सऊदी मंत्री की पाक यात्रा - OIC भारत के खिलाफ पाक में करेगा मीटिंग ?
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Reference -
https://www.hindustantimes.com/world-news/saudi-planning-oic-meeting-to-discuss-j-k-pak-media/story-dBz1GJyX4vHveIXYCpKlQN.html
https://timesofindia.indiatimes.com/india/in-concession-to-pakistan-saudi-arabia-to-host-oic-meet-on-kashmir/articleshow/73013088.cms
https://tribune.com.pk/story/2126598/1-oic-convene-meeting-iok-lockdown-anti-muslim-law-india/
https://www.dawn.com/news/1524607
https://www.aa.com.tr/en/asia-pacific/oic-expresses-concern-over-indias-kashmir-move/1551242
https://www.aa.com.tr/en/asia-pacific/oic-expresses-deep-concern-over-kashmir/1594384
https://www.news18.com/news/india/in-quiet-visit-to-saudi-arabia-nsa-doval-apprises-crown-prince-of-kashmir-situation-2331283.html
https://gulfnews.com/world/asia/pakistan/saudi-foreign-minister-in-pakistan-on-maiden-trip-1.68683449
https://www.hindustantimes.com/world-news/saudi-planning-oic-meeting-to-discuss-j-k-pak-media/story-dBz1GJyX4vHveIXYCpKlQN.html
https://timesofindia.indiatimes.com/india/in-concession-to-pakistan-saudi-arabia-to-host-oic-meet-on-kashmir/articleshow/73013088.cms
https://tribune.com.pk/story/2126598/1-oic-convene-meeting-iok-lockdown-anti-muslim-law-india/
https://www.dawn.com/news/1524607
https://www.aa.com.tr/en/asia-pacific/oic-expresses-concern-over-indias-kashmir-move/1551242
https://www.aa.com.tr/en/asia-pacific/oic-expresses-deep-concern-over-kashmir/1594384
https://www.news18.com/news/india/in-quiet-visit-to-saudi-arabia-nsa-doval-apprises-crown-prince-of-kashmir-situation-2331283.html
https://gulfnews.com/world/asia/pakistan/saudi-foreign-minister-in-pakistan-on-maiden-trip-1.68683449
आपको याद होगा, सऊदी अरब के दवाब के चलते पाकिस्तान को मलेशिया समिट से पीछे हटना पड़ा था.
चूँकि पिछली UN जनरल असेंबली की मीटिंग में पाकिस्तान मलेशिया और टर्की ने मिलकर दिसंबर महीने में कुआला लम्पुर समिट के आयोजन का निर्णय लिया था, और अचानक से सऊदी प्रेशर में आकर पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे.
तब टर्की के राष्ट्रपति ने कहा था, की सऊदी अरब ने पाकिस्तान को धमकी दी थी, की यदि पाकिस्तान के प्रधान मंत्री मलेशिया गए, तो पहले तो पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक में जमा सऊदी पैसा निकाल लिया जायेगा, और फिर सऊदी अरब में काम कर रहे 40 लाख पाकिस्तानियो को भगाकर उनकी जगह पर बांग्लादेशियों को काम पर रख लिया जायेगा.
जाहिर है, ये दोनों धमकियाँ पाकिस्तान पर प्रेशर डालने के लिए काफी थी. लेकिन उस समय भी आप सभी को यह अंदाज़ा था, की पाकिस्तान ने मलेशिया समिट में भाग ना लेकर सऊदी अरब से कुछ मोल भाव किया होगा.
और उस समय यह सम्भावना साफ़ दिखाई दे रही थी, की पाकिस्तान को काबू में रखने के लिए सऊदी अरब के नेतृत्वा वाला OIC भारत के खिलाफ बेलगाम हो जायेगा.
लेकिन यहाँ पर कहने वाली बात यह जरूर है, की इस पुरे घटनाक्रम से टर्की और मलेसिया की आँखें खुलनी चाहिए, क्योकि use and throw की पालिसी के तहत पाकिस्तान ने सऊदी OIC के खिलाफ एक और पैरेलल आर्गेनाइजेशन खड़ा करने की इन दोनों देशो की महत्वकांक्षा का जम कर लाभ उठाया है.
और अपने दुश्मन नंबर एक भारत के खिलाफ OIC में काम बनता देख, सबसे पहले पाकिस्तान ने पीठ टर्की और मलेशिया को ही दिखाई है.
इसलिए मलेशिया समिट का तंम्बू उखड़ने के तुरंत बाद OIC ने स्टेटमेंट जारी कर दिया, जिसमे सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट और बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर चिंता प्रकट करि गयी थी.
और अब जबकि पाकिस्तान में सऊदी अरब के विदेश मंत्री यात्रा पर आये थे, तो यह खबर फैलाई जा रही है, की OIC ने निर्णय लिया है, की अगले साल अप्रैल महीने में इस्लामाबाद में OIC के सभी सदस्य देशो के विदेश मंत्रियो की मीटिंग का आयोजन किया जायेगा.
जैसा की बताया जा रहा है, इस मीटिंग में जो स्टेटमेंट जारी किया जायेगा, उसमे जम्मू और कश्मीर में मानव अधिकारों के उल्लंघन और सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के खिलाफ विचार प्रकट किये जायेंगे.
पाकिस्तान में आयोजित की जाने वाली इस मीटिंग का उद्देस्य होगा, की मोदी सर्कार जम्मू और कश्मीर से कर्फ्यू हटा ले, और भारत में माइनॉरिटी के हितों की रक्षा करे.
लेकिन यहाँ पर ध्यान रखने वाली बात यह है, की OIC की फॉरेन मिनिस्टर के लेवल पर पाकिस्तान में आयोजित की जाने वाली बैठक की आधिकारिक घोसणा ना तो पाकिस्तान ने करि है, ना ही सऊदी अरब ने और ना ही OIC ने.
सूत्रों के हवाले से पाकिस्तानी मीडिया में दना दन छापी जा रही इस खबर को पाकिस्तानी डिप्लोमेसी की एक बहुत बड़ी जीत भी बता दिया गया है. और अब यह खबर भारत में भी छप रही है, की भारत के लिए यह बड़ी चिंता का विषय है.
लेकिन यदि देखा जाये, तो OIC तो भारत के खिलाफ हमेसा से रहा ही है, अगस्त 5 को कश्मीर से धारा 370 हटते ही, 6 अगस्त को OIC ने स्टेटमेंट जारी किया था, और भारत के उस कदम के खिलाफ चिंता प्रकट करि थी.
इसके बाद सितम्बर महीने में UN जनरल असेंबली के दौरान भी OIC ने अगस्त महीने में प्रकट करि गयी चिंता को दोहरा दिया था.
इसलिए अब अगर अप्रैल महीने में फिर OIC अपनी चिंता को प्रकट करता है, तो भी जब तक इन मीटिगों और उनमे जारी किये गए स्टेटमेंट से भारत पर कोई बुरा जमीनी प्रभाव ना पड़े, तब तक हमें इसके बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए.
लेकिन अंत में बड़ा सवाल है, की यदि OIC को भारत की इतनी ही चिंता होती है, तो वह भारत को OIC में शामिल क्यों नहीं कर लेता है?
इसलिए OIC की चिंता या तो दिखावा है, अथवा पाकिस्तान के लिए propaganda की लोल्लिपोप है. दोनों ही हालत में, हमें इसका मजा बालक पाकिस्तान को लेने देना चाहिए.
जबकि OIC भारत के खिलाफ फ़र्ज़ी तौर पर उग्र हो रहा है, देखने वाली बात यह होगी, की क्या सऊदी अरब और UAE पाकिस्तान के लिए भारत के साथ अपने सम्बन्धो को बिगाड़ लेंगे?
जैसा की आपको अंदाज़ा होगा, अगर पाकिस्तान सऊदी अरब के लिए useful है, तो भारत भी उसके लिए useless तो नहीं है.
इसलिए सऊदी अरब और UAE भारत के साथ अपने सम्बन्धो में संतुलन बनाये रखेंगे, ऐसी अपेक्षा की जा सकती है.
और यहाँ पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए, की भारत अभी चुप चाप इस घटना क्रम को देख रहा है, लेकिन भारत कोई कूटनीतिक कदम नहीं उठाएगा, यह पाकिस्तान की बड़ी भूल होगी.
आपको याद होगा, अक्टूबर महीने में भारत से NSA अजित दोवाल ने सऊदी अरब और UAE की यात्रा करि थी. इसलिए हो सकता है, अगली कुछ शातिर चालों में भारत भी शतरज की बिशात पर अपने मोहरों की जगह अब बदल ले.
इतिहास गवाह है, जब जब पाकिस्तान भारत को underestimate करता है, तब तब वह मुँह की खता है. इसलिए हमें मोदी सर्कार की डिप्लोमेटिक स्किल्स पर भरोसा रखना चाहिए.
क्योकि बेसिक बात वही है, पाकिस्तान यदि मोल भाव सऊदी अरब से कर सकता है, तो भारत की बार्गेनिंग पावर भी कोई कुछ कम नहीं है.
ये तो हो जायेगा, अप्रैल महीने में होने वाले छोटे से OIC क्राइसिस को मैनेज करना, लेकिन लॉन्ग टर्म के लिए खाड़ी के देशो के कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता को कम करने की दिशा में हमें आगे बढ़ते रहना है.
इलेक्ट्रिक व्हीकल और बायो फ्यूल के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए चल रही योजनाओ में तेज रफ़्तार लाना अब और जरूरी होता जा रहा है.
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