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जैसा की आपको अच्छे से याद होगा, इस साल फरबरी महीने में प्रेजिडेंट ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशो के बीच 24 MH 60 रोमियो हेलीकाप्टर का सौदा फाइनल हुआ था, जिसे फॉर्मल एग्रीमेंट का रूप इसी साल मई महीने में दे दिया गया था.
दुनिया के सबसे आधुनिक मेरीटाइम हेलीकाप्टर के रूप में पहचाने जाने वाले इस अटैक हेलीकाप्टर में अद्भुत एंटी सबमरीन और एंटी सरफेस वॉर फेयर कैपेबिलिटीज हैं. सरल सब्दो में इसे अपाचे अटैक हेलीकाप्टर का समुद्री रूप भी कहा जा सकता है.
तभी इस तरह की रिपोर्ट आयी थी, की एग्रीमेंट के मुताबिक भारत की जरूरत को ध्यान में रखते हुए अमेरिका इन रोमिओ अटैक हेलीकाप्टर की डिलीवरी अगले साल जून महीने से चालू कर देगा, ताकि वर्ष 2024 तक सभी 24 हेलिकॉप्टर्स की डिलीवरी पूरी की जा सके.
मई महीने में ही यह कन्फर्म हो गया था, भारत को यह डिलीवरी सुनिश्चित हो सके, इसके लिए अमेरिका ने अपनी नेवी के लिए रखे गए 3 रोमियो हेलीकाप्टर भारत को देने का निर्णय लिया था, ताकि जल्दी से जल्दी ट्रेनिंग चालू हो सके और मेंटेनेंस नॉलेज का ट्रांसफर हो सके.
साथ ही साथ शेष 21 हेलीकाप्टर का उत्पादन भी चालू हो गया था.
जिन तीन हेलीकाप्टर की भारत को पहले डिलीवरी होनी थी, उन पर अभी काम तेजी से चालू है, ताकि उनमे भारत की जरूरत के मुताबिक परिवर्तन customization किये जा सके.
और इन हेलीकाप्टर को बनाने वाली अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन के सीनियर अधिकारी ने आज फाइनेंसियल एक्सप्रेस और ट्रिब्यून को इंटरव्यू दिया है, जिसमे उन्होंने साफ़ कर दिया है. की इन हेलीकाप्टर की जल्दी से जल्दी डिलीवरी करने के लिए अमेरिका पूरी तरह से कटी बद्ध है.
अभी जबकि भारत और चीन के बीच तनाव सांतवे आसमान पर है, तब भारत की urgency का अमेरिकन कंपनी को पूरी तरह से भान है, और वह रिकॉर्ड बनाते हुए, समय से पहले अगले साल की शुरुआत में ही इन रोमिओ अटैक हेलीकाप्टर की डिलीवरी चालू कर देगी.
वैसे भी कहा जाता है, की सच्चे दोस्त की पहचान संकट के समय पर होती है, आज जबकि लद्दाक में भारत और चीन की सेनाये आमने सामने है, तो हम सभी को पता है, की पहाड़ों में हो रहे इस संघर्ष का एक प्रमुख लक्ष्य हिन्द महासागर पर चीन की प्रभुसत्ता स्थापित करना है.
विशालकाय हिन्द महासागर में गस्त लगाने में रोमियो अटैक हेलीकाप्टर इंडियन नेवी के लिए कितने कारगर साबित होंगे, यह हम सभी को पता है. जब इंडियन नेवी के पास रोमियो अटैक हेलीकाप्टर होगा, तो चीन दुश्मन की तरह नहीं बल्कि जूलियट की तरह प्यार से हिन्द महासागर से होते हुए गुजरेगा, यह बात तय है.
अब आपमें से कुछ लोग कह सकते हैं, की अमेरिका ने पैमेंट लिया है, तो डिलीवरी तो करना ही पड़ेगी. लेकिन यहाँ पर हम बात कर रहे हैं, अमेरिका के द्वारा रिकॉर्ड लेवल पर की जाने वाली डिलीवरी की, जिसे सिर्फ भारत की जरूरत को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है.
वैसे पैसे तो हमने S400 के लिए रूस को भी दिए हैं, अगर पैसा ही सब कुछ है, तो भारत को हथियार बेच बेचकर 70 सालों तक मलाई उड़ाने वाला रूस आज क्यों डिलीवरी में देरी के लिए चाइनीस कोरोना वायरस के पीछे चुप रहा है.
वैसे हम भारत के दो दोस्तों रूस और अमेरिका में भेदभाव नहीं कर रहे हैं, हम सिर्फ यह कह रहे हैं, की यदि कोई मित्र देश हमें विशेष सुविधा दे रहा है, तो उसके महत्व को हमें कम करके नहीं आंकना चाहिए.
वैसे भारत सायद दुनिया का एक मात्र देश होगा, जिसमे सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर को ही गालियां दी जाती हों. और तो और अमेरिका के साथ व्यापार में सबसे अधिक लाभ भारत का ही होता है. यह बात भी भारत में ही देखने को मिलती है, की लोगों को अमेरिकन डॉलर से तो बड़ा प्यार है, लेकिन अमेरिका का नाम सुनते ही उन्हें गुटनिर्पेक्छ्ता और भारत की कूटनीतिक स्वतंत्रता याद आने लगती है.
आज भी भारत में ऐसे कई लोग हैं, जो ज्ञान देते हैं, की भारत ने किसी भी गुट यहाँ तक की डेमोक्रेटिक अलायन्स जैसी किसी चीज़ में तक शामिल नहीं होना चाहिए.
इन बड़े बड़े विद्वान लोगों ने सायद आज अख़बार पड़ा हो, चीन ने पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान और नेपाल के साथ मिलकर एक नए अलायन्स को रूप देना भी चालू कर दिया है. और तो और चीन अब अफ़ग़ानिस्तान और नेपाल को यह प्रवचन भी देने लगा है, की इन दोनों देशो ने दुनिया के सबसे अमीर और शक्तिशाली देश पाकिस्तान से सीखना चाहिए.
कोरोना वायरस के बहाने देखिये चीन ने भारत के खिलाफ एक चतुर्भुज संगठन खड़ा करना तक चालू कर दिया है, जबकि भारत में अभी तक ऑस्ट्रेलिया को मालाबार नेवल गेम्स में invite किया जाये या नहीं, इसी सवाल पर माथा पच्ची चल रही है.
समझदार के लिए इशारा काफी है, भले ही डेमोक्रेटिक quad अलायन्स के पक्ष में बोलने से इंडियन एक्सपर्ट लोगों के पांव कांपते हो, लेकिन भारत को आस पड़ोस में ही अलग थलग करने के लिए चीन मजबूत अलायन्स के निर्माड में दिन रात लगा हुआ है.
पॉइंट सिंपल है, भले ही हम सभी चीन को उंगली तक दिखाने से घवराते रहे , चीन भारत का गला घोटने की तैयारी में जोर शोर से लगा हुआ है.
अंत में हमें विस्वास है, की मोदी सर्कार अब दोबारा चीन का तुस्टीकरण करने के दलदल में नहीं फंसेगी.
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