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जैसा की आप सभी देख रहे हैं, गलवान फेस ऑफ के बाद से ही भारत ने अपनी तैयारियों में तेजी ला दी है. लद्दाक में जमीं पर आर्मी और आसमान में एयरफ़ोर्स की बढ़ती हुई गतिविधियों के बारे में हम सभी को जानकारी है.

युद्ध की तैयारी में हम जितना अधिक पसीना बहाएंगे, युद्ध के दौरान उतना ही कम खून हमें बहाना पड़ेगा. और आज इस तरह की खबरें भी आ रही है, की डीज़ल और पेट्रोल की स्टॉकिंग हो जाने  बाद अब जम्मू और कश्मीर राज्य में एलपीजी गैस का २ महीनो के लिए स्टॉक मेन्टेन करने का आदेश जारी हो गया है, और साथ में सैनिको के रहने के लिए स्कूल्ज को भी खाली कराया जा रहा है.

दिवार पर लिखी लिखावट को हम सभी पड़ सकते हैं, आगे आने वाले समय में कब और क्या होगा, यह अब पूरी तरह से चीन पर निर्भर करता है.

चीन सन त्ज़ु के अनुसार भारत के खिलाफ साजिस बनाता रहे, सन त्ज़ु की आर्ट ऑफ़ वॉर को हराने के लिए हमारे पास भी चाणक्य नीति है.

पिछले कुछ समय से आप सभी कहते आ रहे हैं, की जब जालसाज़ चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तान नेपाल जैसे चिरकुटों की फौज तैयार कर रहा है,  तो भारत ने भी डेमोक्रेटिक दोस्तों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए.

हम सभी का आम अनुभव बताता है, दोस्ती की तागत दुश्मन के इरादों पर हमेसा भारी पड़ती है. इसलिए जब हम शांति  काल में चीन से दो दो हाथ करने के लिए तैयारी पूरी कर रहे हैं, यह बेहद जरूरी है, की हम अपने दोस्तों के साथ मिलकर काम करने की और सुचारु कम्युनिकेशन की power को पुख्ता करें.

इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, भारत और जापान की नौ सेनाओं ने कल हिन्द महासागर में जॉइंट ऑपरेशन को अंजाम दिया, ताकि दोनों देशो की नौ सेनाओ के बीच आपसी समझ और विस्वास का  विकास हो सके.

यह जॉइंट ऑपरेशन किसी युद्ध के लिए नहीं था, लेकिन इसके पीछे का सन्देश सही पते पर पहुंच चूका है.

चीन को यह पता होना चाहिए, की भारत के साथ उलझने पर मामला कितना बिगड़ सकता है. इसलिए हमें अपने दोस्तों के करीब जाना ही होगा.

आपको पता है, हाल के कुछ दिनों में ईस्ट चाइना सी को लेकर जापान और चीन के बीच भी तना तनि बहुत बढ़ गयी है. जापान ने अपनी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चीन के खिलाफ डेप्लॉय भी कर दिया है.

इसलिए बात साफ़ है, इस दोस्ती की जितनी आवस्यकता भारत को है, उतनी ही जरूरत जापान को भी है. 

इसी दौरान यह बिचार भी सामने आ रहा है, की भारत ने अंडमान और निकोबार आइलैंड तक अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और जापान को पहुंच दे देनी चाहिए. ताकि इस स्ट्रेटेजिक लोकेशन का हमारे मित्र देश भी लाभ उठा पाएं.

अंडमान और निकोबार भारत का कभी ना डूबने वाला एयरक्राफ्ट कर्रिएर है, जिसे प्रकृति ने हमेसा के लिए मल्लका स्ट्रैट पर तैनात किया हुआ है. इसलिए हमने इस नेचुरल फैसिलिटी का भरपूर लाभ उठाना चाहिए.

उदहारण के लिए इंडिया के पास सबमरीन डिटेक्शन की capability लिमिटेड है, लेकिन जापान इस छेत्र में world लीडर है, बात साफ़ है, हम अपनी कमजोरी को अपने दोस्त की मदद से शक्ति में तब्दील कर सकते हैं.

पॉइंट सिंपल हैं, लद्दाक में चाइनीस इरादों पर लगाम हिन्द महासागर में ही लगाई जा सकती है.

आज हम सभी जिस संकट काल से गुजर रहे हैं , उसके लिए अमेरिका में ट्रम्प साहेब और इंडिया में मोदी जी को दोष देना बेहद आसान है, लेकिन ध्यान से देखने पर साफ़ नजर आता है, की आज पूरी दुनिया सिर्फ एक आदमी की महत्वाकांक्षा की कीमत चुका रही है.

आगे बढ़ते हुए, हम सभी देख रहे हैं, की भारत और चीन के बीच तनाव के बढ़ने पर भारत की बड़ी बड़ी कंपनियों के अधिकारी बच्चो की तरह रो धो रहे हैं. की चीन से इम्पोर्ट रुक जाने पर ये हो जायेगा वह हो जायेगा.

उसी समय इंडिया की सबसे बड़ी किचन एप्लायंस कंपनी प्रेस्टीज ने निर्णय लिया है, की वह 30 सितम्बर के बाद चीन से कोई माल नहीं खरीदेगी.

भविस्य में चीन से इम्पोर्ट होने वाला माल या तो भारत में ही खरीदा जायेगा, नहीं तो उसे चीन के अलावा अन्य देशो से इम्पोर्ट किया जायेगा.

यह बात हो सकती है, की प्रेस्टीज के प्रोडक्ट्स बहुत काम्प्लेक्स नहीं होते हैं, इसलिए उसके लिए चीन के इम्पोर्ट को रोकना relatively आसान है. 

लेकिन बड़ी बात यहाँ पर यह है, की जहा चाह होती है, वही राह भी होती है. प्रेस्टीज की ही तरह यदि अन्य भारतीय कंपनियां positively विचार करेंगी , तो चाइनीस इम्पोर्ट को कम करने के रास्ते भी निकल आएंगे.

हर आम आदमी जानता है, की आज माचिस से लेकर हवाई जहाज में चीन बैठा हुआ है, इसलिए कोई नहीं कह रहा है, की अचानक चीन से सारा इम्पोर्ट रोक दो, लेकिन आग्रह यह है, की नेक काम की शुरुआत जीतनी जल्दी हो जाये उतना अच्छा है.

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