Its Impossible to Stop India Russia Now. (North South Transport Corridor Activation)
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https://www.business-standard.com/article/companies/concor-to-take-instc-route-for-russia-to-save-transit-time-and-cash-120022601642_1.html
https://www.thehindubusinessline.com/economy/logistics/soon-goods-can-be-moved-between-india-and-russia-via-iran-concor/article30924408.ece
https://en.wikipedia.org/wiki/International_North%E2%80%93South_Transport_Corridor
https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/india-russia-likely-to-step-up-high-level-engagements/articleshow/74323873.cms
https://commerce-app.gov.in/eidb/iecnt.asp
आप सभी को याद होगा, की मुंबई से सेंट पीटरस्बर्ग को जोड़ने वाले इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पर काम बहुत समय से चल रहा है.
कई एस्टीमेट और ड्राई रन के अनुमान के मुताबिक, स्वेज नहर से होकर सेंट पीटरस्बर्ग तक पहुंचने के रास्ते की तुलना में इस नए कॉरिडोर से 40 फीसदी कम टाइम, और 30 % कम ट्रांसपोर्ट कॉस्ट आती है.
सरल सब्दो में जिस माल के ट्रांसपोर्ट में अभी 40 दिन लगा करते है, उसी माल को इस नए कॉरिडोर से मात्र 25 दिनों में भेजा जा सकता है.
इसलिए चूँकि यह रास्ता कुल मिलाकर किफायती है, इसलिए इसके कारण ना सिर्फ पैसा और समय बचेगा, बल्कि इस कॉरिडोर में शामिल देशो के बीच आपसी व्यापार भी बढ़ेगा.
अभी राष्ट्रपति ट्रम्प भारत की यात्रा पूरी करके अमेरिका पहुंचे ही थे, भारत ने रूस के साथ व्यापार को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा लिया है.
भारत के सबसे बड़े कंटेनर ट्रैन ऑपरेटर कंटेनर कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया ने रसियन रेलवे की सब्सिडियरी RZD लोजिस्टिक्स JSC के साथ सर्विस एग्रीमेंट पर सिग्नेचर कर दिए हैं.
इस एग्रीमेंट के बाद सिंगल इनवॉइस के साथ माल का ट्रांसपोर्ट इंडिया और Russia के बीच किया जा सकेगा.
सिंगल इनवॉइस के इस सिस्टम के ऊपर सहमति इन दोनों कंपनियों के बीच पिछले साल बनी थी, और अब इसी simplified सिस्टम को लेकर सर्विस एग्रीमेंट भी फाइनल हो गया है.
इस प्रकार साफ़ तौर पर यह कॉरिडोर छोटा और सस्ता तो था है, अब इससे ट्रांसपोर्ट को आसान बनाने की हर संभव कोसिस की जा रही है.
पिछले दो सालों में हमने कई बार सुना है, की नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर जल्द से जल्द ऑपरेशनल होने वाला है, अब कंटेनर कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, तीन महीनो के भीतर रूस और भारत के व्यापारी ईरान से होकर माल का आयत निर्यात करने लगेंगे.
बात साफ़ है, सरकारों के स्तर पर जो सहमति बनी थी, उसे अब कंपनियों के लेवल पर उतारा जा रहा है, वैसे भी एक्सपोर्ट इम्पोर्ट कोई मोदी अथवा पुतिन को तो करना नहीं है. दोनों देशो के ट्रेडर्स के बीच व्यापार बड़े इसलिए सरल सिस्टम का विकास किया जा रहा है, यह संतोषजनक स्थिति है.
चूँकि माल को गुजरना ईरान से होकर है, और आप सभी को पता है, की ईरान पर इतिहास के सबसे कड़े अमेरिकी आर्थिक प्रतिबन्ध लगे हुए हैं. जैसा की चाबहार पोर्ट को अमेरिकन सैंक्शंस से विशेष ढिलाई मिली हुई है. इसलिए इंटरनेशनल नार्थ साउथ कॉरिडोर से होकर होने वाले व्यापार पर अमेरिकी प्रतिबंधों का कहर नहीं गिरेगा.
फिर भी जमीं सच्चाई यही है, की इंडियन ट्रेडर्स और अधिकारियो के मन में अभी भी कॉस्ट और टाइम को लेकर कुछ सवाल शेष हैं, जिनका जवाब डूंडा जाना बाकि है.
यह बात समझ में आती है, की किसी भी नए रास्ते पर शुरुआत में चलना आसान नहीं होता है, लेकिन बेस्ट कंडीशंस के इंतजार में हमेसा के लिए बैठे रहना भी अक्लमंदी नहीं है.
इसलिए अच्छा होगा, की जल्द से जल्द बड़े नहीं तो कम से कम छोटे स्तर पर नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को activate कर दिया जाये. इस काम में जो दिक्कत आएँगी, उन्हें बाद में भी फिक्स किया जा सकेगा.
अगर आप इंडियन कॉमर्स मिनिस्ट्री के आँकड़े देखें तो आप पाएंगे, पिछले पांच सालों में इंडिया और अमेरिका के बीच ट्रेड 23 बिलियन डॉलर बढ़ गया, लेकिन भारत और रूस के बीच व्यापार मात्रा 2 बिलियन डॉलर ही बढ़ पाया है.
इसलिए रूस के साथ व्यापार बढ़ाने की हमें बहुत अधिक जरूरत है. वर्ष 2019 में जहाँ दोनों देशो के बीच व्यापार मात्रा 8 बिलियन डॉलर था, उसे वर्ष 2025 तक 30 बिलियन डॉलर के लेवल पर ले जाने का लक्स्य हमारे सामने है.
इसलिए जब तक हम रूस तक पहुंचने के आसान रास्ते को activate नहीं करते हैं, तब तक हमारे यह सपने कभी साकार नहीं होंगे.
जब हम रूस के साथ व्यापार को बढ़ाने की बात कह रहे हैं, हमें यह ध्यान में रखना चाहिए, की रूस के साथ व्यापार करने से हमें हर साल 2 से 3 बिलियन डॉलर का घाटा होता है.
इसलिए यहाँ पर साफ़ करने वाली बात यह है, की हम रूस के साथ टोटल ट्रेड को बढ़ाने की बात कर रहे हैं, रूस के साथ भारत का व्यापारिक घाटा बढ़ता चला जाये, यह हमें किसी भी हालत में स्वीकार नहीं होगा.
वैसे भी दोस्ती अपनी जगह, और व्यापार अपनी जगह. विस्वास है, भारत और रूस आपसी व्यापार को ऐसे बढ़ाएंगे, की इसमें संतुलन बना रहे . आखिर भारत ही अकेला क्यों व्यापार बढ़ाने की कीमत अदा करे??
भारत में बेरोजगारी आसमान छू रही है, क्योकि हमारा बढ़ता व्यापारिक घाटा कमर तोड़ स्तर पर पहुंच चूका है, इसलिए हम रूस समेत नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के सभी देशो से भी यही अपेक्षा करते हैं, की वह भारत के साथ व्यापार बढ़ाएं, ना की अकेला भारत का व्यापारिक घाटा.
यह कहाँ का न्याय है, की आप नए रस्ते से केवल अपना माल बेचो, और भारत का माल खरीदने से बचने के लिए बहाने बनाओ.
शोषण पर आधारित दोस्ती लम्बे समय तक जिन्दा नहीं रह सकती है, हमें उम्मीद है, की यह छोटी सी बात हमारे मित्र देशो को समझ आएगी.
जैसा की कल हमने चर्चा करि थी, अमेरिका को गले लगाने का यह मतलब नहीं होता है, की हम रूस से हाथ मिलाना बंद कर दें. Diplomacy की बेसिक डिमांड यही होती है, की आप एक दूसरे के विरोधी रिश्तो के साथ कैसे सामंजस्य बैठाते हो.
डिप्लोमेटिक बैलेंसिंग के खेल में आगे बढ़ते हुए , भारत और रूस इस वर्ष समिट लेवल इंगेजमेंट के 10 साल पुरे कर चुके हैं, और आगे इस साल में मोदी जी पुतिन साहब से पांच बार मिलने बाले हैं.
इसिलए हमें पूरी तरह से विस्वास है, की अमेरिकी ठण्ड के बाबजूद इंडिया Russia रिलेशनशिप में गर्माहट बनी रहेगी.
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