मोदी सरकार में 5G ट्रायल में चाइनीस कंपनियों को शामिल किया!!
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Reference -
https://economictimes.indiatimes.com/tech/hardware/huawei-india-ceo-thanks-government-for-its-faith-in-the-chinese-firm/articleshow/73035511.cms
https://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/huawei-cleared-for-5g-trials-as-govt-brushes-aside-us-concerns/articleshow/73038565.cms
https://www.livemint.com/industry/telecom/govt-to-give-spectrum-for-5g-trials-to-all-including-huawei-telecom-minister-11577704145912.html
https://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/5g-panel-head-wants-chinese-vendors-excluded-from-trials/articleshow/70032601.cms
https://timesofindia.indiatimes.com/blogs/toi-editorials/dont-hug-huawei-beware-of-allowing-chinese-firms-entry-into-indias-5g-market/
https://www.indiatoday.in/magazine/up-front/story/20190715-guest-column-huawei-5g-trust-but-verify-1562083-2019-07-05
https://www.cnbc.com/2019/03/05/huawei-would-have-to-give-data-to-china-government-if-asked-experts.html
जैसा की हम सभी को पता लग गया है, अगले साल जनवरी में शुरू होने वाली 5G ट्रायल में सभी प्लेयर्स को भाग लेने की अनुमति भारत सर्कार ने दे दी है.हम भविस्य में बेहतर और ज्यादा संख्या में वीडियो बना पाए, इसलिए अब आप PayTM, Google Pay, Phone Pe नंबर - +917649046884 पर आसानी से हमें डोनेट (any amount) कर सकते हैं. Thank You!!
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https://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/huawei-cleared-for-5g-trials-as-govt-brushes-aside-us-concerns/articleshow/73038565.cms
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https://timesofindia.indiatimes.com/blogs/toi-editorials/dont-hug-huawei-beware-of-allowing-chinese-firms-entry-into-indias-5g-market/
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https://www.indiatoday.in/magazine/up-front/story/20190715-guest-column-huawei-5g-trust-but-verify-1562083-2019-07-05
https://www.cnbc.com/2019/03/05/huawei-would-have-to-give-data-to-china-government-if-asked-experts.html
कल रात को हमने इस टॉपिक पर पोल भी किया था, जिसमे आप में से 74 फीसदी लोगों का कहना था, की भारत सर्कार ने चाइनीस कंपनियों को 5G ट्रायल में शामिल नहीं करना चाहिए, क्योकि चीन पर भरोसा करना खतरे से खाली नहीं होगा.
5G ट्रायल में भारत सर्कार ने चाइनीस कंपनी हुआवे को क्यों शामिल किया और क्यों नहीं किया, इस पर बात करने से पहले हम जरा यह देखते हैं, की हुआवे के फाउंडर ने चीन के राष्ट्रपति से वर्ष 1994 में कहा था, की नेटवर्क इक्विपमेंट नेशनल सिक्योरिटी से जुड़े हुए हैं. जिस देश के पास अपने खुद के नेटवर्क इक्विपमेंट नहीं हैं, वह ऐसा ही है, जैसे उसके पास खुद की सेना नहीं है.
ऐसा लगता है, की चीन को हुआवे के सीईओ और फाउंडर की बात समझ आ गयी, लेकिन वर्ष 2019 तक भारत सर्कार के गले यह बात नहीं उतर पाई है.
भारत सर्कार के टेलीकॉम मिनिस्टर का कल कहना था, की वह इंडियन प्लेयर्स का 5G की फील्ड में इनोवेशन देखना चाहते हैं, क्योकि 5G ही फ्यूचर है.
यह बात तो बहुत सही है. लेकिन बिना किसी सरकारी सहारे की इंडियन प्लेयर्स सबसे सस्ते 5G टेलीकॉम इक्विपमेंट बेचने वाली हुआवे के साथ कैसे compete कर पाएंगे, यह बात हमारी समझ के परे हैं.
हमें यहाँ याद करना होगा, की 5G पर बनी हाई लेवल कमिटी के हेड और भारत सर्कार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर ने तो यहाँ तक कहा था, भारत ने 5G ट्रायल्स तुरंत चालू कर देनी चाहिए, लेकिन उसमे चाइनीस कंपनियों को शामिल नहीं करना चाहिए.
यहाँ पर साफ़ करने वाली बात यह है, की हम 5G ट्रायल में सभी players के भाग लेने का समर्थन करते हैं. वैसे भी जब हमें कुछ भी खरीदना होता है,तो हम मार्किट में उपलब्ध सभी विकल्पों पर खुले मन से विचार करते हैं, और फिर अपने लिए सबसे बेहतर विकल्प चुनते हैं.
इसलिए यदि 5G ट्रायल का उद्देस्य हुआवे की टेक्नोलॉजी को टेस्ट करना है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है.
लेकिन बड़ा सवाल यह है, की क्या हमारे पास ऐसी छमता है, की हम 5G टेक्नोलॉजी इक्विपमेंट से भविस्य में पैदा होने वाले खतरों की पहचान आज कर पाएं? साफ़ तौर पर अभी तो हमारे पास ऐसी छमता कमजोर ही दिखाई पड़ती है.
वैसे भी हमारा अनुभव हमें सिखाता है, की खतरों की समय से पहले पहचान कर पाने में हम आम तौर पर फ़ैल ही होते हैं. हमने कई बार अपने घर में आग लग जाने के बाद ही कुआ खोदा है.
चलिए यदि हम मान लेते हैं, की भारत के पास ऐसी छमता है, की हम हुआवे के इक्विपमेंट में लगे बैकडोर की पहचान कर सकते हैं.
तो क्या हमें यह नहीं पता, की चीन के वर्ष 2014 और 2017 के इंटेलिजेंस और espionage लॉ साफ़ साफ़ कहते हैं, की इंटेलिजेंस को इकहट्टा करने में हर चाइनीस कंपनी को चाइनीस स्टेट का साथ देना होगा.
इसलिए ट्रायल में कौन भाग ले रहा है, इसमें किसी को कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन यदि इंडिया के 5G नेटवर्क में चीन की कंपनी के इक्विपमेंट एक्चुअली में लग जाते है, तो आने वाले भविस्य के लिए हमारे सर पर तलवार तो लटक ही जाएगी.
भविस्य में यदि कभी भारत और चीन के बीच आल आउट वॉर हुआ, तो क्या हमें यह डर नहीं होगा, की चीन सिर्फ एक बटन को दवा कर भारत के पुरे मेडिकल अथवा रेलवे नेटवर्क को बिठा सकता है.
चीन क्या करेगा, डर इस बात का नहीं है, डर इस बात का होगा, की चीन ऐसा क्या क्या कर सकता है, जिसके बारे में हमें कोई अंदेशा ही नहीं है.
चाइनीस कंपनियों को 5G नेटवर्क में शामिल करने को लेकर एक तर्क यह दिया जाता है, की वह अभी सबसे सस्ते इक्विपमेंट बनाती है, और 5G टेक्नोलॉजी में वर्ल्ड लीडर हैं.
और उनका विरोध इसलिए किया जा रहा है, ताकि अमेरिकी और यूरोपियन कंपनियों को भारत में अपने महगे इक्विपमेंट बेचने का मौका मिल जाये.
यह बात सही भी हो सकती है, लेकिन बड़ा सवाल यह है, की क्या वर्तमान में सस्ते के चक्कर में हम भविस्य का महगा खतरा मोल ले सकते हैं.
यहाँ पर एक सवाल यह भी है, भारत सर्कार ने 5G ट्रायल में चाइनीस कंपनियों को allow कर दिया, लेकिन उनसे बाद में इक्विपमेंट खरीदने से इंडियन टेलीकॉम प्लेयर्स को कौन रोकेगा.
हमारे टेलीकॉम प्लेयर्स की आर्थिक हालत वैसे भी ख़राब है, और 5G स्पेक्ट्रम की सर्कार के द्वारा तय की गयी ऊँची कीमत ने वैसे भी उन्हें दिन में तारे दिखा दिए हैं.
इसलिए यदि भारत सर्कार ने कोई पालिसी डिसिशन नहीं लिया, तो इस बात की संभावना अधिक है, की जिस तरह एयरटेल और वोडाफोन ने 4G में हुआवे के इक्विपमेंट लगाए, उसी तरह कई टेलीकॉम कंपनियां अपने 5G network में भी हुआवे को शामिल होने दे.
हुआवे को भारत के 5G नेटवर्क में शामिल करने को लेकर एक तर्क यह भी दिया जाता है, की यदि चाइनीस कंपनी हमारी जासूसी कर सकती है, तो अमेरिका और यूरोप की कम्पनिया भी तो कर सकती है.
लेकिन ऐसी बातें करने वाले बड़े बड़े एक्सपर्ट से हमारा छोटा सा सवाल यह है, की दुनिया का सबसे लम्बा सीमा विवाद भारत का चीन के साथ है, अमेरिका और यूरोपियन देशो के साथ नहीं.
1965 की तरह अमेरिका और यूरोपियन देश ने हमारे ऊपर हमला करके हमें हराया नहीं है.
और यदि भारत सरकार यह समझती है, की चाइनीस कंपनियों को 5G में शामिल करने से चीन पाकिस्तान को पालने के बजाये भारत के साथ सच्ची दोस्ती निभाने लगेगा. तो भारत सरकार की ऐसी गलत फहमी एक बार फिर जल्द दूर होगी, यह हम सभी को पता है.
चाइनीस ड्रैगन को भारत सरकार कितना ही दूध पिला ले, वह भारत के खिलाफ उगलेगा जहर ही.
अंत में हम यही कहना चाहेंगे, की सभी प्लेयर्स की 5G ट्रायल होती रहे, लेकिन 5G नेटवर्क में चाइनीस कंपनियों के इक्विपमेंट लगने देना भारत के लिए खतरे से खाली नहीं होगा.
चाइनीस कंपनियों को भारत के भविस्य के साथ खिलवाड़ करने का मौका मोदी सरकार नहीं देगी, हमें विस्वास के साथ ऐसी उम्मीद है.
इस टॉपिक पर वीडियो बनाने के लिए हमारे दर्शक धीरज शर्मा ने हमें सजेस्ट किया था, हम उन्हें धन्यवाद देते हैं.
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