मोदी जी की सऊदी अरब की यात्रा में क्या बेहद खास हुआ??
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जैसा की आपको पता है, की सऊदी अरब की यात्रा पर गए हुए मोदी जी ने कहा है, भारत और सऊदी अरब के बीच स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप कॉउन्सिल के बनने से दोनों देशो के बीच सामरिक सम्बन्ध अगले उच्च स्तर पर पहुंच जायेंगे.
हमारी मीडिया में इस खबर को बड़े पैमाने पर कवर किया जा रहा है, लेकिन इस वीडियो में हम यह देखेंगे, की आखिर यह स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप कॉउन्सिल होती क्या है, और क्या इससे भारत को कोई लाभ मिल सकता है?
सबसे पहले तो ध्यान रखने वाली बात यह है, सऊदी अरब ने वर्ष 2016 में अपने विज़न 2030 के अंतरगत निर्णय लिया था, की वह 8 देशो के साथ स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप स्थापित करेगा.
जबकि इन आठ देशों में पाकिस्तान शामिल नहीं है. आपके ध्यान में होगा, पाकिस्तान ने अभी कुछ दिनों पहले सऊदी अरब और ईरान के बीच चौधरी बनने की नाकाम कोसिस करि थी. हमें यह उम्मीद बिलकुल भी नहीं है, की पाकिस्तान यह सवाल पूछेगा, की आखिर क्यों सऊदी अरब दुनिया की एक मात्र मुस्लिम परमाणु शक्ति से स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप बनाने से कतराता है.
कोई बात नहीं, हमें वैसे भी चीन के पालतू गुंडे पाकिस्तान पर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए.
आपको सायद पता होगा, सऊदी अरब के विज़न 2030 के अनुसार सऊदी अरब अब कच्चे तेल के व्यापार पर अपनी निर्भरता कम करने की जुगाड़ में लगा है, साथ ही उसे माल, सर्विस और हथियारों के व्यापार में अपना लोहा मनवाना है.
इसलिए उसने 8 देशो के साथ स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप प्रोग्राम का विकास किया है. अब जबकि भारत इस प्रोग्राम में शामिल होने वाला है, हमें यह समझना होगा, की इस प्रोग्राम के अंतर्गत बानी कॉउन्सिल काम कैसे करेगी.
सबसे पहले तो इस कॉउन्सिल का भारत की तरफ से मोदी साब और सऊदी अरब की तरफ से क्राउन प्रिंस MBS नेतृत्व करेंगे, ताकि दोनों देशो के बीच आपसी सहयोग जो अभी तक तेल के व्यपार तक ही सीमित है, उसे अन्य छेत्रों में मजबूत किया जा सके.
इस कॉउन्सिल में दो सामानांतर मैकेनिज्म काम करेगीं.
पहली पोलिटिकल और डिप्लोमेटिक सम्बन्धो को बढ़ाने के लिए मैकेनिज्म का सुपरविशन दोनों देशो के विदेश मंत्री करेंगे.
और दूसरी कमर्शियल और एनर्जी सम्बन्धो को बढ़ाने वाली मैकेनिज्म का सुपरविशन दोनों देशो के कॉमर्स मिनिस्टर करेंगे.
इस प्रकार यह कौंसिल पोलिटिकल, डिप्लोमेटिक, कमर्शियल और एनर्जी समबधों को मजबूत बनाएगी, और प्रगति करने की जिम्मेदारी दोनों देशो के सर्बोच्च नेताओं की होगी.
सबसे पहले तो यह साफ़ दिखाई पड़ता है, की सऊदी अरब और इंडिया के बीच सामरिक भागीदारी को मजबूत बनाने के लिए स्थायी व्यवस्था का निर्माण किया जाना, एक स्वागत योग्य कदम है.
जबकि सऊदी अरब भारत में 100 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है, और यह भी सम्भावना है, की सऊदी अरब भारत के आयल के स्ट्रेटेजिक रिज़र्व को बनाने में भी निवेश कर सकता है.
सऊदी अरब का भारत में बढ़ता हुआ निवेश भी स्वागत योग्य हो सकता है, लेकिन हमारी मीडिया की तरह हमें यह नहीं भूलना चाहिए, की पिछले साल भारत और सऊदी अरब के बीच हुए आपसी व्यापार में भारत को 23 बिलियन डॉलर का भारी भरकम घाटा हुआ था.
और उसके पहले के साल में भारत को सऊदी अरब के साथ व्यापार में 17 बिलियन डॉलर का घाटा हुआ था.
आप सभी को पता है, इस व्यापारिक घाटे का सबसे बड़ा कारण भारत की ऊर्जा के लिए सऊदी अरब के ऊपर निर्भरता है. सऊदी अरब भारत के लिए कच्चे तेल का प्रमुख सप्लायर है.
लेकिन जैसा की मोदी जी ने कहा है, की अब भारत और सऊदी अरब के सम्बन्ध buyer seller के नहीं रह गए है. अब दोनों देश स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप की दिशा में आगे बड़ रहे हैं.
इन मीठी मीठी बातों को सुनते समय हमें यह नहीं भूलना चाहिए, की भारत के साथ व्यापार करके सऊदी अरब माला माल हो रहा है. और सऊदी अरब का जो पैसा भारत में निवेश होगा, वह कोई उपकार नहीं है, वह हमारा ही पैसा है, जो घूमफिर कर हमारे देश में आ रहा है.
हम सिर्फ यह कहना चाह रहे हैं, की स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप कॉउन्सिल की सफलता तभी सिद्ध होगी, जब आगे आने वाले समय में दोनों देशो के बीच व्यापार संतुलित होगा.
दोनों देशो के बीच व्यापार ऐसे बढ़ना चाहिए, की दोनों देशों को लाभ हो. बढ़ते हुए आपसी व्यापार की कीमत अकेला भारत ही क्यों चुकाता रहे, जैसा की आज तक चलता रहा है.
उम्मीद है, सऊदी अरब भी यह नहीं सोचेगा, की वह भारत का खून चूस कर फलता फूलता रहेगा. शक्तिशाली और समृद्ध भारत के साथ स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप करने से ही सऊदी अरब को लाभ होगा.
हाल ही के कुछ समय में सऊदी अरब ने भारत के कश्मीर जैसे सामरिक हितों का ख्याल रखा है, हम सऊदी अरब की इस समझदारी का सम्मान भी करते हैं.
लेकिन हमारा मैन पॉइंट सिंपल है, अब समय आ गया है, सऊदी अरब भारत में निवेश बढ़ाने के साथ साथ, भारत के माल और सेवाओं को भी बड़े पैमाने पर ख़रीदे.
क्योकि दो देशो के बीच के व्यापार के आंकड़े संतुलन में बने रहें, तभी दोस्ती भी मजबूत बनी रह पायेगी.
आज का बेहद आसान सवाल है, सऊदी अरब और भारत के बीच ट्रेड में साल दर साल घाटा किस देश को खाना पढ़ रहा है?
पिछले वीडियो में पूछे गए सवाल के लिए आज के लकी विनर हैं, पारसनाथ यादव .
और इस वीडियो को देखने के लिए आपका बहुत धन्यवाद
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