Well Done Israel Germany - China to pay for Corona Damage?
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Reference
https://www.taiwannews.com.tw/en/news/3919329Reference
https://www.jpost.com/health-science/israel-us-law-firms-sue-china-for-trillions-of-dollars-over-coronavirus-625128
https://www.tweaktown.com/news/71893/coronavirus-cover-up-china-hit-with-4-trillion-reparations-lawsuit/index.html
https://www.newtelegraphng.com/covid-19-china-must-pay-reparations-to-africa/
https://timesofindia.indiatimes.com/world/us/trump-warns-china-of-consequences-as-republicans-dems-fight-over-who-is-cozier-with-beijing/articleshow/75237278.cms
https://asia.nikkei.com/Politics/International-relations/Vietnam-protests-China-s-new-South-China-Sea-districts
कोरोना महामारी से दुनिया भर में जो तबाही मची हुई है, उसकी भरपाई कौन करेगा, अब यह सवाल पूरी दुनिया के आगे मुँह बाये खड़ा है.
चीन ने कोरोना बीमारी को बना दिया महामारी, और चाइनीस अपराध की कीमत अदा कर रहे हैं आम लोग . इसलिए चीन को इस नुकसान की भरपाई करनी होगी, ऐसी मांग आप सभी उठाते रहे हैं.
पिछले महीने अमेरिका में चीन के ऊपर चार केस दायर किये गए, जिनमे से एक केस में तो चीन पर 20 ट्रिलियन डॉलर का दावा ठोका गया था.
अमेरिका में ऐसे नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है, जिनके अनुसार चीन ने कोरोना डैमेज दुनिया को pay करना ही होगा. और यदि चीन दुनिया को 100 ट्रिलियन डॉलर हर्जाना नहीं देता है, तो उसकी UN सिक्योरिटी कौंसिल की परमानेंट सदस्य्ता कैंसिल हो जानी चाहिए.
इन आकंड़ो के जवाब में आप में से कुछ लोगों का कहना हो सकता है, की जब चीन की इकॉनमी ही 14 ट्रिलियन डॉलर की है, तो वह 20 या 100 ट्रिलियन डॉलर का हर्जाना कैसे भरेगा??
चीन यह पैमेंट कैसे करेगा, कितने सालों में करेगा, यह चिंता करना क्या हमारा काम है?? और अगर ऐसी ही चाइनीस चिताओं में हम उलझे रहे, तो फिर दुनिया में किसी ने चीन पर डैमेज क्लेम डालने की जरूरत ही क्या है??
और ऐसा नहीं है, की चीन से यह मांग करने वाला अमेरिका अकेला देश है, इजराइल में भी एक NGO ने चीन के खिलाफ lawsuit फाइल करने का निर्णय लिया है.
तो जर्मनी के सबसे बड़े अख़बार ने तो चीन के नाम पर 165 बिलियन डॉलर का भारी भरकम बिल भी फाड़ दिया है.और इस बिल में हर उस डैमेज आइटम को शामिल किया गया है, जिसे चीन ने भरना है.
आखिर दुनिया भर के छोटे छोटे व्यापारी गरीब किसान और मजदूर क्यों चीन की गलती की सजा भुगतें? फिर भी गरीबों की राजनीती करने अमीर बने नेता आज चीन का बचाव करते देखे जा सकते हैं.
जबकि दुनिया भर में चीन से नुकसान की भरपाई की मांग उठ रही है, तो चीन भी चुप तो बैठेगा नहीं, उसका कहना है, की दुनिया भर के देश ऐसी मांग करके अपनी अपनी जिम्मेदारी को चीन के गले में डालकर उसे बलि का बकरा बना रहे हैं.
चीन की यह बात सही होती, यदि उसने दिसंबर महीने में ही खतरे की घंटी बजा दी होती. अगर चीन ने जनवरी महीने में 50 लाख लोगों को wuhan से दुनिया भर में जाने से रोका होता.
जो चाइनीस बीमारी एक शहर में समेटी जा सकती थी, आज वह महामारी के रूप में दुनिया भर के 184 देशो में फ़ैल चुकी है.
चलिए मान भी लेते हैं, की चीन का कोरोना महामारी को फ़ैलाने में कोई योगदान नहीं है, साउथ चीन सी में वियतनाम की नाव का डूबना एक्सीडेंट थी. लेकिन क्या कल साउथ चाइना सी में दो डिस्ट्रिक्ट का ऐलान भी एक प्राकृतिक घटना थी.
एक तरह पूरी दुनिया कोरोना महायुद्ध को लड़ रही है, तो दूसरी तरफ चीन पुरे के पुरे साउथ चाइना पर अपना प्रभुत्वा स्थापित करने की राह पर निकल पड़ा है. हम सभी का आम अनुभव बताता है, की अतिक्रमण कारी कब्ज़ा करने के लिए ऐसे ही मौके की तलाश में रहते हैं.
इतिहास में हमेसा से जमीं पर कब्ज़ा होते आया है, लेकिन चाइनीस ड्रैगन ने तो पुरे के पुरे सागर को ही निगलना चालू कर दिया.
बात साफ़ है, यदि दुनिया अब भी नहीं जागी, तो वह दिन दूर नहीं है, जब हिन्द महासागर के बीचो बीच चाइनीस प्रान्त संभाग डिस्ट्रिक्ट और तहसील की स्थापना हो जाएगी.
इसी बैकग्राउंड में कल जब भारत ने चीन से डायरेक्ट अथवा indirectly घुमा फिरा कर आने वाले निवेश की राह में सरकारी अप्रूवल की रुकावट पैदा कर दी, तो आज चीन तिलमिला कर WTO के नियमो वैश्वीकरण और उदारीकरण की दुहाई देने लगा.
इसे कहते हैं, 100 चूहे खाकर चाइनीस बिल्ली हज को चली.
चीन का रोना तो लाजमी है, लेकिन चीन से ज्यादा रो धो रहे हैं, हमारे यहाँ के एक्सपर्ट लोग, जिनके अनुसार चीन के पैसो के आभाव में इंडियन स्टार्ट अप तड़प तड़प कर मर जायेंगे.
यह हमारा दुर्भाग्य ही है, की हमारे यहाँ के विद्वानों को दोस्तों के निवेश और दुश्मन की साजिस में भेद करना नहीं आता है. पता नहीं, और कितनी बड़ी बर्बादी के बाद इनके होश ठिकाने पर आएंगे.
चीन सरे आम दुनिया की आँखों में धुल झोकता रहा, और हम सभी उसका सस्ता माल खरीद कर खुस होते रहे. आप ही बताएं, यदि प्रेजिडेंट ओबामा ने चीन को साउथ चाइना सी के बीचो बीच आर्टिफीसियल आइलैंड ना बनाने दिए होते, तो आज क्या चीन उन आइलैंड को district में कन्वर्ट कर पता.
बात साफ़ है, जब चाइनीस ड्रैगन 100 सालों की साजिस के अनुसार धीरे धीरे कदम आगे बड़ा रहा था, तब हमारे एक्सपर्ट और विद्वान लोग आज के अखबार में चाइनीस निवेश की खबरें पढ़कर खुस हो रहे थे.
बात साफ़ है, बिना इकनोमिक सिक्योरिटी के नेशनल सिक्योरिटी संभव नहीं है. पिछले २० सालों में जब आम आदमी चीन की चालबाजियों के बारे में चिल्ला रहा था, तब एक्सपर्ट लोग चीन के हाथों दुनिया की नीलामी का कार्यक्रम आयोजित करवा रहे थे.
आइये देखते हैं, कोरोना संकट की बर्बादी के बाद दुनिया के अकल ठिकाने पर आती है या नहीं
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