UN जनरल असेंबली में मोदी और इमरान खान में से किसने अच्छा भाषण दिया?
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Reference -
https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/full-text-of-pm-modis-speech-at-unga/articleshow/71339829.cmshttps://www.youtube.com/watch?v=IcSb8XcSCWQ
जैसा की आपको पता है, आज मोदी जी और खान साहिब की संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में भाषण हुआ.
एक और जहाँ मोदी जी ने हिंदी भाषा में दुनिया को सन्देश देने की कोसिस करि और भारत का रिपोर्ट कार्ड दिखाया, तो दूसरी तरफ खान साहिब ने इंग्लिश में उर्दू भासी अपनी लोकल जनता की तालियां बटोरी.
सबसे पहले तो आपने देखा होगा, की मोदी जी ने around 17 मिनट में अपनी लिखी लिखाई स्पीच पढ़ दी, तो इमरान खान को भाषण देने में अराउंड 50 मिनट का समय लगा.
इसलिए यह अपेक्षा करना जायज़ है, की इमरान खान ने मोदी जी की तुलना में ज्यादा मुद्दे कवर किये होंगे.
लेकिन एक और जहाँ मोदी जी ने क्लीन इंडिया मिशन,हेल्थ assurance स्कीम, फाइनेंसियल inclusion स्कीम, सिंगल use प्लास्टिक, पानी, सड़क और घर, TB को मिटाने की मुहीम, कैसे भारत UN के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए काम कर रहा है, ग्लोवल वार्मिंग, Renewable एनर्जी, डिसास्टर रेसिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर, UN पीस कीपिंग मिशन में भारत का योगदान, आतंकवाद के खिलाफ दुनिया के एक जुट होने का आह्वान, बहु ध्रुवीय विश्व का महत्वा जैसे 15 से भी अधिक मुद्दों को उठाया.
तो दूसरी और इमरान खान के ही शब्दों में, वह UN जनरल असेंबली में आना ही नहीं चाह रहे थे, लेकिन चार मुद्दों ने उन्हें UN जनरल असेंबली में आकर भाषण देने के लिए मजबूर कर दिया.
लेकिन अगर हम ध्यान से देखें, तो उन्होंने क्लाइमेट चेंज, करप्शन और मनी लॉन्डरिंग, इस्लामफोबिआ जैसे तीन मुद्दों को कवर करने में 25 मिनट लगा दिए, और फिर आतंकवाद और कश्मीर के ऊपर बात करने में अपने वाकी के 25 मिनट खर्च कर दिए.
इस प्रकार कंटेंट की कवरेज के हिसाब से देखा जाये, तो जहाँ मोदी जी ने लगभग 15 मुद्दे 17 मिनट में उठाये, तो इमरान खान ने अराउंड 5 मुद्दे 50 मिनट में उठाये.
इससे सिद्ध हो जाता है, कौन स्पीच देने के पहले कितनी मेहनत करके आया था.
आगे बढ़ते हुए, जहाँ हर मुद्दे को उठाते हुए, मोदी जी ने दुनिया को यह बताने की कोसिस करि, की इन समस्यायों के निदान में भारत कैसे अपनी भूमिका निभा रहा है. और मोदी जी ने अपेक्षा करि, की दुनिया देर सवेर आतंकवाद के खिलाफ एक जुट होकर खड़ी होगी.
लेकिन इमरान खान ने क्लाइमेट चेंज के लिए दुनिया को जिम्मेदार ठहराया, और फिर यह बतलाया, की उन्होंने 1 बिलियन पेड़ लगाए हैं, और वह भविस्य में 10 बिलियन पेड़ लगा सकते हैं. लेकिन साथ में यह भी जताया, की अकेला पाकिस्तान कर ही क्या सकता है.
करप्शन और मनी लॉन्डरिंग के केस में पाकिस्तान ने दुनिया के अमीर देशो को ज्ञान दिया, की उन्हें पाकिस्तान का जमा पैसा आसानी से लौटाना चाहिए. इस समस्या के निपटारे के लिए पाकिस्तान ने सब कर दिया है, अब पूरा का पूरा दारोमदार पश्चिमी देशो पर है.
फिर इस्लामफोबिआ की बात आयी, तो इसके लिए भी पूरी दुनिया के सर दोष धर दिया गया, की वह इस्लाम का सही मतलब नहीं समझ पाए, और मुस्लिम वर्ल्ड के पूर्व नेताओं को blame किया गया, की उन्होंने इस्लाम का सही मायने दुनिया को नहीं बताया.
आगे बढ़ते हुए, पिछले तीस सालों में अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकवाद का ठीकरा उन्होंने सोवियत यूनियन और अमेरिका के सर मड़ दिया.
फिर कश्मीर की बात आयी तो उन्होंने मोदी जी और आरएसएस की विचार धारा को जिम्मेदार ठहरा दिया. और दुनिया को चेतावनी दे डाली, की जैसे ही कश्मीर में कर्फ्यू हटेगा, तो सडकों पर खून की नदिया बहेंगी.
और फिर दुनिया का ध्यान अपनी और खीचने के लिए वही घिसी पिटी परमाणु युद्ध की घंटी बजा दी.
और यह भविस्यवाणी करि, की कश्मीर और भारत के मुस्लमान मोदी सर्कार के दमन के कारन हथियार उठाने को मजबूर होंगे .
इस प्रकार, शुरुआत में शांति की वकालत करते करते, स्पीच के लास्ट में इमरान खान आतंकवाद की पैरवी करने लगे.
आखिरी हिस्से में इमरान खान की स्पीच को सुनते हुए ऐसा लग रहा था, जैसे की भारत का ही कोई लिबरल एक्सपर्ट UN में ज्ञान बाँट रहा हो. इसलिए भारत के एक्सपर्ट लोग किस पाकिस्तानी कुए का पानी पीते है, यह भी आपको समझ आ गया होगा.
इस प्रकार से देखा जाये तो जहाँ मोदी जी राष्ट्र नेता के तरह UN में स्पीच दिए है, तो दूसरी और इमरान खान ने रोतलु बच्चे की तरह दुनिया पर दोष धर कर और अपने आप को विक्टिम बताने का असफल प्रयास किया है.
जब इमरान खान रोना धोना मचा रहे थे, तब हमारे मन में यही सवाल आ रहा था, की हर चीज़ के लिए भारत समेत दुनिया जिम्मेदार है, तो कम से कम नए पाकिस्तान के प्रधान मंत्री कब पुरानी बीमारी पोलिओं को पाकिस्तान से उखाड़ने वाले है? पाकिस्तान पोलियो की बीमारी से नहीं निपट पाया, इसके लिए अफ़ग़ानिस्तान इंडिया और अमेरिका में से कौन कितना जिम्मेदार है, अच्छा होता, खान साहिब यह भी बता देते.
स्पीच के अंत में इमरान खान ने बताया की आरएसएस की बिचार धारा ने महत्मा गाँधी जी की जान ली. तो UN में आज इमरान खान यह भी बता देते, की ऐसे महात्मा के घोर विरोध के बाबजुद पाकिस्तान क्यों बनाया गया?
आजकल पाकिस्तान को गाँधी और नेहरू की बहुत याद आती है. अगर उनके भारत से उन्हें इतना ही प्यार था, तो वह अलग पाकिस्तान का सपना क्यों देखने लगे?
मोदी जी की स्पीच की बात करें, तो और अच्छा होता, की हमारी उम्मीद के मुताबिक, वह पाकिस्तान के बलोचिस्तान, सिंध, KP और गिलगित बाल्टिस्तान एवं चीन के सिंजियांग और होन्ग कोंग में मानव अधिकारों के दमन की बाते उठाते.
लेकिन हमें यह बात समझ आती है, की भारत दुनिया के अन्य देशों के आतंरिक मामलों में दखन न दे देने की निति पर चल रहा है, और इसके पीछे हमारी अपेक्षा यही रहती है, की अन्य देश भी भारत के अंदरूनी मामलों में अपनी टांग नहीं अड़ाएंगे.
आप सभी समझदार लोग है, हम सभी ने देखा है, की भारत एक तरफ़ा इस नियम का पालन कर रहा है, तो दूसरी और चीन और उसका प्यादा पाकिस्तान भारत के मामलों में हस्तछेप करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं.
इसलिए हम सभी को यह उम्मीद रहती है, की आखिर कभी तो भारत जैसे को तैसा की नीति पर चलते हुए, चीन और उसकी कठपुतली पाकिस्तान को उन्ही के खेल में मात देगा.
इस वीडियो के आखिर में, यदि आप हमसे मोदी जी और इमरान खान की स्पीच को कुल मिलाकर रेट करने को कहें, तो हम मोदी जी की स्पीच को 10 में से 8 अंक देंगे, तो इमरान खान की स्पीच को 10 में से 2 मार्क्स ही दे पाएंगे.
आप मोदी जी और इमरान खान की स्पीच को 10 में से कितने अंक देंगे, आप नीचे कमेंट सेक्शन में लिख कर बताएं.
और इस वीडियो को देखने के लिए आपका बहुत धन्यवाद
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