रूस के विमान के ऊपर साउथ कोरिया ने 400 गोले क्यों दागे??
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Reference -
आप ही बताएं, एक मुलाक़ात से जमीं पर क्या बदला है, जो हमारे देश के एक्सपर्ट्स इतने पैनिक में हैं, की जाने क्या से क्या कहे जा रहे हैं.
अरे भाई, अफ़ग़ान मुद्दा क्या इतना सरल है, की वह एक मुलाक़ात से भारत के हितों के खिलाफ निपटा दिया जायेगा.
आपको तो पता है, यह पुराने समय से चला आ रहा, और लम्बे समय तक चलने वाला खेल है, इसलिए उतार चढ़ाव भी आएंगे ही. तेजाइ में आकर हार जीत की भविस्य वाणी करने से अच्छा होगा, की हम सभी धैर्य पूर्वक इस खेल का हिस्सा बने रहे.
जहाँ तक ट्रम्प साहब का सवाल है, आपको तो पता है, वह मुँह खोलने और ट्वीट करने के पहले अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते हैं. अमेरिका में उनके झूठ गिने जाते ही हैं, कुछ ही समय बाद उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के अंतिम दिन भी गिने जाने लगेंगे.
लेकिन इसी बीच इतहास की एक बड़ी घटना घटित हुई, साउथ चाइना सी तो विवादित था ही, अब ईस्ट चाइना सी को भी विवादित बनाने का कार्यक्रम चालू हो चुका है.
इसकी शुरुआत ऐसे हुई की, इतिहास में पहली बार चीन और रूस मिलकर ईस्ट चाइना सी में लॉन्ग रेंज पैट्रॉल कर रहे थे.
ईस्ट चाइना सी को साउथ कोरिया, चाइना और जापान साझा करते हैं, इसलिए इन देशों के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन एक दूसरे के ऊपर ओवर लैप करते हैं. इसलिए इन तीनो देशो के विमान एक दूसरे के जोन में घुस जाते थे , और इस मामले को शांति से सुलझा भी लिया जाता था.
आपको पता होगा, एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन किसी भी देश के एयर स्पेस के चारों और का वह इलाका होता है, जिसमे निगरानी करने का उसको हक़ होता है,
सीधा एयर स्पेस का violation रोकने के लिए हर देश आने वाले खतरे की पहचान एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में करने की कोसिस करता है.
लेकिन इस बार चुकी रूस चीन के साथ मिलकर ईस्ट चाइना सी में हवाई गस्त लगा रहा था, तो यह बात साउथ कोरिया और जापान को ना गवार गुजरी.
कल की ही बात है, चीन के विमानों के साथ रूस के A50 एयर क्राफ्ट ने दो बार साउथ कोरिया के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में घुसपैठ करने की कोसिस करि,
जवाब में जापान और साउथ कोरिया ने अपने लड़ाकू विमान चीन और रूस का सामना करने के लिए भेज दिए. लेकिन कमाल तो साउथ कोरिया के F15 और F16 लड़ाकू विमानों ने किया, उन्होंने रूस के विमान की और दोनों वार कुल मिलाकर 360 वार्निंग शॉट दायर किये.
सुबह खबरे आयी थी, की रूस ने साउथ कोरिया से माफ़ी सी मांग ली है, की टेक्निकल ग्लिच के कारण यह हादसा हो गया था.
लेकिन अभी हाल में रूस ने खबरों का खंडन करते हुए, कहा है की उन्होंने साउथ कोरिया से माफ़ी नहीं मागि है, और रूस के विमानों ने मिलकर साउथ कोरिया के एयर स्पेस का violation करने की कोसिस नहीं की है.
असली बात चीन ने कही, की यह हवाई गस्त तो इंटरनेशनल लॉ के अनुसार हो रही है. इसलिए साउथ कोरिया का वार्निंग शॉट फायर करना सही नहीं है.
परेशानी यह है, यह एरिया साझा तीन देश करते हैं, तो चौथे देश रूस के साथ जॉइंट पैट्रॉल करने का आईडिया कहाँ से आया?
किसी भी विवादित छेत्र में अगर बहार से कोई पार्टी सिर्फ एक पक्ष का साथ देगी, तो क्या अन्य दो पक्ष हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहेंगे?
आपको तो पता है, इसे चीन की धीरे धीरे अतिक्रमण करने की नीति कहते हैं, इस प्रकार ईस्ट चाइना सी में विवाद को भड़काने के लिए रूस को पार्टी बना दिया गया है.
साउथ कोरिया ने भी साफ़ कर दिया है, अगली बार अगर रूस के विमान उसके इलाके में आये, तो उनका स्वागत वार्निंग शॉट से नहीं वल्कि असली शॉट से किया जायेगा.
आपको तो पता है, दोनों चीन और रूस हमेसा से नार्थ कोरिया का साथ देते आये हैं, इसलिए यह बहुत बड़े लेवल का खेल खेला जा रहा है.
एक ओर चीन और रूस आगे बड़ रहे हैं, तो दूसरी ओर ट्रम्प साहब अफ़ग़ानिस्तान से मुँह छुपाकर भागने के लिए रास्ते की भीख पाकिस्तान से मांगते दिखाई पड़ रहे हैं.
आजका बेहद आसान सवाल है, ईस्ट चाइना सी में खुरापाती चीन किस देश के साथ मिलकर हवाई गस्त लगा रहा था?
पिछले वीडियो में पूछे गए सवाल के लिए आज के लकी विनर हैं, पृथ्वीराज भोसले.
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