New Strategic Partnership in between India & Israel
यदि आप हमें प्रोत्साहित और सपोर्ट करना चाहें, तो आप Google Pay, Phone Pe नंबर - +917649046884 पर हमें डोनेट (any amount) कर सकते हैं. Thank You!!
If you want to support & encourage our creative work, please donate (any amount) on Google Pay, Phone Pe number- +917649046884. Thank You!!
Please join our membership & enjoy special perks.
https://www.youtube.com/channel/UCo-l5eRAYHWjQtuhWsb3jEg/join
You can support us by being our Patron. In addition, you can suggest interesting topics to us.On selected topics we will make special videos. Please click on below link to become our Patron.
कृपया हमारे संरक्षक (Patron) बनकर हमें सपोर्ट कीजिये. साथ ही आप हमें टॉपिक्स सजेस्ट कर सकते हैं. चुनिंदा टॉपिक्स पर हम स्पेशल वीडियो बनायेगे. Patron बनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।
https://www.patreon.com/Realquickinfo
Please click on below link to join us on Facebook
इस लिंक पर क्लिक करके, आप हमसे फेसबुक पर जुड़ सकते हैं.
https://www.facebook.com/realquickinfo/
Please click on below link to join us on Twitter
इस लिंक पर क्लिक करके, आप हमसे ट्विटर पर जुड़ सकते हैं.
https://twitter.com/RealQuickInfo
Note - The video was created in the Software and includes a link to https://www.movavi.com/
आप सभी ने हमेसा से इस बात का आह्वाहन किया है, की इंडिया और इसराइल के बीच रक्षा छेत्र का सहयोग अन्य फ़ील्ड्स में भी दिखाई देना चाहिए.
ऐसा ही एक छेत्र है, साइबर सिक्योरिटी पार्टनरशिप का.
इसराइल वर्ष 1970 से ही दुनिया के सबसे बेहतरीन साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स को तैयार करता रहा है.
साइबर फील्ड में इस महारत का इस्तेमाल इसराइल ने ना केवल अपनी डिफेंस में किया है, बल्कि इस expertise के बल पर ही इसराइल ने दुश्मन देशो पर सफल साइबर अटैक को अंजाम भी दिया है. कहा तो ऐसा भी जाता है, की वर्ष 2007 में ईरान के नुक्लेअर प्रोग्राम पर हुए वायरस अटैक के पीछे इसरायली वायरस था.
वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग एंड टेक्नोलॉजी के दम पर इसराइल डिफेंस फोर्सेज ने जिन साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स को खड़ा किया, जिन्होंने आगे जाकर इसराइल की सबसे सफल टेक कम्पनियों की आधार शिला रखी.
पॉइंट सिंपल है, जब कोई देश इस तरह की स्ट्रेटेजिक फील्ड में निवेश करता है, तो उसका ना केवल डिफेंस बल्कि बिज़नेस की फील्ड में भी बेतहासा लाभ होता है.
इसी बैकग्राउंड में वर्ष 2017 में इसराइल के प्रधान मंत्री की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशो ने साइबर सिक्योरिटी के छेत्र में रक्षा और व्यापारिक सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया था.
पिछले तीन सालो में डिफरेंट लेवल पर इस पार्टनरशिप को लेकर बातचीत कल अपने मुकाम पर पहुंच गयी, और दोनों देसो के बीच साइबर सिक्योरिटी कोलैबोरेशन को बढ़ाने के लिए एक व्यापक अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हो गए.
इस एग्रीमेंट के बाद भारत और इसराइल किसी भी साइबर थ्रेट से साथ मिलकर निपट पाएंगे, और तो और इसराइल भारत में साइबर सिक्योरिटी specialists की मैनपावर खड़ा करने में मदद करेगा.
वर्ष 2018 में इनफॉर्मल रूप से चालू हुई इस साइबर सिक्योरिटी पार्टनरशिप को अब फॉर्मल रूप दे दिया गया है.
पिछले चालीस सालों में दुश्मनो से घिरे इसराइल ने साइबर अटैक्स से निपटने में जो महारत हांसिल की है, उससे भारत को निश्चित रुप से लाभ मिलेगा.
अब आप में से कुछ लोग यह कह सकते हैं, की यह सब तो कागजी अग्रीमेंट्स हैं, इनसे हमारी जिंदगी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है.
तो इसके जवाब में सायद आपको पहले से पता हो , भारत दुनिया के ऐसे पांच देशो में शामिल हैं, जिन पर सबसे अधिक साइबर अटैक्स होते हैं.
और कोई आश्चर्य की बात नहीं है, यह सभी साइबर हमले भारत पर चीन और उसके प्यादे पाकिस्तान के द्वारा किये जाते हैं.
किसी भी जमीनी अथवा आसमानी हमले की तुलना में साइबर अटैक सस्ता आसान और प्रभावी होता है. किसी भी चलती साइट को बिठा देना, उस पर अनर्गल मैसेज डिस्प्ले करवा देना, सेंसिटिव इनफार्मेशन चुरा लेना, अथवा कंप्यूटर का कण्ट्रोल हाथ में ले लेना जैसे आम साइबर अटैक्स से आप सभी परिचित हैं.
इसलिए साइबर थ्रेट कोई छोटा मोटा खतरा नहीं है, यहाँ तक की चाइनीस कोरोना वायरस के अटैक से तो हम सभी जूझ ही रहे हैं, उसी दौरान मौके का लाभ उठाने का कोई अवसर चीन और पाकिस्तान छोड़ नहीं रहे हैं.
example के तौर पर जब वर्क फ्रॉम होम कल्चर यहाँ बढ़ता जा रहा है, तो हमारे लैपटॉप और स्मार्ट फ़ोन्स हमेसा इन साइबर अटैक के निशाने पर रहते हैं.
इसलिए बात साफ़ है, जब भारत इतिहास में सबसे अधिक साइबर खतरे का मुकाबला कर रहा है, तो हमने साइबर फील्ड में सबसे बड़े महारथी से हाथ मिलाना ही होगा.
आप में से कुछ लोगों का यह विचार जरूर होगा, की इसराइल के साथ मिलकर ना केवल हमें साइबर डिफेंस capability को पुख्ता करना चाहिए, बल्कि बढ़ चढ़ कर साइबर offensive पावर का भी विकास करना चाहिए.
हम पर पत्थर फेंकने वाले दुशमनो को भी यह पता होना चाहिए, की वह भी कांच के घरों में रहते हैं. भले ही offensive capability के लिए फॉर्मल एग्रीमेंट को अखबारों में ना छापा जाये, लेकिन हमें पूरा विस्वास है, खूब जमेगा रंग जब मिल बैठेंगे दो दोस्त इंडिया और इसराइल.
इसी बीच यहाँ पर यह मेंशन करना जरूरी है, की साइबर पार्टनरशिप के छेत्र में भारत इसराइल से कोई पहला अग्रीमेंट नहीं कर रहा है.
वर्ष 2016 में रूस और वर्ष 2017 में अमेरिका के साथ भारत ने ऐसे ही मिलते जुलते एग्रीमेंट किये थे.
पॉइंट सिंपल हैं, भारत साइबर पार्टनरशिप अपने सभी दोस्तों के साथ मजबूत कर रहा है.
लेकिन यहाँ पर एक बड़ा सवाल यह है, की जब भारत को साइबर अटैक का सबसे बड़ा खतरा चालू चीन और उसके चिरकुट पाकिस्तान से है तो, आखिर हम कैसे अपने साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर को खड़ा करने का ठेका चाइनीस कंपनियों को दे सकते हैं.
हमें उम्मीद है, भारत किसी न किसी प्रकार से निश्चित करेगा, की ब्रिटैन की ही तरह भारत के 5G नेटवर्क में सेंधमारी का कोई भी मौका चीन को ना मिले.
नहीं तो कोई मतलब नहीं है, इन एग्रीमेंट का, जो सालों की बातचीत और मोलभाव के बाद हम रूस अमेरिका और इसराइल के साथ कर रहे हैं.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें