Thank you Israel for Cancelling Mega Chinese project
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आपको सायद पता हो, वर्ष 2023 तक इसराइल में दुनिया का सबसे बड़ा desalination प्लांट लगाया जाना है, रिवर्स ओसमोसिस की तकनीक पर काम करने वाला यह प्लांट समुद्र के खारे पानी को मीठे पानी में बदल देगा. यह प्लांट इसराइल की desalination की कैपेसिटी को 35% बढ़ाने वाला है.
भविस्य में सूखे की समस्या से निपटने के लिए इसराइल कोसिस कर रहा है, की वर्ष 2030 तक उसकी खारे पानी को मीठा बनाने की छमता डबल हो जाये.
इस सोरेक B प्लांट को बनाने के लिए तीन ग्रुप्स ने अपनी अपनी बिड दाखिल कराई थी, जिनमे से एक ग्रुप था,इसरायली हचीसन वाटर कंपनी, जो हांगकांग में स्थित चाइनीस कंपनी हचीसन की ही एक इसरायली शाखा है.
लेकिन यहाँ पर ध्यान रखने वाली बात यह है, की यह desalination प्लांट उस एयर बेस के पास बनाया जाना है, जहाँ पर अमेरिका और इसराइल मिलकर मिसाइल टेस्ट करते हैं.
अब आपको समझ आ गया होगा, की इस प्लांट का न केवल इसराइल के इंफ्रास्ट्रक्चर और स्ट्रेटेजिक दृस्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, और क्यों चीन इस प्लांट में इतनी रूचि ले रहा है..
अब आप ही बताएं, क्या इसराइल और अमेरिका को यह बात हज़म होनी चाहिए थी, की जिस इलाके में हाइली confidential टेस्ट किये जाते हैं, वहां पर चीन भी आकर बैठ जाये??
जबकि इस प्लांट का निर्माण कौन करेगा, इस बारे में अंतिम निर्णय इसराइल को ही लेना था, लेकिन कुछ ही दिनों पहले अमेरिका के विदेश सचिव ने करि इसराइल की यात्रा, और उन्होंने बिना इस प्लांट का नाम लिए साफ़ कर दिया, की यदि चीन इसराइल के इंफ्रास्ट्रक्चर अथवा कम्युनिकेशन सिस्टम्स में हिस्सा ले लेता है, तो अमेरिका के लिए इसराइल के साथ सहयोग करना मुश्किल हो जायेगा.
जाहिर है, इसराइल को अमेरिका की बात समझ आ गयी, और उसने आज निर्णय भी ले लिया, जिसके अनुसार सोरेक B desalination प्लांट का निर्माण करने का ठेका इसराइल की ही लोकल कंपनी आईडीई टेक्नोलॉजीज को दे दिया गया है.
इसराइल के एनर्जी मिनिस्टर के अनुसार IDE टेक्नोलॉजीज के द्वारा पेश किया गया ऑफर सबसे सस्ता और बेहतरीन था, और फाइनल स्टेज में पहुंची चीन की कंपनी भी उसे मैच नहीं कर पायी.
हालाँकि इसराइल के मंत्री का यह स्टेटमेंट चीन के लिए सांत्वना का काम कर सकता है, लेकिन आप को पॉइंट समझ आ गया होगा, ऐसा होने की सम्भावना बेहद कम है. की चीन ने अपने ऑफर में कोई कमी छोड़ी हो.
वैसे भी खारे पानी को मीठा बनाने से ज्यादा चीन को इस प्लांट की स्ट्रेटेजिक लोकेशन में इंटरेस्ट था.
अब जबकि चीन की कंपनी को रिजेक्ट करके इसराइल की कंपनी को प्रोजेक्ट मिल गया है, निश्चित रूप से यह अमेरिका के लिए एक राहत भरी खबर है. क्योकि उसके विदेश सचिव की यात्रा के महज 10 दिनों के भीतर इसराइल ने अमेरिका की बात मान ली है.
यहाँ तक की चीन को भी भनक लग गयी थी, की अब उसकी साजिस पर अमेरिकन तलवार लटक चुकी है, इसलिए तो अमेरिकी विदेश सचिव की यात्रा के ठीक बाद इसराइल में स्थित चाइनीस दुताबास ने कहा था, की उसे इसरायली दोस्तों पर भरोसा है, और चीन अपेक्षा करता है, की इसराइल कोरोना वायरस के साथ साथ पोलिटिकल वायरस को भी परास्त करेगा.
वैसे इसराइल के भविस्य के लिए भी यह अच्छा है, की वह बैकडोर से चाइनीस एंट्री को बंद करे.
यहाँ तक की कई इसरायली विद्वानों का कहना था, की इसराइल और अमेरिका की दोस्ती के इतिहास में पहली बार अमेरिकी ट्रम्प प्रशासन इसराइल की आइडियोलॉजी को इतना अधिक सपोर्ट कर रहा है, लेकिन फिर भी इसराइल चीन के करीब जा रहा है.
सायद आपको जानकारी होगी, की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के अंतर्गत चीन इसराइल के हैफा और अशदोद में बंदरगाह का निर्माण कर रहा है, और तेल अवीव का लाइट रेल प्रोजेक्ट भी BRI में शामिल है.
बात इंफ्रास्ट्रक्चर तक ही सीमित रह जाती तो ठीक होता, लेकिन चीन को पता है, की इसराइल टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन का हब है, इसलिए इसराइल से जुड़कर चीन को बहुत लाभ होता हुआ दिखाई भी दे रहा है.
चीन जिस 100 सालोँ की साजिश पर काम कर रहा है , उसमे अमेरिका को हराने के लिए चीन साफ तौर पर इसरायली कंधे का इस्तेमाल करता हुआ देखा जा सकता है.
चलिए जो हुआ सो हुआ, यह अच्छा है, की अब इसराइल ने अमेरिका और चीन में से अमेरिका का चुनाव कर लिया है, जाहिर है, यह बात चीन को नागवार गुजरेगी. इसलिए आगे के समय में चीन इसराइल की राह में रोड अटकाने की कोसिस जरूर कर सकता है.
अब सांप तो निकल गया, चीन चाहे जितना लकीर पीट सकता है.
इसी बीच आप सभी को पता है, कोरोना अटैक से निपटने के लिए भारत और इसराइल ने एक दूसरे के साथ कंधे से कन्धा मिलाने का निर्णय लिया है.
भारत में स्थित इसरायली दुताबास के अनुसार दोनों देशो के वैज्ञानिक मिलकर ऐसी कोरोना वायरस टेस्टिंग किट का विकास कर रहे हैं, जो कुछ ही मिनट्स के भीतर विस्वस्नीय रिजल्ट दे दे.
India और इसराइल के बीच बढ़ता हुआ, वैज्ञानिक सहयोग हम सभी के लिए प्रशन्नता का विषय है.
लेकिन अभी जब भारत और चीन के बीच LAC पर तनाव बड़ा हुआ है, यह सुनने में अच्छा लगता है, की इसराइल ने पहली बार भारत के दुश्मन को मजा चखाया है.
आप सभी को पता है, इसराइल जितना चीन के प्रभाव से मुक्त रहेगा, भारत के भविस्य के हिसाब से उतना ही अच्छा रहेगा. हम यह बिलकुल नहीं चाहते हैं, की जब भारत चीन का विवाद छिड़े, तो इसराइल तटस्थ होकर चीन का साथ दे.
इसलिए जो हो रहा है, बिलकुल सही हो रहा है, चीन के ऊपर इसराइल की कम होती निर्भरता भारत के लिए एक संतोषप्रद घटनाक्रम है.
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