Good Job BRO - In Record Time, Strategic Project Completed along Pak Border
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Reference
https://www.thestatesman.com/india/bro-constructs-permanent-bridge-connecting-kasowal-enclave-in-punjab-to-other-parts-of-india-1502880058.htmlReference
https://www.newindianexpress.com/nation/2020/apr/22/kasowal-enclave-along-pakistan-border-gets-first-permanent-link-with-indian-mainland-2133859.html
https://www.hindustantimes.com/chandigarh/bro-builds-permanent-bridge-on-ravi/story-AR71rqj7KKl1dSWDzlI72M.html
अपने पिछले वीडियो में हमने चर्चा की थी, की किस तरह बीआरओ ने 2 महीने का काम एक महीने में पूरा करके अरुणाचल प्रदेश में एक पुल को बनाने का काम पूरा कर डाला.
जहाँ एक ओर बीआरओ का यह ब्रिज चीन की नींद हराम करने वाला था, तो दूसरी ओर अब बीआरओ ने चाइनीस प्यादे पाकिस्तान के परखच्चे ही उड़ा दिए है.
जी हाँ, BRO ने पंजाब प्रान्त में रावी नदी के उस पार पाकिस्तान के बॉर्डर से सटे कसोवाल एन्क्लेव को भारत के साथ परमानेंट पुल से जोड़ दिया है.
आपको ऐसे लोग भारत में थोक में मिल जायेंगे, जो यह कहते हैं, की मोदी सर्कार ने 6 सालों में जमीं पर कुछ करके नहीं दिखाया है, इन लोगों से हमारा छोटा सा सवाल है, आखिर 35 स्क्वायर Kilometer के इस बेहद उपजाऊ इलाके को भारतीय भूमि के साथ पिछले 70 सालों में क्यों नहीं जोड़ा गया???
आखिर क्यों इस इलाके में जाने के लिए भारत को आसमान में बादल और नदी में उफान देखना पड़ता था. क्यों पिछले सत्तर बर्षो में इतने बड़े कसोवाल एन्क्लेव तक पहुंच बारिश के मौसम में सम्भव नहीं थी??
जबकि 1965 और 1971 के युद्धों में भारत और पाकिस्तान ने इस इलाके में जबरदस्त लड़ाई लड़ी थी, फिर भी हमारे सरकारी कुंबकर्ण की नींद नहीं टूटी, तभी तो इस इलाके तक परमानेंट कनेक्टिविटी ले जाने के प्रोजेक्ट को कागज़ों से जमीं पर नहीं उतारा गया.
जाहिर है, ना सिर्फ यह एक सीरियस स्ट्रेटेजिक मिस्टेक थी, लेकिन फिर भी आप में से कुछ लोग कह शकते हैं, की मोदी सर्कार दूर दराज़ के इलाको में इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करके हमारे पैसे को बर्बाद कर रही है. लेकिन हक़ीकत यह है, की इसका खामियाज़ा उन किसानो को भी उठाना पड़ता था, जो इस उपजाऊ इलाके में मानसून के दौरान खेती नहीं कर पाते थे.
अब जबकि १२ मौसम चलने वाला पुल तैयार हो गया है, इस इलाके के किसान दो फसलों की चांदी काट पाएंगे. 70 टन का बजन ढोने वाला यह ब्रिज सेना के तो काम आएगा ही बल्कि यह हमारे किसानो की आमदनी को भी बढ़ाएगा.
सीमावर्ती इलाको में सड़कें और ब्रिज केवल युद्ध के दौरान काम आते है, इस बहाने के आधार पर हम कब तक इन बॉर्डर एरियाज को पिछड़ा रखेंगे. यदि अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर शहरों में बन रहा है, तो क्या बॉर्डर के पास रहने वाले लोगों को यह अधिकार नहीं है, की उनके पास बेसिक कनेक्टिविटी उपलब्ध हो.
यहाँ पर ध्यान रखने वाली बात यह भी है, की इस ब्रिज के निर्माण कार्य को कोरोना lockdown के कारन रोकना पड़ गया था, लेकिन चुकी हार्वेस्टिंग का सीजन हमारे सर पर आन खड़ा हुआ है, इसलिए बीआरओ ने कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सभी ऐतिहात उठाते हुए इस काम को समय पर पूरा कर दिया, और पिछले सोमवार को यह ब्रिज यातायात के लिए भी खुल गया.
बीआरओ ने किसानो की स्थिति को ध्यान में रखते हुए जिस प्रकार से इस प्रोजेक्ट को कम्पलीट किया है, वह सराहनीय है.
आज जब चाइनीस वायरस हर रोज नए नेगेटिव रिकॉर्ड बना रहा है, तब यह देखने में अच्छा लगता है, की BRO भी पॉजिटिव रिकॉर्ड अपने नाम लिखवा रहा है. यह बात और है, की कोरोना के नाम पर रोने धोने के कारण हमारी अधिकतर media के पास समय ही नहीं है, सायद इसलिए वह इस सकारात्मक कदम की सराहना तक नहीं कर पाते हैं.
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