Well done Modi ji


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हम सभी को जानकारी है, की कई चरणों की बातचीत के दौरान हाल में पनपा भारत चीन विवाद सुलझने का नाम ही नहीं ले रहा है. और इसी बीच दोनों देशो ने अपनी अपनी सेनाओ को हाई अलर्ट पर रखा हुआ है.

वैसे भी जब प्रॉब्लम पैदा बेजिंग में हुई है, तो उसका समाधान लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल पर लोकल कमांडर्स के द्वारा नहीं निकाला जा सकता है. 

एनीवे यदि चीन को सीमा पर आंख से आंख मिलाने का खेल खेलना है, तो भारतीय सेना उसके लिए भी तैयार है. तीन साल पहले भी चालबाज चीन को अपनी शक्ति का गुमान हुआ था, लेकिन दोकलाम में भारतीय सैनको ने मक्कार चीन  को दक्षिण दिशा में  एक इंच तक सड़क नहीं बनाने दी थी. 

वैसे भी लड़ाई जमीनी सीमा की है ही नहीं अब, चीन की साजिश अब हमारे हिन्द महासागर को हथियाने की है. आप सभी को पता है, की हर साल चीन की 600 नावे इंडियन ओसेन में मछलियां पकड़ती देखि जाती है. लेकिन समुद्री सच्चाई यह है, की भारत इंडियन ओसेन तो छोड़िये अपने पानी यानि की एक्सक्लूसिव इकनोमिक जोन में तक मछलियां नहीं पकड़ रहा है.

और हमें इस बात का कोई सपना नहीं आया है, बल्कि इंडियन डिफेंस सेक्रेटरी ने यह बात कही है, बात साफ़ है, मछुआरे मछलियां पकड़ पाएं, इसके लिए जरूरी है, की उनकी सुरक्षा को जल और नभ से सुनिश्चित किया जाये.

इसलिए लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल का विवाद तो चलता रहेगा, अब इंडियन ओसेन को बचाने के लिए भारत सर्कार कमर कस रही है. यह देखने में संतोष प्रद है.

इसी बीच सवाल उठा है, ताइवान का, जिसे इस सप्ताह हुई वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में आब्जर्वर के रूप में नहीं बुलाया गया, क्योकि सदस्य देशो के बीच सहमति नहीं बन पायी.

बात simple है, जिसकी लाठी भैस भी उसी की होती है. यह हमारे लिए दुःख का विषय भी था, क्यों की भारत ने ताइवान को लेकर अपनी स्थिति स्पस्ट नहीं की.

लेकिन इस महीने की शुरुआत में आप सभी ने देखा, कांग्रेस पार्टी के नेता ने ताइवान का समर्थन करते हुई ट्वीट किया, तो चीन से ज्यादा बेचैनी कांग्रेस पार्टी में पैदा हो गयी, और उन्होंने ट्वीट को डिलीट करवा दिया.

इस तरह आप सभी ने देख लिया था, की चीन के खिलाफ चु तक करने की हिम्मत भारीतय बिपक्ष में नहीं है. सर्कार को चीन से डर लग भी सकता है, लेकिन किसी पार्टी को चीन से कांपने की क्या जरूरत है??

कोरोना क्राइसिस से निपटने के लिए चीन के साथ मिलकर लड़ने की सलाह देने वाले नेता और विद्वान हमारे देश में मोदी जी की राह में रोड़े अटकाते साफ़ देखे जा सकते हैं.

लेकिन जो काम डरपोक कांग्रेस पार्टी नहीं कर पायी, उससे कई गुना बेहतरीन काम साहसी बीजेपी ने कर दिया. 

जी हाँ, 20 मई को ताइवान की प्रेजिडेंट का दूसरा कार्यकाल चालू हुआ, और इस सपथ ग्रहण कार्यक्रम में BJP के दो लोकसभा सदस्यों ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये हिस्सा लिया.

और इन दोनों नेताओं ने वीडियो मैसेज में साफ़ कर दिया, भारत और ताइवान दो लोकतान्त्रिक देश है, जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानव अधिकारों का समान रूप से सम्मान करते हैं, और पिछले कुछ बर्षो में भारत और ताइवान के बीच आपसी व्यापर और निवेश कई गुना बढ़ गया है.

अब आप ही बताएं, दो बीजेपी MPs ने बिना मोदी सर्कार की हरी झंडी के क्या इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया होगा??
और अगर लिया भी था, तो बीजेपी ने अभी तक कांग्रेस की तरह इन दो नेताओं से पीछे हटने और माफ़ी मांगने को क्यों नहीं कहा.

आप में से कुछ लोग कह सकते हैं, की दो भारतीय नेताओं ने सपथ ग्रहण कार्यक्रम में हिस्सा लिया, तो कौन सी बड़ी बात हो गयी??

लेकिन इस घटना का महत्व समझनेके लिए हमें 20 मई 2016 तक पीछे जाना होगा, तब ताइवान की वर्तमान प्रेजिडेंट ने पहली बार राष्ट्रपति पद की सपथ ली थी.

तब भी दो बीजेपी MPs को इस कार्यक्रम में भाग लेना था, लेकिन ऐन मौके पर ये दो नेता कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए. सायद आप में से कुछ लोगों को याद हो, तब दिल्ली बीजेपी के एक नेता ने कार्यक्रम में हिस्सा लेकर भारत की उपस्थिति जरूर दर्ज कराइ थी.

तब BJP MPs ने भाग क्यों नहीं लिया था, इसके कई बहाने और कारण बताये जाते  हैं, लेकिन जो बात आधिकारिक तौर पर नहीं बताई जा सकती है, वह आपको भी पता है.

पिछले कार्यकाल में मोदी सर्कार ने यही कोसिस की, की चीन का तुस्टीकरण करके किसी तरह काम चलाया जाये, लेकिन वर्षो से टाली जा रही समस्या का कभी न कभी तो हमें सामना करना पड़ेगा??

और आज वह दिन हमारे सामने फिर खड़ा है. आप 70 सालों का इतिहास उठाकर देख लीजिये, चीन भारत को दोस्त नहीं पिछलग्गू बनाना चाहता है. और जब जब हम स्वाभिमानी होकर अपनी आवाज उठाते हैं, चीन सीमा विवाद को भड़काकर हमारी गर्दन पर तलवार रख देता है.

चलिए बीती हुई बातों पर मिटटी डालते हैं, भारतीय संसद के दो वर्तमान सदस्यों ने ताइवान के कार्यक्रम में हिस्सा लिया, भले ही इस घटना को अधिकतर भारतीय मीडिया ने इग्नोर कर दिया हो, लेकिन चीन की छोटी छोटी आँखों में यह बात खूब चुभने वाली है. 

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