अफ़ग़ानिस्तान में हुए हमले में भारत के दोस्त बाल बाल बचे!!


अफ़ग़ानिस्तान में चुनाव प्रचार के चालू होते ही बिगड़ा माहौल.
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Reference -


Hello Friends, lets discuss our interesting real quick analysis. 26 जुलाई को खबरें छपी थी, की अफ़ग़ानिस्तान शांति के लिए काम कर रहे अमेरिकी राजदूत ने कहा था, की शांति के लिए तालिबान के कमिटमेंट को लेकर वह पूरी तरह से संतुस्ट हैं. लेकिन आज यही महाशय काबुल में हुए एक बड़े हमले की निंदा ट्विटर पर करते हुए पाए गए. इस हमले का टारगेट अमरुल्लाह सालेह थे. जिनकी जान बाल बाल बची है. सालेह 28 सितम्बर को होने वाले अफ़ग़ान चुनावों में उप राष्ट्रपति पद के उमीदवार है. जबकि अफ़ग़ानिस्तान के ये चुनाव दो वार पहले भी टाले जा चुके हैं, इसी बीच अफ़ग़ानिस्तान में चुनाव प्रचार का कार्यक्रम भी चालू हो गया है. इसलिए आपको समझ आ गया होगा, की प्रचार के ठीक पहले अमरुल्लाह सालेह को निशाना क्यों बनाया गया. लेकिन याद रखने वाली बात यह भी है, की अमरुल्लाह सालेह साब काबुल में रहने वाले भारत के एक दोस्त के रूप में जाने जाते हैं. कुछ महीनो पहले ही बहुत से एक्सपर्ट्स भारत से तालिबान के साथ बात करने की वकालात करते फिरते थे, लेकिन भारत के हमेसा से रहे मित्र पर हुए इस हमले से एक बार फिर सिद्ध हो गया है, की तालिबान भारत का दोस्त नहीं हो सकता है. लगता है, अफ़ग़ानिस्तान की फ़र्ज़ी शांति के लिए काम कर रहे अमेरिकी राजदूत ने मन बना लिया है, की किसी भी कीमत पर इस बार अमेरिका को बेलआउट दिला कर ही दम लेंगे. example के तौर पर, तालिबान ने हमेसा से कहा है, की वह अफ़ग़ानिस्तान की कठपुतली सर्कार से बात नहीं करेगा, जब तक अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से जाने का कार्यक्रम तय नहीं होता है. जबकि अमेरिकी चाहते थे, की तालिबान को जो भी बात करनी है, वह उसे अफ़ग़ान सर्कार से करनी चाहिए. यहाँ तक की इमरान खान साहब ने खुद कहा था, की अमेरिका से लौटने के बाद उनका मैन काम तालिबान को अफ़ग़ान सर्कार से बात करने के लिए राजी करवाना होगा. इसी बीच अफ़ग़ान सर्कार की और से खबरे आयी, की उनकी तालिबान के साथ बात चालू होने वाली है, लेकिन तालिबान ने फिर से दोहराया, की अमेरिकी सैनिको के भागने का कार्यक्रम पहले तय होना चाहिए. इसके जबाब में ख़लीलज़ाद साहब ने तालिबान की बात यह कहते हुए मान ली, की पहले अमेरिका और तालिबान के बीच एग्रीमेंट होगा, उसके बाद ही तालिबान और अफ़ग़ान सर्कार के बीच बात चीत होगी. तालिबान अभी तो अफ़ग़ान सर्कार से बात कर नहीं रहा है, जब अमेरिकी सैनिक अपना बैग पैक करना चालू कर देंगे, तब क्या तालिबान अफ़ग़ान सर्कार से बात चीत करने में अपना समय बर्बाद करेगा. दुर्भाग्यवश न तो ख़लीलज़ाद साहब और न ही उनके बॉस ट्रम्प को ऐसे सवाल पर सोचने का टाइम है. इसी बीच पाकिस्तान तालिबान को बातचीत के लिए औपचारिक इनविटेशन देने के तैयारी कर रहा है. पाकिस्तान और तालिबान के बीच होने वाली यह मुलाक़ात राष्ट्रपति ट्रम्प के लिए पाकिस्तान की ओर से प्यार भरा तौहफा साबित होगी. आइये देखते हैं, अफ़ग़ान पीस टॉक से क्या अफ़ग़ान जमीं पर शांति लौटेगी. साफ़ तौर पर इसकी सम्भावना बहुत कम है. अच्छी बात यह है, की भारत ने अभी से अपनी कमर कसनी चालू कर दी है, जब अफ़ग़ानिस्तान में आग लगेगी, तो इसकी लपटें भारत तक भी आएगी ही. आज का बेहद आसान सवाल है, अफ़ग़ानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव सितम्बर महीने में कब होने हैं? पिछले वीडियो में पूछे गए सवाल के लिए आज के लकी विनर हैं, Jayant Kumar Thank you Friends for watching this video.

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