the difference in between the cost and benefit.
It will not do any act, which will have cost, more than its benefits.
If theory of threshold works, Pakistani terrorist attack will never match the scale of Uri Attack.
And if it does, its duty of India to maintain this threshold by launching surgical strikes again.
that's why if you remember, recently Indian army chief has clearly said, if there is need, India will conduct second surgical strike as well.
the success of Indian surgical strike can be measured only by the concept of strategic threshold.
Pakistan will continue to exploit current Indian strategic threshold, but that does not mean that Indian surgical strike was failure.
Since last Indian Surgical strike has effectively lowered Indian strategic threshold. Now the job of Indian government is to maintain and even try to lower it further.
No way, India should allow our strategic threshold to stretch to Pakistan's advantage.
As per your analysis, Was Indian surgical strike a failure or success?
Please let us know your views in comment section below.
Please find the reference links of this video in the description box below. Thank you friends for watching this video.
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