Modi Ji Banned Chinese Telecom Equipment in India (Great News)
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https://telecomtalk.info/dot-chinese-telecom-vendor-india/250657/
https://economictimes.indiatimes.com/industry/telecom/telecom-news/india-should-consider-local-manufacturing-of-telecom-equipment-countrys-top-cybersecurity-official/articleshow/74221503.cms
https://www.financialexpress.com/industry/tit-for-tat-govt-to-bar-telecom-vendors-of-countries-that-disallow-purchase-from-indian-firms/1874483/
https://economictimes.indiatimes.com/industry/telecom/telecom-news/india-should-consider-local-manufacturing-of-telecom-equipment-countrys-top-cybersecurity-official/articleshow/74221503.cms
https://sputniknews.com/india/202002201078358409-indian-telecom-department-authorised-to-restrict-china-from-participating-in-govt-tenders/
https://www.livemint.com/industry/telecom/dot-gets-right-to-bar-chinese-firms-from-govt-telecom-tenders-11582137463462.html
हम सभी को पता है, की चाइनीस इक्विपमेंट हमारे टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर में रीड़ की हड्डी का काम करते हैं.
जिस देस से हम बन्दूक के एक गोली तक नहीं खरीदते हैं, उसी देश की दया पर हमारा टेलीकॉम नेटवर्क डिपेंडेंट हैं. हम सभी ने हमेसा से इस over dependence का पुर जोर विरोध किया है.
लेकिन हालत और भी ख़राब तब हो जाते हैं, जब हमें यह पता चलता है, की भारत तो चीन से टेलीकॉम इक्विपमेंट जैसे राउटर्स मॉडेम खरीदता रहा है, लेकिन इंडियन suppliers को चीन के मार्किट में इन ही इक्विपमेंट को बेचने की इजाजत तक नहीं है.
अब आप में से कुछ लोग कह सकते हैं, की इंडिया में टेलीकॉम इक्विपमेंट का प्रोडक्शन होता ही नहीं है, तो हमें चीन के मार्किट में माल बेचने की जरूरत ही नहीं है.
तो आपसे हमारा छोटा सा सवाल है, की जब भारत में उत्पादन होता ही नहीं है, तो चीन को डरने की क्या जरूरत, वह हमारे suppliers के लिए टेंडर क्यों नहीं खोलता है.
बात बिलकुल साफ़ है, चाइना ने जानबूझकर ऐसा सिस्टम बनाया हुआ है, जिसके अंतर्गत वह अपने यहाँ की इंडस्ट्री की रक्षा करता है, ताकि इन्ही चाइनीस कंपनियों के द्वारा बनाये गए माल की बाढ़ से दुनिया भर के उद्योगों को बर्बाद किया जा सके.
भारत में उत्पादन हो या ना हो, इंडियन टेलीकॉम इक्विपमेंट suppliers को चीन के बाजार में उतनी ही खुली छूट मिलनी चाहिए, जितनी चाइनीस कंपनियों जैसे हुआवे और ZTE को Indian Market में मिली हुई हैं.
लेकिन चीन ने हमारी कंपनियों को ऐसी सुविधा कभी नहीं दी , और हमने कभी अपना हक़ मांगने की जरूरत ही नहीं समझी.
ऐसा नहीं है, की यह सब हमें मालूम नहीं था, हम सभी को इस ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना के बारे में पता था, लेकिन आज तक किसी ने उस दिवार को गिराने की हिम्मत ही नहीं दिखाई.
अब जाकर 19 फ़रवरी को भारत सर्कार ने डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकॉम को पावर दे दी है, की वह किसी भी सरकारी टेंडर में ऐसे देश की कंपनी को भाग लेने से रोक सकती है, जिस देश में उसी इक्विपमेंट के इंडियन सप्लायर को माल बेचने की अनुमति नहीं है.
हालांकि मेक इन इंडिया पालिसी के तहत हुई इस परिवर्तन में किसी देश का नाम नहीं लिखा है, लेकिन आप को भी अच्छे से पता है, इस नए नियम का निशाना चीन है.
अब गवर्नमेंट के किसी भी टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में उसी देश की कंपनियां भाग ले पाएंगी , जिन देशो में भारत के टेलीकॉम इक्विपमेंट सप्लायर को माल बेचने की अनुमति मिली हुई है.
जहाँ तक हम समझते हैं, यह देर से उठाया गया दुरुस्त कदम है, और हम इसका पूरी तरह से समर्थन करते हैं.
लेकिन हमेसा की तरह से चीन की तरफ से बैटिंग करने वाले एक्सपर्ट लोगों ने रोना धोना चालू कर दिया, उनका कहना है, की चीन के टेलीकॉम इक्विपमेंट बेहद सस्ते हैं, इसलिए चाइनीस इक्विपमेंट को India में बेन कर देने से हमारी आधी बची आवादी को इंटरनेट कनेक्टिविटी मुहैया करवाने के प्रोजेक्ट में दिक्कत आएगी.
भारत में चीन के हितों को साधने वाले ये एक्सपर्ट अपने मालिक चीन से यह क्यों नहीं कहते, की भारत में टेलीकॉम इक्विपमेंट का उत्पादन होता ही नहीं है, इसलिए चाइनीस गवर्नमेंट प्रोजेक्ट में allow कर दो ना इंडियन टेलीकॉम इक्विपमेंट suppliers को.
लेकिन ये एक्सपर्ट ऐसा नहीं करेंगे, क्योकि सच्चाई इनको और इनके अन्नदाता चीन को भी पता है. यदि चीन ने भारत को एक मौका दिया, तो भारत वाले चीन को धुल चटाने में देरी नहीं लगाएंगे.
जहाँ तक यह तर्क है, की चीन के टेलीकॉम इक्विपमेंट से इंडियन इंटरनेट सस्ता होता है, तो ये एक्सपर्ट आज तय कर लें, की भारतीय युवा के लिए सस्ता इंटरनेट जरूरी है, अथवा रोजगार.
दिक्कत सिर्फ इतनी सी है, हमारे यहाँ माल चाहिए सस्ता चीन से, लेकिन रोजगार चाहिए मोदी जी से.
हमारे घर भरे पड़े हैं, मेड इन चाइना माल से, लेकिन बढ़ती बेरोजगारी का जिम्मेदार मोदी सरकार है.
इसलिए पिछले 20 सालों में पहली बार किसी भारत सर्कार ने चीन को उसी की खुराक खिलाने की कोसिस करि है, इस समय हमें उस सरकार का समर्थन करना चाहिए, की आखिर उसने चाइनीस ड्रैगन के गले में पट्टा बांधने की कोसिस तो करि.
वैसे भी बराबरी का हक़ मांगना कोई गुनाह तो नहीं है.
जब हक़ नहीं मिलता है, तो उसे छीन लिया जाता है. स्वाभिमानी भारत अपना हक़ हर कीमत पर लेकर ही रहेगा. अब यह बात चीन को और उसके पालतू एक्सपर्ट लोगों को भी समझ आ जानी चाहिए.
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