टर्की के राष्ट्रपति पाकिस्तान आएंगे,पाकिस्तानी दल जायेगा मलेशिया!!


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इस वीडियो की शुरुआत में आप सभी को नए शाल की बहुत बहुत शुभकामनाये, We wish you happy new year.



जैसा की आपको पता है, वर्ष 2019 का आखिरी महीना पाकिस्तान के लिए बहुत बुरा गुजरा.



जब कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ किसी ने नहीं दिया, तब UN जनरल असेंबली में पाकिस्तान के साथ खड़े थे दो देश, टर्की और मलेशिया.



लेकिन जिन दो देशो ने पाकिस्तान की मदद करि, उन्ही दो देशो को पाकिस्तान ने दिसंबर महीने में ऐसा धोका दिया, जिसे टर्की और मलेशिया सायद ही कभी भूल पाएं.



UN जनरल असेंबली में टर्की और मलेशिया के मन में मचलते हुए चौधरी बनने के ख्वाब का लाभ उठाते हुए, सितम्बर महीने में पाकिस्तान की मदद से तय हुआ, की दिसंबर महीने में मलेशिया समिट का आयोजन किया जायेगा.



लेकिन जैसे ही सऊदी अरब को भनक लगी, की पाकिस्तान टर्की और मलेशिया के साथ मिलकर OIC के सामानांतर एक और संगठन खड़ा करना चाहता है, उसकी आँखें लाल और कान खड़े हो गए.



और ऐसा कोई अच्चानक से नहीं हुआ, पाकिस्तान ने जान बूझकर ऐसा किया, ताकि OIC को आइना दिखाया जा सके .



एक और टर्की के राष्ट्रपति ने मलेशिया में कहा, की पाकिस्तान ने कुआलालम्पुर समिट से जुदा होने का निर्णय इसलिए लिया , क्यों की सऊदी अरब ने पाकिस्तान को धमकी दी है, की यदि पाकिस्तान ने मलेशिया समिट को अटेंड किया, तो पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक में जमा सऊदी अरब के पैसे एब्सेंट हो जायेंगे.


और सऊदी अरब में काम कर रहे 40 लाख पाकिस्तानियों की जगह पर बांग्लादेशियों को काम पर रख लिया जायेगा.



तो कुआलालम्पुर समिट के बाद सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा करि. और उसके बाद ऐसी खबरें आयी की OIC के विदेश मंत्रियो की कश्मीर मुद्दे पर एक स्पेशल मीटिंग का आयोजन इस्लामाबाद में किया जायेगा.



इसी बीच इंडिया टुडे अख़बार को अज्ञात सूत्रों के हवाले से पता चल गया, की पाकिस्तान में कश्मीर पर OIC की मीटिंग तो होना है, लेकिन उसमे OIC सदस्य देशो के विदेश मंत्री नहीं, बल्कि संसद सदस्य मिलेंगे.



पाकिस्तानी अख़बारों में क्या छपा और बाद में भारतीय अख़बारों ने क्या छापा इसकी आधिकारिक पुस्टि अभी तक ना तो पाकिस्तान ने करि, ना ही सऊदी अरब ने और ना ही OIC ने आजतक करि है.



लेकिन इतिहास का फैक्ट हमारे सामने है, कश्मीर मुद्दे पर आपसी समन्वय को बढ़ाने के लिए OIC कांटेक्ट ग्रुप की स्थापना वर्ष 1994 में करि गयी थी .



यहाँ तक की जम्मू और कश्मीर से धारा 370 के हटाए जाने के बाद इस OIC कांटेक्ट ग्रुप ने दो बार चिंता जाहिर करते हुए, स्टेटमेंट जारी करे हैं.



इसलिए अब यदि अप्रैल महीने में फिरसे OIC का कांटेक्ट ग्रुप किसी भी स्तर पर पाकिस्तान में मिलता है, और उसके बाद में स्टेटमेंट जारी किया जाता है. तो उसे भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक हार के रूप में हमारी मीडिया क्यों देख रही है, यह हमारी समझ में तो नहीं आ रहा है.



OIC के कांटेक्ट ग्रुप के  स्टेटमेंट की हैसियत इतनी तक नहीं है, की भारतीय विदेश मंत्रालय उसको जवाब देने के लिए अलग से प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन करे.



देखा जाये तो अपने घमंड के गुब्बारे में जूठ की गरम हवा भरने के लिए अज्ञात श्रोतों के हवाले से पाकिस्तान से ऐसी खबर उड़ाई गयी, की एक बड़ी डिप्लोमेटिक विन के तौर पर विदेश मंत्री के स्तर पर  OIC की मीटिंग का आयोजन पाकिस्तान में किया जायेगा.



लेकिन उस समय पाकिस्तान सायद तो 1994 की पुरानी शराब को 2019 की नई बोतल में बेचने की कोसिस कर रहा था.  अब यह देखने वाली बात होगी, की अगले साल अप्रैल महीने में OIC किस स्तर पर रियलिटी में मीटिंग का आयोजन पाकिस्तान में करेगा.



लेकिन इसी बीच पाकिस्तान को अहसास हो गया, की उसने अपने हिसाब से सऊदी अरब को साध लिया है.



तो अब उसे याद आ रही है, टर्की और मलेशिया की.



पाकिस्तान के विदेश मंत्री का आधिकारिक रूप से कहना है, की पाकिस्तान के सभी मुस्लिम देशो के साथ अच्छे रिलेशन्स है, और पाकिस्तान मुस्लिम देशो के बीच की आपसी गलत फहमी को सुलझाने की कोसिस में लगा हुआ है.



और इसी उद्देश्य को मद्देनजर रखते हुए, फरबरी महीने में टर्की के राष्ट्रपति पाकिस्तान की यात्रा पर आएंगे, और पाकिस्तान से एक प्रतिनिधिमंडल मलेशिया की यात्रा पर जायेगा.



बात साफ है, मुस्लिम देशो की एकता को स्थापित करना तो एक बहाना है, असल में तो पाकिस्तान फरबरी महीने में FATF की ब्लैक लिस्ट से बचना चाहता है.



इसलिए अब वह फिर से टर्की और मलेशिया पर डोरे डाल रहा है.



यह देखने वाली बात होगी, की FATF में टर्की और मलेशिया का सपोर्ट हांसिल करने के लिए पाकिस्तान इन दोनों देशो को अब कौन सी लॉलीपॉप देता है.



लेकिन यहाँ पर बड़ी चीज़ देखने को मिलती है, की जब पाकिस्तान सऊदी अरब UAE  के साथ अपने सम्बन्ध और टर्की और मलेशिया के साथ अपने संबधों के बीच संतुलन बनाने की कोसिस कर रहा है.



तो सऊदी अरब और UAE भी बेवकुफ तो हैं नहीं, की वह पाकिस्तान के साथ अपने सम्बन्ध और भारत के साथ अपने सम्बन्ध को संतुलन में ना रखे.



लेकिन इस पुरे घटनाक्रम से एक बात सिद्ध हो जाती है, की  खुद को ओवर एस्टीमेट करने की और इंडिया को अंडर एस्टीमेट करने की बीमारी पाकिस्तान को लगी हुई है.



और वैसे भी भारत अभी चुपचाप इस पुरे तमासे को देख रहा है, नए साल में भारत की नई चाल देखने को हमें जरूर मिलेगी, इसी उम्मीद के साथ हम यह वीडियो समाप्त करते हैं.



अंत में एक बार फिर आप सभी को हैप्पी New ईयर.

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