Why China Objected to Amit Shah's Arunachal Visit (New Turn)



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https://www.hindustantimes.com/india-news/china-objects-to-amit-shah-s-arunachal-visit-says-it-sabotaged-political-mutual-trust/story-3j0fuHQD4upv9IMUwKQ9tO.html
https://www.indiatoday.in/india/story/china-objects-to-amit-shah-arunachal-pradesh-visit-1648302-2020-02-20
https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/arunachal-pradesh-foundation-day-1582113095-1
https://nenow.in/north-east-news/arunachal-pradesh/amit-shah-to-attend-34th-statehood-day-of-arunachal-pradesh-on-thursday.html

आज उगते सूरज का राज्य अरुणाचल प्रदेश मना रहा है, अपना 34th स्टेटहुड डे.जिसके कार्यक्रम में भाग लिया भारत के गृह मंत्री अमित शाह जी ने.



आपको सायद पता हो, सन 1972 में  नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी से अरुणाचल प्रदेश के रूप में यूनियन टेरिटरी की स्थापना करि गयी, और आज ही के दिन वर्ष 1987 में अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ.



लेकिन अरुणाचल प्रदेश का इतिहास 1947 से  शुरू नहीं होता है, रामायण महाभारत और कलिका पुराण में भी इस प्रदेश का जिक्र मिलता है.



इसलिए यह बात तो साफ़ हो जाती है, जहाँ भगवान परशुराम ने तपस्या करि, और भगवान कृष्ण ने रुक्मिणी से विवाह रचाया, वह अरुणाचल प्रदेश हमारा है.. फिर भी भारतीय गृह मंत्री की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा से चीन को चिनमिनी उठने लगी.



और उसने आधिकारिक रूप से स्टेटमेंट जारी किया, की भारत ने चीन के साथ विश्वासघात किया है. अरुणाचल प्रदेश तो तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा है,और अमित शाह की यात्रा से चीन की छेत्रिय अखंडता और सम्प्रभुता का उल्लंघन हुआ है.



भगवान जाने, किस विस्वास की बात चीन का रहा है, लेकिन उम्मीद के मुताबिक आज या कल तक भारतीय विदेश मंत्रालय का भी जवाब आ जायेगा, की अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है, और इंडियन होम Minister की विजिट से लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल की यथा स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए चीन को चुपचाप बैठे रहना चाहिए.



पिछले साल नवंबर महीने में जब इंडियन डिफेंस मिनिस्टर ने अरुणाचल प्रदेश की यात्रा करि थी, तब भी इसी तरह के स्टेटमेंट जारी किये गए थे.



पिछले साल की शुरुआत में ही चीन ने ऐसे 30 हज़ार मानचित्रो को नस्ट कर दिया था, जो अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा और ताइवान को सेपरेट कंट्री दिखलाते थे.



चीन चाहे जितने मैप जला दे, लेकिन जमीनी सच्चाई नहीं बदलेगी. अरुणाचल प्रदेश हमारा है, और ताइवान भी  आजाद देस है.



लेकिन आज हम एक फंडामेंटल सवाल करना चाहते हैं, की आखिर कब तक हम चीन के स्टेटमेंट के जवाब में काउंटर स्टेटमेंट देते रहेंगे.



चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा बताता है, तो हम तिब्बत पर दावा पेश क्यों नहीं करते हैं.



जब तिब्बत ही चीन का नहीं रहेगा, तो southern तिब्बत को चीन अपना हिस्सा कहाँ से बता पायेगा?



जब चीन अरुणाचल प्रदेश पर लाल झंडा फहराने की बात करता है, तो हम तिब्बत पर तिरंगा फहराने की बात क्यों नहीं करते हैं.



अब आप में से बहुत से दर्शक कह सकते हैं, की भारत तिब्बत पर कब्ज़ा नहीं कर सकता है, या भारत तिब्बत को आजाद नहीं करा पायेगा, और इस निष्कर्ष तक पहुंचने के आप कई कारण भी गिना सकते हैं.



लेकिन छोटा सा सवाल है, क्या चीन अरुणाचल प्रदेश हमसे छिन सकता है? आप भी बताएं, यदि चीन के पास अरुणाचल पर कब्ज़ा करने की शक्ति होती, तो क्या वह आज खड़े खड़े  स्टेटमेंट जारी करता रहता.



बात साफ़ है, चीन को पता है, की वह अरुणाचल प्रदेश पर लहरा रहे तिरंगे को कभी नहीं झुका पायेगा, तो भी वह अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा पेश करने का कोई मौका नहीं छोड़ता है.



तो हमने क्यों तिब्बत पर अपना दावा छोड़ दिया, और one चाइना की पालिसी को गले लगा लिया.



जिस तरह डिफेंसिव होकर हम भारतीय सोचते हैं, उसी तरह से अगर चीन सोचता होता, तो आज पूरा का पूरा साउथ चाइना सी चीन के कब्जे में ना होता.



ये हो जायेगा, वह हो जायेगा, यदि चीन इस में कन्फ्यूज्ड बना रहता, तो साउथ चाइना सी के बीचो बीच आर्टिफीसियल आइलैंड कभी नहीं बन पाते.



हमारे साथ दिक्कत यह है, की हम सपनो की उड़ान भरते समय भी अपने पावों में निराशा का पत्थर बांध लेते हैं.



हम one चाइना की पालिसी का पालन तब तक नहीं करेंगे, जब तक चाइना One इंडिया के डॉक्यूमेंट पर साइन नहीं करता है. जब भारत यह खुले में आकर कहेगा, तब ही  चीन को नए भारत के बारे में पता चलेगा.



जब तक हम तिब्बत की आजादी अथवा उस पर अपने अधिकार की बात नहीं करते हैं, तब तक चीन को पता नहीं चलेगा, की चीन के साथ अच्छे सबंधो के लिए भारत ने कितनी बड़ी कीमत चुकाई है.



वैसे भी चीन को कुछ भी महसूस होता रहे, अरुणाचल प्रदेश भी हमारा है, और पूरा का पूरा हिन्द महासागर भी हमारा है.





चीन के साथ अच्छे सम्बन्धो का भारत को अगर  इतना ही भरोसा होता, तो इंडियन गृह मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश के स्टेटहुड के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया होता.



लेकिन अभी हम डिफेंसिव मोड में हैं, लड़ाई को चीन के यहाँ ले जाने का समय हमारा इंतजार कर रहा है.



जहाँ तक यह बात है, की भारत और चीन के कनफ्लिक्ट से ये नुकसान होगा, वह परेशानी होगी, इसका हिसाब हम और आपको नहीं लगाना है, यह सब जोड़ बाकि करने का मौका चीन को मिलना चाहिए.



अंत में Say No to China के संकल्प के साथ हम यह वीडियो समाप्त करते हैं.

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