Super News - India completes Historic Project in Indian Ocean
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इइस वीडियो की शुरुआत में आप सभी को बहुत बहुत बधाई, रफाल लड़ाकू विमान आज फाइनली भारत पहुंच ही गया. आप सभी ने पिछले कई सालों के दौरान अपने अपने स्तर पर इस लड़ाकू विमान के समर्थन में वैचारिक लड़ाई लड़ी है, इसलिए आज जब इंडियन एयर फाॅर्स को यह फाइटर जेट मिल गया है, यह आप सभी की एक बड़ी जीत है.
आगे बढ़ते हुए कुछ ही दिनों पहले हम सभी को बताया गया था, की भारत ने ईरान के रेलवे लाइन प्रोजेक्ट में देरी की, इसलिए भारत को उस प्रोजेक्ट से बहार निकाल दिया गया. जबकि ईरान की तरफ से आधिकारिक रूप से कहा गया, की भारत अभी भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा है, फिर भी बड़े बड़े विद्वानों ने भारत को भला बुरा सुनाने का यह मौका नहीं छोड़ा.
लेकिन आश्चर्य देखिये, जो पड़े लिखे लोग ईरान के फसे हुए रेलवे प्रोजेक्ट के लिए कल तक इतना चिंतित हो रहे हैं, उन्होंने कभी इसकी खुसी प्रकट नहीं करि, की भारत ने तीन बिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट अफ़ग़ानिस्तान में कम्पलीट कर लिए.
कोई बात नहीं, अब चर्चा करते हैं, ईस्ट अफ्रीका के देश मॉरिशस की.
वर्ष 2016 में दोनों देश सहमति पर पहुंचे थे, जिसके अंतर्गत भारत ने मॉरिशस में पांच प्रोजेक्ट्स के लिए 353 मिलियन डॉलर का स्पेशल इकनोमिक पैकेज देने का निर्णय लिया था.
आप सभी टैक्स पयेर्स के इस पैसे का इस्तेमाल मॉरिशस में मेट्रो रेल और हॉस्पिटल जैसे प्रोजेक्ट पर होना था, जिनसे मॉरिशस के लोगों को जल्दी से सीधा लाभ पहुंचने वाला है.
यही अंतर है, भारत और चीन में.
चीन के राजा पूरी दुनिया में नोटों की बारिस करते हुए घूमते हैं, लेकिन बंधुआ मजदुर की जिंदगी जीने पर मजबूर चाइनीस टैक्स पयेर्स के पैसे को सुनसान बियाबान जगहों पर इंफ्रास्ट्रक्टरल सफ़ेद हाथियों को पैदा करने पर बर्बाद किया जा रहा है. वैसे कोरोना वायरस के रूप में सिर्फ एक आदमी की महत्वाकांछा की कीमत आज पूरी दुनिया चूका ही रही है.
एनीवे मैन टॉपिक पर लौटते हुए, स्पेशल इकनोमिक पैकेज के तहत ही भारत ने 30 से 35 मिलियन डॉलर को खर्च करके मॉरिशस के लिए सुप्रीम कोर्ट की नयी बिल्डिंग बनाने का काम अपने हाथो में लिया था.
और यह हम सभी के लिए गर्व और संतोष की बात है, की भारत ने समय से पहले और अनुमान से कम खर्चे पर इस सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग का निर्माड पूरा भी कर दिया है. और कल मोदी साहेब वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये इस प्रोजेक्ट का लोकार्पण करेंगे.
अब आप में से कुछ लोग यह बात कह सकते हैं, की जबकि हम खुद इतने पिछड़े हुए है, तो मोदी जी दूसरे देशो पर पैसा क्यों उड़ा रहे हैं.
इसका जवाब आपको गूगल पर मिल जायेगा, क्योकि इस प्रोजेक्ट के लिए कंस्ट्रक्शन का काम भारत सर्कार की कंपनी NBCC ने किया है, जिसे यह प्रोजेक्ट वर्ष 2017 में मिला था.
इसलिए भले ही इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण मॉरिशस में हुआ है, लेकिन उसका indirect लाभ भारत लौट कर वापस भी आया है.
जिस प्रकार NBCC ने यह बेहतरीन काम किया है, वह बधाई की पात्र निश्चित रूप से है.
हिन्द महासागर में सुदूर के मॉरिशस के साथ भारत का आपसी सहयोग इसी तरह आगे बढ़ता रहेगा, हम भविस्य से यही अपेक्षा रखते हैं.
वैसे भी हम सभी का मानना है, की पूरा का पूरा हिन्द महासागर हिंदुस्तान का है, इसलिए कोई हमें इसकी रिस्पांसिबिलिटी देगा नहीं, यह जिम्मेदारी तो हमें आगे बढ़कर उठानी है.
मालदीव्स हो या मॉरिशस हो, इन सभी देशो के साथ मिलकर हमें आगे बढ़ना है, पॉइंट सिंपल है, की किसी जगह को खाली तो हवा तक नहीं छोड़ती है. इसलिए यदि हम अपनी जिम्मेदारियों से दूर भागते रहें, तो हिन्द महासागर में हमारी जगह लेने के लिए चाइनीस पेपर ड्रैगन तो मौके की ताड़ में बैठा ही है.
अंत में ईरान और एक्सपर्ट लोगों के लिए एक छोटा सा सवाल, यदि उनके अनुसार ईरान के रेलवे प्रोजेक्ट में डिले की जिम्मेदार भारत सर्कार है, तो मॉरिशस में यह प्रोजेक्ट उम्मीद से बेहतर ढंग से कम्पलीट करने का श्रेय आप किसे देंगे??
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