Super Strategic Project Implemented for North East

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जैसा की हम सभी देख रहे हैं, आज कल भारतीय खबरों में आशा पर निराशा हावी रहती है. इसी नकारात्मक माहौल में कई पड़े लिखे लोग पूछा करते हैं, की मोदी सर्कार ने पिछले छह सालों में आखिर किया ही क्या है??

इन विद्वान लोगों को सायद ही पता हो, की इतिहास में पहली बार एक कार्गो शिप को पिछले सप्ताह कोलकाता से हरी झंडी दिखाई गयी थी, और फिर वह जहाज समुद्री रस्ते से होते हुए बांग्लादेश के चट्टोग्राम बंदरगाह तक पंहुचा और फिर उस जहाज पर लदा हुआ माल बांग्लादेश के सड़क और नदी मार्ग से होता हुआ, कल त्रिपुरा की राजधानी अगरतला तक पहुंच गया.

इस प्रकार इंडिया बांग्लादेश multi modal कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट ने एक हिस्टोरिक माइलस्टोन हांसिल कर लिया.  इस प्रोजेक्ट के माध्यम से चारों ओर जमीं से घिरे आसाम मेघालय ओर त्रिपुरा को समुद्री रास्तों तक पहुंच मिल गयी, ओर अब यह तीनो राज्य सी रुट्स की जरिये अन्य इंडियन पोर्ट्स से जुड़ चुके हैं.

जैसा की आप सबको पता होगा, की जमीं के रस्ते सिलीगुड़ी कॉरिडोर से होकर नार्थ ईस्ट के राज्यों तक सप्लाई को मेन्टेन करने की ना सिर्फ लोजिस्टिक्स कॉस्ट ज्यादा आती थी, बल्कि ऐसा करने में समय भी जायदा लगता था.

ओर आपको भी अहसास है, की नार्थ ईस्ट के लिए हमें अपनी सप्लाई लाइन को diversify करना है, ताकि किसी भी हालत में हमारी सप्लाई चैन को तोड़ने की साजिस कभी कामयाब न हो पाए

पॉइंट सिंपल है, यदि नार्थ ईस्ट तक पहुंचने के लिए हमारे पास कई routes होंगे, तो किसी भी एक रास्ते को ब्लॉक करके भारत के खिलाफ सफल होने के सपने हमारे दुश्मन देश कभी नहीं देख पाएंगे.

अब बांग्लादेश के चट्टोग्राम ओर मंगला बंदरगाहों के माध्यम से इंडियन नार्थ ईस्ट की प्रगति की रफ़्तार में तेजी आएगी, ऐसी उम्मीद की जा सकती है.

इस इंटरनेशनल मल्टीमोडल प्रोजेक्ट के बारे में सायद आपको जानकारी पहले से होगी, फिर भी यहाँ पर यह बात हाईलाइट करना बेहद जरूरी है, की भले ही कुछ दिनों में बगंलादेश से होते हुए कोलकाता से अगरतला की यात्रा को पूरा कर लिया गया हो, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने में बहुत लम्बा समय लगा है.

बांग्लादेश के सहयोग से होने वाली इस यात्रा की तयारी वर्ष 2015 से चल रही है, ओर वर्ष 2018 में दोनों देशो के बीच फॉर्मल एग्रीमेंट को फाइनल किया गया, जिसके माध्यम से साफ़ साफ़ रूल्स एंड रेगुलेशंस के साथ स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार हुआ, तभी तो आज बांग्लादेश से होता हुआ भारत का माल एक राज्य से दूसरे राज्य तक पहुंच सका है.

इसलिए आज जो यात्रा मक्खन की तरह हुई है, उसके पीछे इंडियन डिप्लोमैट्स की कई सालों की कड़ी मेहनत है.

अच्छी बात यह है, की इस कोस्टल शिपिंग पर बेस्ड मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट में भारत ओर बांग्लादेश दोनों को बराबर लाभ हो रहा है, ओर जब तक दोनों देश द्वी पक्छिय समझोते  का पालन करते रहेंगे, हमें पूरी विस्वास है, की इनके माध्यम से नार्थ ईस्ट राज्य के लिए प्रगति के दरवाजे जरूर खुले रहेंगे.

इसी दौरान दो दिन पहले पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने बांग्लादेश के प्रधान मंत्री से बातचीत की, जिसमे मुद्दा तो कोरोना वायरस था, लेकिन आदत से मजबूर पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा भी उठा लिया.

और आज भारीतय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश की प्रशंसा करि, की वह अभी भी इस स्टैंड पर खड़ा हुआ है, की जम्मू ओर कश्मीर भारत का इंटरनल मैटर है.

यह बात सही है, की अभी हाल फ़िलहाल बांग्लादेश की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में हमने देखा है, की चीन  बांग्लादेश पर बहुत लाड़ दिखा रहा है.

इसी महीने की शुरुआत में चीन ने बांग्लादेश से होने वाले 97 परसेंट इम्पोर्ट को ड्यूटी फ्री कर दिया, ओर अब चीन बांग्लादेश में अपने डिफेंस प्रोजेक्ट को भी फ़ास्ट track पर ला रहा है.

हमारा पॉइंट सिंपल है, आज भले ही हम बांग्लादेश के न्यूट्रल स्टैंड की बड़ाई कर रहे हैं, हमें अपनी आखें ओर कान खुले रखने होंगे, क्योकि साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है, की चीन किस साजिस पर काम कर रहा है.

वैसे भी हमें कोई अचम्भा नहीं होगा, यदि कल को पाकिस्तान ओर बांग्लादेश एक ही थाली में चाइनीस रोटी  तोड़ते नजर आएं.

वैसे चीन की यह समस्या कोई बांग्लादेश तक सीमित नहीं है, हमारे हर पडोसी पर चालबाज चीन डोरे डाल रहा है. हमारा पॉइंट सिंपल है, हमें इन पड़ोसियों पर अपनी गुस्सा बर्बाद नहीं करना है, हमें अपनी हर समस्या के जड़ में बैठे चीन का पक्का इलाज़ करने पर अपनी समय  ओर ऊर्जा खर्च करनी होगी.

आपकी यह बात सही है, की बांग्लादेश में पाकिस्तान प्रेरित भारत के प्रति नफरत बहुत फल फूल रही है, लेकिन यदि हमने चालू चीन को साध लिया, तो बांग्लादेश क्या पाकिस्तान भी लाइन पर आने में देर नहीं लगाएगा. 

अभी हाल फिलहाल तो बांग्लादेश से होकर इंडियन नार्थ ईस्ट राज्यों के लिए जो नया सस्ता ओर आसान रास्ता मिला है, उसकी खुसी मनाने का समय है. देर सी ही सही लेकिन मोदी सर्कार की मेहनत रंग लाइ, यह हम सभी के लिए संतोष ओर गर्व का विषय है.

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