मलेशियन पाम आयल के बॉयकॉट के लिए मोदी सरकार ने दिया मजबूती से जवाब



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आप सभी दर्शको को हमारा नमस्कार, चलिए आज के रोचक रियल क्विक एनालिसिस की चर्चा करते हैं.

आप सभी को पता है, भारत के व्यापारियों ने खुले तौर पर मलेशिया के पाम आयल का बहिस्कार करने का आह्वाहन किया हुआ है.

और भारत से अगले कुछ महीनो के लिए मलेशिया को कोई पाम आयल का आर्डर भी नहीं मिला है.



आप जानते होंगे, मलेशिया दुनिया में सबसे बड़े पाम आयल के उत्पादकों में से एक है. दुनिया का 28% पाम आयल केवल मलेशिया से ही आता है.



जबकि मलेशिया के कृषि उत्पादों के निर्यात में सबसे बड़ा हिस्सा पाम आयल का है, लेकीन पिछले कुछ समय से मलेशिया के पाम आयल को यूरोप में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.



पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पाम आयल के पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव के बारे में यूरोपियन यूनियन तो जाग उठा है, लेकिन वह पहले की तरह सोते रहें, इसके लिए पिछले कुछ महीनो में मलेसिआ ने करोड़ों रुपये पाम आयल की पब्लिसिटी में लगाए हैं.



अब आप देखिये, एक और अपना पैसा खर्च करके मलेशिया पाम आयल की इमेज चमकाने की कोसिस कर रहा था, तो दूसरी और मलेशिया के प्रधान मंत्री UN जनरल असेम्ली में कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के दिल की बात को अपने मन की बात के रूप में दुनिया में बेच रहे थे.



परिणाम यह हुआ, की पाम आयल के लिए यूरोप का दरवाजा तो बंद हो ही रहा था, साथ ही भारत में भी मलेशिया के पाम आयल के लिए नो एंट्री का बोर्ड unofficially ही सही लगा तो दिया गया.



जबकि भारत में मलेशिया के पाम आयल का विरोधः जोर पकड़ रहा था, मलेशिया के प्रधान मंत्री और भारत की मीडिया इस बात को जोर शोर से उठा रही थी, की इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई बक्तव्य अभी तक नहीं आया है.



चलिए कल भारत ने मलेशिया के प्रधान मंत्री और मीडिया की मुराद भी पूरी कर दी.



कल विदेश मंत्रालय ने साफ़ तौर पर कहा, मलेशिया के प्रधान मंत्री ने कश्मीर को लेकर जो बातें UN जनरल असेंबली में कही थी, वह भारत के लिए unacceptable है. और समय आ गया है, मलेशिया को इस बारे में आत्म चिंतन करना चाहिए.



जहाँ तक पाम आयल के इम्पोर्ट का सवाल है, भारतीय विदेश मंत्रालय ने मजबूती के साथ कहा, की किसी भी देश से कौन सा माल import करना है, या नहीं, यह निर्णय लेने का पूरा अधिकार इम्पोर्टर यानि की भारत का अपना है.



साथ ही यदि दो देशो के बीच रिस्तें में खटास आएगी, तो यह नहीं हो सकता था, की आपसी व्यापर में मिठास बनी रहेगी.



बात साफ़ है, अगर मलेशिया भारत के खिलाफ बयां वाजी करेगा, तो भारत मलेशिया के साथ व्यापार पहले की तरह कैसे जारी रख सकता है.





वैसे भी जब मलेशिया के पाम आयल पर बिना आधिकारिक तौर पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाये, भारत मलेशिया से तेल खरीदना बंद कर सकता है,तो जरूरत ही क्या है, की हम खुले में आकर, मलेशिया को WTO  के सामने विक्टिम बनने का सुनहरा अवसर दे.

आप ही बताएं, जब इशारे से काम चल सकता है, तो मलेशिया की अकल ठिकाने लगाने के लिए भारत कोई कदम क्यों उठाये?


लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय के इस स्टेटमेंट के बाद, उम्मीद है, मलेशिया की यह गलत फहमी दूर हो जाएगी, की भारत कैसे न कैसे करके कश्मीर पर मलेशिया के बयान को पचा लेगा .



वैसे भी आज जो भारत मलेशिया के साथ कर रहा है, उसके कारण मलेशिया का दिल नहीं मचलना चाहिए.



क्योकि मलेशिया का पाकिस्तान से भी प्यारा दोस्त चीन भी तो यही सब मंगोलिया, थाईलैंड और साउथ कोरिया जैसे देशो के साथ करता रहा  है.



इसलिए जब चीन ऐसा बर्ताव इन देशो के साथ कर रहा था, तो मलेशिया चीन की दोस्ती की कसमे खाकर तमाशे को मजे से देख रहा था.



आज जब भारत ठीक वैसा ही बर्ताव मलेशिया के साथ कर रहा है. तो चीन भी तमाशे को देख रहा है.



जबकि भारत जो मलेशिया के साथ कर रहा है, वह बिलकुल सही है, भारत अपने दुश्मन के खिलाफ हर प्रकार के हथियार का बिना किसी झिझक के मजबूती से इस्तेमाल करेगा.



लेकिन हमें आज यह नहीं भूलना चाहिए, की UN जनरल असेंबली में पाकिस्तान का राग चीन ने भी अलापा था.



इसलिए मलेशिया जैसे मच्छर से तो हम निपट लिए, एक न एक दिन भारत चीन को भी कीमत चुकाने के लिए मजबूर कर पाए, तभी हम  सभी को सुकून मिलेगा.



आप ही बताएं, एक गलती के लिए एक और भारत ने मलेशिया का पाम आयल खरीदना बंद कर दिया, तो दूसरी और ठीक वैसी ही गलती करने के बाबजूद भारत ने चीन के राजा को चेन्नई में नारियल पानी पिलाया.



भारत मलेशिया जैसे चीन के चमचो से निपटने के बजाय, सीधा चीन से जल्द ही निपटेगा, इसी एक उम्मीद के साथ हम यह वीडियो समाप्त करते हैं.



आज का बेहद आसान सवाल है, दुनिया के कितने फ़ीसदी पाम आयल का उत्पादन मलेशिया में होता है?





और इस वीडियो को देखने के लिए आपका बहुत धन्यवाद

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