Well Done US - For Corana Virus, Strong Case Filed Against China


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Reference
https://www.cbsnews.com/news/coronavirus-lawyer-larry-klayman-sues-chinese-government-over-outbreak/
https://www.outlookindia.com/newsscroll/20-tn-lawsuit-filed-in-us-against-china-over-coronavirus-pandemic/1777838
https://www.patheos.com/blogs/dispatches/2020/03/23/klayman-files-20-trillion-lawsuit-against-china-for-creating-coronavirus/
https://www.law.com/dailybusinessreview/2020/03/13/class-action-filed-against-china-over-covid-19-outbreak/?slreturn=20200224024552
https://www.thebalancesmb.com/what-is-a-class-action-lawsuit-3623787
https://www.axios.com/timeline-the-early-days-of-chinas-coronavirus-outbreak-and-cover-up-ee65211a-afb6-4641-97b8-353718a5faab.html
https://en.wikipedia.org/wiki/Biological_Weapons_Convention

जैसा की आप सभी को पता है, कोरोना वायरस ने पुरे विश्व के ऊपर कहर बरपा रखा है. चीन में यह वायरस पैदा हुआ, इतराने वाले गैर जिम्मेदार अमीरों ने इसे दुनिया भर में फैलाया, लेकिन इसकी कीमत अदा कर रहे हैं, गरीब और मध्यम बर्ग के लोग.



दुनिया भर के share markets के सिंहासनो पर भालुओं की ताजपोशी किसने करि, लाखों करोड़ों स्वाहा हो गए, इसका जिम्मेदार कौन है?



इस सवाल पर आज हमने पोल करवाया था, जिसमे 86 फ़ीसदी लोगों का मत था, की इस नुकसान की भरपाई चीन से होनी चाहिए.



लेकिन आज की सच्चाई यह है, की जिस चीन को दुनिया से माफ़ी मांगनी चाहिए थी, वह दुनिया में मास्क बाँट रहा है, और साथ में उसने किस तरह इस कोरोना वायरस से लड़ा, इसके लिए उसे पूरी दुनिया से थैंक यू भी चाहिए.

एनीवे मैन मुद्दे पर लौटते हुए, सवाल उठता है, की यदि चीन से नुकसान की भरपाई करवानी है, तो यह कैसे किया जा सकता है.



पिछले कुछ दिनों में अमेरिका के Florida और टेक्सास में चीन के खिलाफ क्लास एक्शन सूट फाइल कर दिया गया है. टेक्सास में पूरी अमेरिकन जनता की तरफ से फाइल किये गए केस में चीन को इस महामारी का जिम्मेदार बताते हुए, उस पर 20 ट्रिलियन डॉलर का दावा ठोक दिया गया है.



क्लास एक्शन सूट में उसी बायोलॉजिकल वेपन की थ्योरी को आधार बनाया गया है, जो आप सभी को पता है, इसलिए हम उसे दोबारा कवर नहीं कर रहे  हैं.



बेहद सरल शब्दों में जब कई लोगों को नुकसान होता है, तो वह सभी मिलकर एक साथ हानि पहुंचानेवाली संस्थाओं जैसे की सरकारी विभाग, व्यापारियों और कंपनियों के खिलाफ क्लास एक्शन सूट का केस फाइल करते हैं.  ताकि केस जीतने पर नुकसान की भरपाई हो सके.



लेकिन क्लास एक्शन सूट के अंतर्गत जो केस फाइल किये जाते हैं, उनमे बड़ा ही काम्प्लेक्स प्रोसीजर होता है, और आम तौर पर इनको कोर्ट के बहार बातचीत और लेन दें के द्वारा सेटल कर लिया जाता है.



लेकिन इस केस में दिक्कत यह है, की यह अमेरिका में दूसरे संप्रभु देश चीन पर फाइल किया गया है , क्योकि एक देश अपने कोर्ट में दूसरे देश पर केस नहीं कर सकता है, इसलिए इस बात की पूरी सम्भावना है, की यह क्लास एक्शन सूट कोर्ट में ख़ारिज हो जाये . लेकिन फिर भी देखना होगा, की अमेरिकन लीगल प्रोसेस इस केस पर कैसे आगे बढ़ती है.



अभी तक बहुत से एनालिसिस पब्लिश हुए हैं, जो इस बायोलॉजिकल वेपन की थ्योरी को आधारहीन बताते हैं,  थोड़े समय के लिए यदि हम यह भी मान ले, की यह वायरस पूरी तरह से नेचुरल  है. तो भी कुछ सवाल तो खड़े होते ही हैं.



जब 10 दिसंबर को पहले केस का पता चल गया था, जनवरी महीने की शुरुआत में जिन डॉक्टर्स ने इस खबर को रिपोर्ट किया, उनके साथ क्या हुआ, यह आप सभी को पता है.



18 जनवरी को वुहान में चार केस रिपोर्ट हुए, और उसी दिन वुहान में नए शाल का जश्न हज़ारों लोगों ने मिलकर मनाया.



अब आप ही बताएं, की आज जो चीन दुनिया को यह ज्ञान बाँट रहा है, की कोरोना वायरस से कैसे निपटा जाये, अगर वह 18 जनवरी को उसी knowledge को जमीं पर उतार देता, तो क्या यह बीमारी महामारी बन पाती?



इस बीमारी के प्रति लापरवाही और इनफार्मेशन को दबाना ऐसी गलतियों की सजा किसे मिलनी चाहिए??



बायोलॉजिकल वेपन की कांस्पीरेसी थ्योरी  सच है या झूट, क्या इसके बारे में गम्भीरता पूर्वक जमीनी जांच नहीं होने चाहिए.



आज जो एक्सपर्ट लोग चीन को क्लीन चिट दे रहे हैं, उनसे छोटा सा सवाल है, क्या वह इतने ही उदार होते, यदि यह वायरस भारत से दुनिया में फैलता??



आप स्वयं देख लीजिये, चीन को बचाने के लिए इस वायरस के खिलाफ जो पड़े लिखे लोग मानवता की दुहाई दे रहे हैं, यह वही लोग हैं, जो हर मौके पर हर मुद्दे पर बिना जाँच और सुनवाई के  भारत को गालियां देने को तैयार रहते हैं.



आगे बढ़ते हुए, आप में से कई दर्शकों का विचार है, की चीन को UN सिक्योरिटी कौंसिल से बहार निकाल देना चाहिए. लेकिन वीटो पावर वाले चीन को कैसे हटाया जायेगा, यह तो संभव दिखाई नहीं देता है.



जहाँ तक NSG से चीन को निकालने का सवाल है, यह भी possible नहीं है, क्योकि NSG इन विमारियों के मुद्दों को देखता ही नहीं है.



एक और रास्ता यह हो सकता है, वर्ष 1972 की Biological वेपन Convention के अंतर्गत UN सिक्योरिटी कॉउन्सिल से request की जाये, की चीन के खिलाफ जांच हो , और दोषी पाए जाने पर कारवाही की जाये.


चीन भी Biological वेपन Convention का हिस्सा है, लेकिन उसके पास वीटो की शक्ति भी है, इसलिए यह तरीका काम कर पायेगा, यह सम्भावना भी कमजोर है.



लेकिन बड़ा सवाल यह है, की चीन को सजा देने से ज्यादा जरूरी है, की दुनिया में ऐसा सन्देश जाना चाहिए, की इस तरह की गलतियों को माफ़ नहीं किया जायेगा.



वर्तमान की सच्चाई हमारे सामने हैं, बायोलॉजिकल वेपन कन्वेशन को इन्वोक करना तो छोड़िये, अख़बारों में चीन को निर्दोस घोसित करने की तेजी मची हुई है.



यदि UNSC में बायोलॉजिकल वेपन कन्वेशन को नहीं उठाया जा सकता है, तो क्या इस कन्वेंशन को आधार बनाकर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में केस दायर नहीं किया जा सकता है.





मुद्दे की बात यह है, की रास्ते बहुत हैं, लेकिन उन पर चलने की हिम्मत किसी देश की नहीं है. किसी देश के कोर्ट में ऐसे केस दायर करके भले ही कोई बात ना बने, लेकिन इस मुद्दे पर इंटरनेशनल लेवल पर कोसिस तो होनी चाहिए.

अंत में हम बिल्कुल साफ़ करना चाहते हैं, की इस बायोलॉजिकल वेपन के कांस्पीरेसी थ्योरी पर ना तो हम भरोसा करते हैं, और ना ही इसे हम फैला रहे हैं, हमारा कहना सिर्फ यह है, की इस बारे में इंटरनेशनल इंडिपेंडेंट इन्वेस्टीगेशन होनी चाहिए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.



जो बिद्वान लोग हर मसले पर जाँच की मांग करते हैं, उन्हें इस जाँच से कोई दिक्कत नहीं होगी, इसी एक उम्मीद के साथ हम यह वीडियो समाप्त करते हैं.

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