सऊदी अरब भारत में क्यों करेगा $100 बिलियन का निवेश?


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Reference -



नमस्ते दोस्तों, चलिए आज के रोचक रियल क्विक एनालिसिस की चर्चा करते हैं.
आप सभी ने अख़बारों में पढ़ा होगा, की सऊदी अरब भारत में 100 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है.

भारत में सऊदी राजदूत ने कहा है, की सऊदी अरब भारत के साथ लम्बे समय के लिए पार्टनरशिप के लिए तैयार है, और इसलिए एनर्जी, रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल्स के साथ सऊदी अरब भारत के एग्रीकल्चर और माइनिंग सेक्टर में भी निवेश करने की सोच रहा है.

आपको याद होगा, की दुनिया की सबसे ज्यादा प्रॉफिटेबल कंपनी अरामको 15 बिलियन का निवेश करके भारत की रिलायंस कंपनी के रिफाइनिंग और केमिकल बिज़नेस में 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीद रही है.

साथ ही सऊदी अरब भारत के महाराष्ट्र राज्य में 44 बिलियन डॉलर का निवेश करके, एक मेगा रिफाइनरी प्रोजेक्ट के लिए अभी भी तैयार है.

लेकिन आप सभी स्मार्ट लोग है, अपने नोटिस किया होगा, इस बारे में PTI न्यूज़ एजेंसी की खबर को हमारे सभी अख़बारों ने दना दन छापा है.


देखा जाये, तो इस खबर में कुछ भी नया नहीं है,  क्योकि इस साल फरबरी महीने में जब सऊदी अरब के सहजादे ने भारत की यात्रा करि थी, तो क्राउन प्रिंस ने कहा था, की सऊदी अरब भारत में 100 बिलियन डॉलर का निवेश करने जा रहा है.

इसलिए सऊदी अरब के राजदूत ने हाल में सऊदी अरब के क्राउन प्राइस की एक्सपेक्टेशन कोही दोहराया है.

इसलिए सवाल उठता है, क्या इस न्यूज़ के बारे में हमें खुश सिर्फ इसलिए होना चाहिए, क्योकि अब सऊदी अरब अपने क्राउन प्रिंस के विज़न 2030 के अंतर्गत भारत में 100 बिलियन डॉलर का निवेश करने के लिए तैयार है.

सबसे पहले तो क्राउन प्रिंस के विज़न 2030 के बारे में आशान्वित होने के पहले, हमें दर्पण में अपना मुँह देखना चाहिए.

आपको याद होगा, सऊदी अरब के साथ महाराष्ट्र के रत्नागिरी में इस प्रोजेक्ट का अनाउंसमेंट वर्ष 2016 में मोदी जी ने किया था.

लेकिन इससे पहले की यह प्रोजेक्ट रफ़्तार पकड़ पता, इसके पाँव में राजनीती, पर्यावरण और पोलुशन जैसी बेड़िया लग गयी.

फिर इस साल खबरे आयी, की महाराष्ट्र ने इस प्रोजेक्ट के लिए रत्नागिरी की जगह रायगढ़ डिस्ट्रिक्ट में साइट को पसंद कर लिया है.

अच्छी बात यह है, की सऊदी अरब अभी भी इस रिफाइनरी प्रोजेक्ट में इंटरेस्टेड है, लेकिन इस बीच प्रोजेक्ट को कम्पलीट करने की डेडलाइन 2022 से बड़ा कर 2025 कर दी गयी.

अपेक्षा है, जल्द ही मोदी जी सऊदी अरब की यात्रा पर जायेंगे, और इस बारे में बात और आगे बढ़ेगी. लेकिन जब तक इस प्रोजेक्ट के लिए बिना किसी विवाद के जमीनी अधिग्रहण पूरा नहीं हो जाता है, तब तक हमें ख़याली पुलाव नहीं पकाना  है.

सऊदी अरब की 50% हिस्सेदारी के साथ बनने वाली इस 44 बिलियन डॉलर की रिफाइनरी के भविष्य पर अभी भी तलवार लटकी हुई है. तो हमें यह समझ जाना चाहिए, सऊदी अरब के भारत में 100 बिलियन डॉलर के निवेश को कितनी अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ेगा.

लेकिन जबकि सऊदी अरब भारत में निवेश कर रहा है, और कश्मीर को लेकर भी सऊदी अरब ने भारत के प्रति सकारात्मक रुख अपनाया हुआ है. लेकिन फिर भी हमें भारत और सऊदी अरब के भूतकाल को नहीं भूलना चाहिए.

आप में से जायदा तर लोगों को अच्छे से याद होगा, की कश्मीर में आतंक फ़ैलाने वाले ग्रुप्स को फंडिंग कहाँ  से आती है. भारत की मस्जिदों और मदरसों को बड़े पैमाने पर सऊदी फाइनेंसियल असिस्टेंस के मिलने के बारे में आप सभी को जानकारी है.

हालाँकि सऊदी अरब और भारत के बीच रिश्ते अब अच्छे होते जा रहे हैं, लेकिन इस बात का सबूत अभी तक नदारत है. की सऊदी अरब ने एंटी इंडिया एक्टिविटीज को फंडिंग पूरी तरह से रोक दी है.

आप सभी देश भक्त लोगों की तरह हमें पूरा विस्वाश है, की मोदी सर्कार सऊदी अरब को गले लगाते समय पूरी तरह से चौकन्नी बनी रहेगी. 

इसी बीच हमें यह याद रखना चाहिए, की सऊदी अरब को भारत की जमीं खरीदने में बड़ी रूचि है. भारत के नागरिक ही हमारे यहाँ जमीं खरीद सकते हैं. लेकिन सऊदी अरब चाहता है, की मोदी सरकार रिफार्म करते हुए, विदेशियों को जमीं खरीदने की अनुमति दे दे.

खास तौर पर सऊदी अरब एग्रीकल्चरल लैंड खरीदना चाहता है, भारत में खेती करवाके सऊदी अरब अपनी फ़ूड सिक्योरिटी का इंतजाम करना चाहता है. 

पता नहीं ये कैसा फालतू आर्गुमेंट है,  जब भारत की एनर्जी सिक्योरिटी के लिए सऊदी अरब अपने तेल के कुए भारत को नहीं बेच सकता है, तो वह अपनी फ़ूड सिक्योरिटी के लिए भारत की जमीं खरीदने के सपने कैसे देख सकता है?

लेकिन फिर भी यदि मोदी सरकार ने सऊदी इन्वेस्टर्स के लिए जमीं खरीदना allow कर दिया, तो भारत में कई billions ऑफ़ डॉलर्स का निवेश हो सकता है.

आप सभी स्मार्ट लोग हैं, अगर सऊदी अरब के व्यापारियों ने भारत की जमीं खरीद ली. तो इसका भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

लेकिन निवेश के सपने देखने के लिए हम अपनी आँखें नहीं फोड़ सकते है.  विदेशी लोग जमीं खरीद पाएं, इसके लिए अगर पालिसी चेंज होना है, तो सामान रूप से सबके लिए ऐसे होना चाहिए, ताकि भारत के राष्ट्रीय हितों की लम्बे समय तक रक्षा करि जा सके.  नाकि किसी विशेष देश के लिए रियायत दी  जानी चाहिए.

अच्छी बात यह है, मोदी सरकार अभी तक तो सऊदी अरब के झांसे में नहीं आयी है. 

भारत अपनी ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने के लिए सऊदी अरब पर निर्भर है, सऊदी अरब भारत का दोस्त बनने की राह पर भी चल पढ़ा है. लेकिन जब हम सऊदी अरब से उम्मीद नहीं रखते हैं, की वह भारत के साथ दोस्ती के लिए कोई नुक्सान उठाएगा, तो हमें विश्वास है, की सऊदी अरब भी इस गफलत में नहीं रहेगा, की सऊदी अरब से आने वाले निवेश को आकर्षित करने के लिए, भारत अपने शार्ट टर्म हितों के सामने अपने ही लॉन्ग टर्म हितों को कुर्वान कर देगा.


दोस्तों, इस वीडियो में हमने जान बूझकर पाकिस्तान का कोई जिक्र नहीं किया है, क्योकि पाकिस्तान अपनी औकात से बहुत ज्यादा भारत का समय और ऊर्जा वैसे ही नस्ट कर चूका है.

लेकिन हमारे कुछ एक्सपर्ट को पाकिस्तान का ऐसा रोग लगा है, की वह यह कहते हैं, की भारत ने सऊदी अरब के निवेश को लेकर पॉजिटिव नहीं होना चाहिए, क्योकि क्राउन प्रिंस ने अपना जहाज किसी कंगाल देश के प्रधान मंत्री को अमेरिका यात्रा पर जाने के लिए दे दिया था.

जब हम यह स्वीकार नहीं करते हैं, की सऊदी अरब भारत और पाकिस्तान को जोड़कर देखे, तो क्या हमारा सऊदी अरब और पाकिस्तान को मिलाकर देखना उचित है?

आप तो समझते हैं, भारत और सऊदी अरब की दोस्ती तभी मजबूत होगी, जब दोनों एक दूसरे की हितों का ख्याल रखेंगे.


आज का बेहद आसान सवाल है, की इस साल सऊदी अरब की कंपनी अरामको ने भारत की किस कंपनी में 20% हिस्सेदारी खरीदी है?

पिछले वीडियो में पूछे गए सवाल के लिए आज के लकी विनर हैं, madhu Arjun



और इस वीडियो को देखने के लिए आपका बहुत धन्यवाद

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