सुपर स्मार्ट मोदी जी ने आज राष्ट्रपति ट्रम्प का दिल कैसे जीत लिया??
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नमस्ते दोस्तों, चलिए आज के रोचक रियल क्विक एनालिसिस की चर्चा करते हैं.
आप सभी को पता है, की मोदी जी और ट्रम्प साहब के बीच आज मुलाक़ात हुई.
हमारी पूरी मीडिया का ध्यान सिर्फ इस और है, की इन दोनों नेताओं ने कश्मीर को लेकर क्या विचार प्रकट किये, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा, की मोदी ट्रम्प की प्रेस कांफ्रेंस के बाद दोनों देशों के बीच 40 मिनट से भी अधिक समय के लिए बातचीत हुई, जिसमे पूरा का पूरा फोकस सिर्फ ट्रेड और एनर्जी पर था.
आपको तो पता है, पाकिस्तान को बनाया ही इसलिए गया था, ताकि वह भारत की ऊर्जा और समय बर्बाद कर सके, इसलिए कम से कम इस वीडियो में पाकिस्तान के बारे में बात करके हम पाकिस्तान का जन्म सफल क्यों करें.
भारत और अमेरिका के आपसी मुद्दों की बात करते हुए, आपको लग रहा होगा, की राष्ट्रपति ट्रम्प मोदी साहब से आज इतना खुस क्यों लग रहे थे.
इसका जवाब है, मोदी साहब ने ट्रम्प को वह सुना दिया, जिसकी खुद ट्रम्प साहब को उम्मीद नहीं थी.
आप तो जानते हैं, हाल के महीनो में भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल और गैस का आयत बहुत बड़ा दिया है. जबकि दोनों देशों के नेता बात कर रहे थे, तब भारत अमेरिका से 4 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल खरीद रहा है.
और मोदी साहब ने ट्रम्प को विश्वास दिलाया, की भारत भविस्य में भी अमेरिका से और तेल खरीदेगा.
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, की अगले महीने जब मोदी जी संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में भाग लेने के लिए अमेरिका जायेंगे, तो वह टेक्सास प्रान्त के हॉस्टन शहर में अमेरिकी ऊर्जा कंपनियों के बड़े बड़े अधिकारीयों से मिलेंगे.
इस मुलाक़ात में मोदी जी का स्वाभाविक ध्यान अमेरिका से और तेल खरीदने पर होगा , लेकिन ट्रम्प साहब को चौकाते हुए, मोदी जी ने उन्हें प्रस्ताव दिया, की भारत अपनी पब्लिक सेक्टर आयल एंड गैस कंपनियों के माध्यम से अमेरिका के एनर्जी सेक्टर में निवेश करने के लिए तैयार हैं.
स्वाभाविक है, ट्रम्प साहब ने खुश हो कर कहा, की वह अपने प्रसाशन के सीनियर अधिकारियों को भी उस मीटिंग में भाग लेने के लिए भेजेंगे.
आपको सायद पता हो, राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प साहब ने अमेरिकी ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और ट्रम्प के कोर वोटर्स ऊर्जा इंडस्ट्री में काम करते हैं. इसलिए यदि भारत अमेरिका के ऊर्जा छेत्र में निवेश करेगा, तो ट्रम्प इस स्टोरी को अपनी सफलता के रूप में बेच सकते हैं.
आप तो जानते हैं, ट्रम्प साहब अगले साल चुनाव का सामना करने वाले हैं.
लेकिन हमें तो अपने देश के हितों को देखना है, जब भारत साउथ चाइना सी, रूस और इसराइल के ऊर्जा भंडारों में निवेश कर रहा है, तो कोई बजह नहीं है, की हम अमेरिका के एनर्जी रिज़र्व में निवेश न करें.
आप ही बताएं, आखिर कब तक हम सिर्फ आयल खरीदने वाले तीसरे सबसे बड़े देश बने रहेंगे, क्या भारत की कम्पनिया अमेरिका के ऊर्जा भंडारों का दोहन नहीं कर सकती है. जिससे भारत को स्वाभाविक लाभ मिलेगा.
और हमें अमेरिकी क्रूड आयल के सिर्फ खरीददार बने रहने में वैसे भी कोई रूचि नहीं है, मोदी साहब अब भारत को अमेरिका का एनर्जी के छेत्र में पार्टनर बनाने पर काम कर रहे हैं.
आगे बढ़ते हुए, लास्ट टाइम जब जापान में मोदी जी ट्रम्प साहब से मिले थे, तो मोदी जी ने अपने कॉमर्स मिनिस्टर को अमेरिका भेजने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन पियूष गोयल जी के समकक्ष अमेरिकी मंत्री पहले से कई देशों के साथ ट्रेड डील करने में बिजी थे, इसलिए कोई मुलाक़ात नहीं हो पायी.
अभी कल ही अमेरिका और जापान के बीच ट्रेड डील हो गयी है, और आशा है, की जल्द ही अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच भी ट्रेड डील हो जाएगी.
मौका देखते हुए, मोदी जी ने ट्रम्प साहब को फिर याद दिलाया, की हमारे कॉमर्स मिनिस्टर फ्रेश माइंड से मोल भाव करने के लिए तैयार है.
उम्मीद है, मोदी जी की अमेरिका यात्रा के पहले दोनों देशो के ट्रेड मिनिस्टर के बीच बातचीत शुरू हो पायेगी,
जहाँ तक अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेन्टेटिव का सवाल है, वह भी मोल भाव करने में माहिर हैं, जब तक उन्हें अपने मन की डील नहीं मिलती है, वह उसको स्वीकार नहीं करते हैं.
कोई बात नहीं, पहले भारत के ट्रेड मिनिस्टर सुरेश प्रभु की उनसे बात नहीं बन पायी, आशा है, गोयल साब अच्छे से रोबर्ट लाइटहाईजर से मोल भाव कर पाएंगे.
जिस रुख से रोबर्ट लाइटहाईजर ने कनाडा मेक्सिको जापान और साउथ कोरिया के साथ ट्रेड डील करि है, अगर उन्होंने वही लेन देन रवैया का बनाये रखा, तो भारत और अमेरिका दोनों देशो को जिताने वाली फ्री और फेयर ट्रेड डील जल्द ही हो जाएगी.
बात साफ़ है, भारत अमेरिका के साथ फ्री एंड फेयर ट्रेड डील करने के लिए तैयार है, लेकिन यदि अमेरिका के ट्रेड मिनिस्टर के पास बातचीत का समय अभी भी नहीं है, तो फिर ट्रम्प साहब को कोई हक़ नहीं है, की वह खुले में आके भारत में हाई Tariff और हार्ले Davidson को लेकर वही पुरानी घिसी पीटी बातें फिर से दोहराएं.
लेकिन हमें पूरा विश्वास है, दो लोकतंत्रो के बीच आपसी हर मतभेद को सुलझाया जा सकता है.
आज का बेहद आसान सवाल है, अब भारत अमेरिका के किस सेक्टर में निवेश करने जा रहा है?
पिछले वीडियो में पूछे गए सवाल के लिए आज के लकी विनर हैं, Ayush Shrivastava .
और इस वीडियो को देखने के लिए आपका बहुत धन्यवाद.
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