कश्मीर से धारा 370 हटते ही,तालिबान भारत से बातचीत के लिए हुआ तैयार?
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जैसा की हम सभी का हमेसा से मानना रहा है, की भारत ने तालिबान से बातचीत नहीं करनी चाहिए.
हम अभी भी मानते हैं, की तालिबान से बातचीत करके भारत ने अपनी दोस्त अफ़ग़ान सरकार को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए.
लेकिन जैसा की अमेरिका और तालिबान के बीच बातचीत अब लगभग आखिरी चरण में पहुंच चुकी है, इस बात की सम्भावना बढ़ती जा रही है, की अमेरिका और तालिबान के बीच एग्रीमेंट हो जाने के बाद तालिबान और अफ़ग़ान सरकार के बीच बातचीत हो सकती है.
इसी बीच आज अंग्रेजी के अख़बार The हिन्दू में एक खबर छपी है, जिसमे एक अज्ञात सोर्स के हवाले से बताया गया है, की अगर भारत चाहेगा, तो तालिबान भी बातचीत के लिए तैयार है.
पिछले 30 सालों के तालिबान के अस्तित्व के दौरान भारत ने कभी भी डायरेक्ट ऑफिसियल लेवल पर तो कम से कम तालिबान से बातचीत नहीं करि है.
इसलिए सवाल उठता है, की अब अचानक से ऐसा क्या हो गया, की अन्य देशो की तरह भारत ने तालिबान के साथ डॉयलोग पार्टनर बन जाना चाहिए.
चूँकि The हिन्दू ने तालिबान के सोर्स का नाम नहीं बताया है, इसलिए इस खबर पर विश्वास करना मुश्किल है. की तालिबान को रियलिटी में भारत के साथ बात करने में इंटरेस्ट है.
लेकिन यदि थोड़े समय के लिए मान लिया जाए, की तालिबान भारत से डायलॉग चालू करना चाहता है. तो सवाल फिर भी उठेगा, की तालिबान का ह्रदय परिवर्तन कैसे हो गया है.
इसका जवाब इस बात में पाया जा सकता है, की तालिबान की तरफ से मुल्ला बरादर अमेरिका से बातचीत का नेतृत्व कर रहे हैं.
गौर करने वाली बात यह है, की पाकिस्तान की ISI ने उन्हें गिरफ्तार फरबरी 2010 में किया था, क्योकि वह तब की अफ़ग़ान सरकार से बातचीत करने की कोसिस कर रहे थे.
सायद पाकिस्तान की अनुमति के बिना अफ़ग़ानिस्तान में शांति स्थापित करने की कोसिस की सजा मुल्ला बरादर को भुगतनी पड़ी.
और उन्हें पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका की रिक्वेस्ट पर पाकिस्तान ने छोड़ा था. और इसके लिए अमेरिका हमेसा पाकिस्तान को थैंक यू बोलता रहता है, तभी से मुल्ला बरादर तालिबान की तरफ से बातचीत का नेतृत्व कर रहे हैं.
सायद मुल्ला बरादर को रिहा करने के कारण ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ मुलाक़ात का पुरूस्कार दिया गया था.
इसीलिए यह सम्भावना हो सकती है, की 8 साल तक पाकिस्तानी जेलों में सड़ने के बाद मुल्ला बरादर को पाकिस्तान से आजाद हवा में उड़ने की कीमत पता चल गयी हो.
हलाकि उनका ह्रदय परिवर्तन हुआ है, इस बात का कोई सबूत दिखाई नहीं देता है, लेकिन भारत से बातचीत बिना मुल्ला बरादर की अनुमति से तो हो नहीं सकती है.
और यह भी देखना होगा, की जब भारत और तालिबान के बीच बातचीत चालू होगी, तो पाकिस्तान कैसे रियेक्ट करेगा.
वैसे भी कश्मीर से धारा 370 की काली चादर हटने के बाद, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ऐसे घूम रहे हैं, जैसे उन्हें 1000 मधु मख्खियों ने एक साथ काट लिया हो. इसलिए तालिबान और भारत के बीच बातचीत तो उन्हें बहुत नागवार गुजरने वाली है.
हम सभी जानते हैं, दुनिया शक्तिशाली के आगे सर झुखाती है, इसलिए यदि मोदी सरकार की साहसिक छमता को जमीनी रूप में देखकर, तालिबान भी भारत से दोस्ती की चाह में बातचीत के लिए तैयार हो सकता है, लेकिन फिर भी इसके पहले तालिबान को अपने बिहेवियर से जमीं पर यह सिद्द करना होगा, की वह पाकिस्तान के चंगुल से बाहर निकलकर आजाद हो चुका है, और उसका अफ़ग़ानिस्तान और दुनिया में शांति और प्रगति में पूरा विश्वास है.
वैसे यह भी अजब संयोग है, की कश्मीर से धारा 370 हटते ही, तालिबान के सुर भी भारत को लेकर बदले बदले से सुनाई पढ़ रहे हैं.
यदि तालिबान नार्मल हो जाता है, तो भारत भी तालिबान के साथ बनी नई लोक तांत्रिक अफ़ग़ान सरकार से बात कर सकता है.
लेकिन इतिहास हमें सिखाता है, की तालिबान की बातों पर भरोसा करने वाले को केवल धोका ही खाना पड़ता है. इसलिए अभी थोड़ा और इंतजार करने में ही भलाई है.
आज का बेहद आसान सवाल है, क्या भारत ने तालिबान से बात चालू कर देना चाहिए?
पिछले वीडियो में पूछे गए सवाल के लिए आज के लकी विनर हैं, अनुराग रस्तोगी .
और इस वीडियो को देखने के लिए आपका बहुत धन्यवाद.
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