Well Done Taiwan - How China was Defeated !!
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https://www.taiwannews.com.tw/en/news/3904112
https://www.reuters.com/article/us-health-coronavirus-taiwan-china-idUSKBN21C16U
https://mynorthwest.com/1785077/quarantine-complete-taiwan-coronavirus/
https://www.aljazeera.com/news/2020/03/uk-closes-warns-pandemic-accelerating-live-updates-200323234651419.html
https://www.reuters.com/article/us-health-coronavirus-taiwan-cases/taiwan-reports-19-new-coronavirus-cases-total-now-235-idUSKBN21C0NX
https://www.brookings.edu/blog/order-from-chaos/2020/03/19/taiwan-shows-its-mettle-in-coronavirus-crisis-while-the-who-is-mia/
https://www.wired.com/story/taiwan-is-beating-the-coronavirus-can-the-us-do-the-same/
आज जब मानवता के भविस्य के ऊपर चाइनीस महामारी ने सवालिया निशान लगा दिया है. और चीन पूरी दुनिया में ढिढोरा पीट रहा है, की इस महामारी को हराने का उसके पास बहुत अनुभव है, जिसे दुनिया के साथ साझा करने के लिए वह बेताब है. तो पास खड़ा ताइवान गर्व के साथ मुस्कुरा रहा है.
यदि आप आकंड़ो को देखें, तो आप पाएंगे जहाँ चीन में इस वुहान महामारी के 80 हज़ार केस दर्ज हुए हैं, तो ताइवान में केवल 235 केस ही रिकॉर्ड किये गए हैं. अब आप कह सकते हैं, इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, क्योकि ताइवान एक छोटा सा आइलैंड हैं, और उसकी आवादी चीन की तुलना में बहुत कम है.
आपको सायद यह पता हो, 2.3 करोड़ आवादी वाले ताइवान के 8 लाख 50 हज़ार लोग चीन में रहते हैं, और काम करते हैं. पिछले साल 20 लाख ताइवान के लोगों ने चीन की यात्रा करि थी. और हर सप्ताह वुहान और ताइवान के बीच दर्जनों हवाई जहाज उड़ते हैं.
इसलिए ताइवान को इस चाइनीस महामारी का सबसे अधिक खतरा था. और तो और ताइवान ना तो WHO का मेंबर है यहाँ तक की चीन ने एक आब्जर्वर के रूप में ताइवान की WHO में एंट्री को भी वर्ष 2017 से रोक रखा है.
फिर भी ताइवान ने जिस तरह इस वैश्विक महामारी पर नियंत्रण प्राप्त किया, वह काबिले तारीफ है. ताइवान की इसी सफलता को ध्यान में रखते हुए, 18 मार्च को ताइवान और अमेरिका ने जॉइंट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर किये, ताकि दोनों देश इस महामारी से साथ मिलकर लड़ सकें.
जाहिर है, one चाइना की पालिसी की धज्जिया उड़ते देख, चीन को मिर्ची तो लगनी थी.
इसलिए इस वीडियो में हम जल्दी से चर्चा करते हैं, की ताइवान ने चाइनीस ड्रैगन पर लगाम कैसे लगायी.
पिछले साल दिसंबर महीने में जब वुहान निमोनिया की खबरें ताइवान को पता चली, तो उसके तुरंत कान खड़े हो गए . और तभी से वुहान से आने वाली हर फ्लाइट पर पैसेंजर की चेकिंग चालू कर दी गयी, ताकि लक्षणों के आधार पर संक्रमित व्यक्ति की पहचान की जा सके.
ताइवान ने ही WHO को चीन से भी पहले बताया, की यह बीमारी एक आदमी से दूसरे आदमी को लग सकती है, यह बात और है, की who ने उस समय अपनी आँखों पर चाइनीस चस्मा पहन रखा था.
एनीवे ताइवान ने वर्ष 2003 की सार्स वीमारी से जो भी सीखा था, उसे तुरंत जमीं पर उतारने का निर्णय ले लिया गया. उदाहरण के लिए ताइवान में Central Epidemic Command सेण्टर होता है, जिसके द्वारा सर्कार के सभी विभागों पर कण्ट्रोल किया जाता है, और निश्चित किया जाता है, की संसाधनों का समय पर बेहतर इस्तेमाल हो सके.
और ताइवान की राष्ट्रपति ने 20 जनवरी को ही यह कमांड सेण्टर activate कर दिया था, अब आप ही देख लीजिये, जब चीन वुहान में नई ईयर का सेलिब्रेशन मना रहा था, तब ताइवान की मैन एजेंसी को activate कर दिया गया था.
फिर ताइवान ने संक्रमण को रोकने के लिए तेजी से कदम उठाना चालू कर दिए, जैसे की जनवरी महीने में विदेशों से आने वाले यात्रिओ का टेम्परेचर चेक चालू हो गया. और दो सप्ताहों तक उन्हें सभी से अलग रहने को कहा गया, भले ही उनमे कोई भी बीमारी का लक्षण ना हो .
मतलब यदि कोई यात्री बहार से आया, तो उसे 14 दिनों तक अलग रहना ही होगा. लेकिन सवाल उठता है, की आखिर ताइवान ने इस नियम का पालन कैसे करवाया, क्योकि इस नियम की भारत में धज्जिया उड़ा दी गयी.
यहाँ पर ताइवान ने टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल किया, ताइवान का नेशनल हेल्थ केयर डेटा बेस Immigration Data base और कस्टम डेटा बेस से कनेक्टेड था, इसलिए यदि कोई यात्री ताइवान में आया, तो उसकी ट्रैकिंग की जा सकती थी, साथ में यात्रिओं को सर्कार ने फ़ोन दिया, जिसके द्वारा यह मॉनिटर किया गया, की जिन लोगों को अलग रहने का आदेश मिला है, वह एक्चुअली में आइसोलेशन में रहे. यहाँ तक की इन्ही फ़ोन की location का इस्तेमाल करके पता लगाया गया, की यदि किसी यात्री ने नियमो का पालन नहीं किया, तो उसने किस किस को संक्रमित किया होगा.
और तो और चूँकि पूरा हेल्थ केयर सिस्टम कनेक्टेड हैं, इसलिए ताइवान ने आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा का इस्तेमाल करके ट्रेवल और मेडिकल हिस्ट्री देखकर उन लोगों का पता लगा लिया, जिन्हे इस बीमारी से सबसे अधिक खतरा था. और साथ में हेल्पलाइन खोल दी गयी, ताकि लोगों को सही जानकारी समय पर मिल सके.
फिर फरबरी महीने में ताइवान ने border कण्ट्रोल लगा दिए, जिस किसी व्यक्ति ने चीन अथवा होन्ग कोंग की पिछले 14 दिनों में यात्रा करि है, उसके ताइवान में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया.
और तो और सर्कार के द्वारा हर सप्ताह ताइवान के प्रत्येक नागरिक को दो फेस मास्क दिए गए, ताकि ना फेस मास्क की काला बाजारी हो, और ना ही लोगों के पास कोई बहाना हो.
इन प्रभाव शाली कदमो का ही परिणाम है, ताइवान को आज तक लॉक डाउन नहीं करना पड़ा है, लेकिन यदि आगे मुसीबत आन पड़ी तो ताइवान यह करने के लिए भी तैयार है.
इसलिए चीन जो आज ज्ञानबाजी कर रहा है, वह एक्चुअली में ताइवान से कॉपी किया गया है. लेकिन दुर्भाग्य देखिये , who से कोई जानकारी आज भी ताइवान को नहीं मिलती है, who नोटिस को प्राप्त करने के लिए ताइवान को या तो NGO अथवा उन गिनी चुनी सरकारों का मुँह देखना पड़ता है, जो आज भी ताइवान के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं.
यदि दुनिया में थोड़ी सी भी शर्म बाकि है, तो जल्दी से जल्दी ताइवान को who के मेंबर अथवा observer के रूप में शामिल करना चाहिए. आखिर कब तक हम सर फिरे शाशको के आगे सर झुकाते रहेंगे.
ताइवान ने जो कदम उठाये, वह ना सिर्फ इस बार बल्कि भविस्य में आने वाले किसी भी संकट से कैसे निपटा जाये, यह योजना बनाने में हमारी मदद करता है.
कल जब भारत के विदेश मंत्री ने चीन के foreign minister के साथ मिलकर काम करने की सहमति प्राप्त की, कितना अच्छा होता, यदि भारत ने ताइवान से knowledge लेने की कोसिस की होती.
चीन one इंडिया की पालिसी के अस्तित्वा को नकारता है, लेकिन हम one चाइना पालिसी के पीछे पागल बने घूमते रहेंगे, आखिर यह कब तक चलेगा?
चीन से वफ़ा निभाने की कोई भी सरकारी मजबूरी रही हो, लेकिन आम जनता को कौन रोक सकता है, क्या आप ताइवान को WHO में शामिल करने का समर्थन करते हैं, अपने विचार नीचे कमेंट सेक्शन में लिख कर बताएं.
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