Indian Submarine Super Power Deployed

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पिछले कुछ दिनों में हम सभी ने खासतौर पर देखा है, जहाँ कम्युनिस्ट चीन से हमेसा एक आवाज़ आती सुनाई देती है, वही हमारे डेमोक्रेटिक इंडिया में एक दूसरे का विरोध करती कई आवाजे आती रहती  हैं.

गलवान फेस ऑफ के बाद इंडियन आर्मी और एयर फाॅर्स चीन के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार किये हुए हैं. इस दौरान हम सभी का ध्यान इंडियन नेवी पर कम ही जाता है.

लेकिन सच्चाई यह है, की इंडियन नेवी ना केवल हिन्द महासागर के चप्पे चप्पे को मॉनिटर कर रही है, बल्कि साथ साथ लॉन्ग रेंज हवाई जहाज जैसे की P8i नार्थ इंडिया के पहाड़ों में चाइनीस एक्टिविटीज पर पैनी नजर बनाये हुए हैं.

साथ ही आपने भी नोटिस किया होगा, की अब भारत की सेनाओं के तीनों अंग एक साथ एक ही दिशा में काम कर रहे हैं. और उनके बीच के इस समन्वय से दुश्मन को अपनी कई मानसिक साजिशो को जमीनी आकार देने का मौका नहीं मिल पा रहा है.

जहाँ तक हमारे हिन्द महासागर का सवाल है, पिछले कुछ समय से भारत ने अंडमान निकोबार आइलैंड पर अपनी शक्ति में काफी इजाफा किया है.


पिछले साल ही भारत ने अंडमान पर तीसरा एयर बेस activate किया था, ताकि हवाई जहाज से बहुत बड़े छेत्र को observe किया जा सके.

आपको सायद पहले से पता हो, भारत आंध्र प्रदेश के तट पर  INS वर्षा जैसे सबमरीन बेस का भी डेवलपमेंट बहुत तेजी से कर रहा है, ताकि परमाणु पनडुब्बियों की शक्ति चीन और पाकिस्तान को दुःसाहस दिखाने से रोकते रहे.

भले ही जिबूती और ग्वादर में चाइनीस नेवी के बेस हैं, लेकिन अभी भी उसके पास अंडमान निकोबार का जवाब नहीं है. और भारत ने वहां पर अपनी पनडुब्बियों की तैनाती भी हाल ही में बड़ा दी है.

ताकि मौका पड़ने पर चीन को हिन्द महासागर में घुसने से रोका जा सके.

लेकिन हमने यहाँ पर अपने दुश्मन को भी कम करके नहीं आंकना चाहिए, साउथ चाइना सी की ही तरह चीन हिन्द महासागर में भी किसी ना किसी द्वीप को दबाने की फ़िराक में साफ़ दिखाई देता है.

इसलिए इससे पहले की चालू चीन हिन्द महासागर में अपना दावा पेश करने लगे, हमें गलवान वैली की तरह अपनी शक्ति को मजबूत करना होगा, ताकि चीन की किसी भी हरकत का मौके पर जवाब तुरंत दिया जा सके.

आप सभी की तरह हमें सेना के तीनो अंगो पर पूरा विस्वास है, वह चीन और उसके प्यादों की हर साजिस को नाकाम करने में सक्छम है.

लेकिन कल तक हम पाकिस्तान और चीन के साथ two फ्रंट वॉर के वर्स्ट केस सिनेरियो की चर्चा करते थे, लेकिन अब चीन और नेपाल पाकिस्तान जैसे प्यादों के साथ हमें थ्री फ्रंट वॉर के बारे में भी सोचना चालू करना होगा, और क्या पता बांग्लादेश और श्री लंका कब इस एंटी इंडिया अलायन्स में शामिल हो जाएँ.

इसलिए हमें मल्टी फ्रंट आल डायमेंशनल वॉर के लिए अपनी कमर कसनी होगी. बात साफ़ है, जब चीन अपनी सौ सालों की साजिस के तहत भारत के खिलाफ कम्युनिस्ट नेक्सस तैयार कर रहा है, तो भला भारत क्यों डेमोक्रैटिक अलायन्स का हिस्सा ना बने.

जहाँ तक गलवान फेस ऑफ का सवाल है, इसके बाद पैदा हुई इस्थिति से निपटने के लिए कई तरफ के उपाय सुझाये जा रहे हैं, और इस बारे में आज हमने पोल भी किया था, जिसमे 67 परसेंट दर्शकों का मानना था, की भारत ने चीन के माल का इम्पोर्ट और खरीद रोकनी चाहिए.

जबकि चीन आज भी गलवान वैली पर अपना दावा मजबूत करने की कोसिस में लगा है, तो सवाल उठता है, क्या हम इकनोमिक बायकाट के लॉन्ग टर्म स्टेप से करंट चाइनीस चैलेंज से शार्ट टर्म में निपट सकते हैं??

जहाँ तक हम समझ सकते हैं, यदि चीन बातों से नहीं माना तो 1967 को दोहराने का समय अब आ गया है.  चीन के खिलाफ मिलिट्री स्ट्राइक निश्चित रूप से एक ऐसा विकल्प है, जिसे चुनने के लिए चीन हमें बाध्य कर रहा है.

अब आप में से कुछ लोग कह सकते हैं, की यह लिमिटेड स्ट्राइक फुल स्केल वॉर में तब्दील हो सकती है. लेकिन हमारा छोटा सा सवाल है, गलवान फेस ऑफ को अंजाम देने के पहले क्या चीन को युद्ध भड़कने का डर नहीं था.

जो लोग 1962 की हार के कारण आज तक सहमे हुए हैं, उन्हें क्या यह पता नहीं है, की आज भारत परमाणु शक्ति संपन्न है, इसलिए फुल स्केल वॉर से यदि भारत को नुकसान होगा, तो चीन को भी कीमत अदा करनी होगी.

और हाँ,आप सभी ने देखा है, गलवान में जो हुआ, तो भारत के जवानो की वीरगति पर सभी देशो ने आंसू बहाये, लेकिन चीन का विरोध करने में अमेरिका के अलावा सायद ही कोई देश आगे आया हो.

इसलिए बात साफ़ है, जब भारत आक्रामक रुख अख्तियार करेगा, तो जो देश आज घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, उन्हें भी भारत और चीन में से किसी एक का चुनाव करना ही होगा.

मोदी सर्कार चीन के खिलाफ स्ट्राइक को अंजाम देती है या नहीं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन चीन को चौंकाने का समय अब हमारे सामने खड़ा है.

और हाँ फुल स्केल वॉर को रोकने की जिम्मेदारी हमेसा बड़े देश यानि की चीन की होती  है, ना की हमारी. आप ही बताएं, क्या शांति स्थापित करने के लिए अपने हितों को कुर्वान करने का ठेका अकेला भारत ने ले रखा है??

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