Super Indian Diplomacy
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इस समय जबकि मोदी सर्कार चीन का सामना कर रही है, तब हम सभी देख रहे हैं, भारतीय विपक्ष मोदी सर्कार से लड़ रहा है.
हमेशा की तरह पक्ष और विपक्ष की राजनीती तो चलती रहेगी, बड़ा सवाल यह है, की देश चाइनीस कोरोना और स्टोन अटैक दोनों से एक साथ कैसे निपट रहा है.
तय कार्यक्रम के अनुसार 22 जून को रूस इंडिया और चीन के विदेश मंत्रियो के बीच बातचीत होना थी. जैसा की कल हमने चर्चा की थी, की भारत ने इस मीटिंग से पीछे हटकर साफ़ कर देना चाहिए, की अब भारत चीन के साथ काम करने को बिलकुल भी तैयार नहीं है.
वैसे भी विरोध को दर्ज करानेका यह सबसे जल्दी मिलने वाला आसान तरीका था.
जिस प्रकार चालबाज़ चीन ने पूर्व नियोजित साजित के तहत गलवान faceoff को अंजाम दिया, वह भारत के ऊपर से चाइनीस दोस्ती का भूत उतारने के लिए काफी है.
इसलिए सुबह ऐसी खबरें आयी, की यदि यह पूरा कार्यक्रम पूर्व नियोजित तरीके से होगा, तो भारत उसमे भाग नहीं लेगा.
रूस और चीन को भारत का मैसेज साफ़ था, और अब खबर आ रही है, की रूस इंडिया और चीन के बीच की यह त्रि पक्षीय बातचीत पोस्ट पोन कर दी गयी है. और अब यह कब होगी, इसके बारे में आगे की कोई डेट भी नहीं बताई गयी है.
सबसे पहले तो हम इंडिया के इस रिस्पांस का समर्थन करना चाहेंगे. और अब भी यदि चीन के होश ठिकाने पर नहीं आये. तो भारत ने ब्रिक्स और SCO संगठन से भी अपनी सदस्यता वापस लेने के ऊपर विचार करना चाहिए.
अब आप में से कुछ लोग कह सकते हैं, की इन कदमो से भारत और रूस सम्बन्धो पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, लेकिन हमारे दो छोटे से सवाल है, की इस पुरे दुर्घटना क्रम में रसियन रवैये से आपको कौन से आशा बंधी है??
रूस के साथ हमारी द्विपक्षीय दोस्ती कब से हमारे जानी दुश्मन चीन पर निर्भर हो गयी??
आप ही बताएं, UN सिक्योरिटी कौंसिल हो अथवा NSG हो, हर जगह तो चाइनीस काली बिल्ली हमारा रास्ता काट जाती है, तो हम क्यों ब्रिक्स और SCO जैसी चाइनीस महफ़िल में भीड़ बढ़ाने का काम करते हैं.
वैसे भी भारतीय विदेश मंत्री ने आज साफ़ साफ़ शब्दो में चाइनीस विदेश मंत्री को बता दिया, की चाइनीस कार गुजारियों से द्विपक्षीय संबंधों पर और भी बुरा प्रभाव पड़ेगा.
जहाँ तक हम समझ सकते हैं, आज जो भी हमारे सामने घटित हो रहा है, उसकी आप सभी पिछले लम्बे समय से भविस्य वाणी कर रहे थे.
हमारा चीन के साथ दुनिया का सबसे लम्बा सीमा विवाद है, इस जमीनी सच्चाई को हम कितना ही नजरअंदाज करके आपसी व्यापार बड़ा लें, यह सच हमारा पीछा नहीं छोड़ेगा.
चीन नहीं बल्कि पिछले 70 सालों की मूर्खता पूर्ण चाइनीस तुस्टीकरण की नीति ने कल गलवान वैली में हमें पनिशमेंट दिया है.
उम्मीद है, चाइनीस ड्रैगन और इंडियन एलीफैंट साथ में नाच सकते हैं, जैसी चाइनीस बातों के जाल में अब हम नहीं फंसेंगे.
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