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जैसा की अभी भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चरम पर है, इस दौरान हम सभी का अधिकतर ध्यान इंडियन आर्मी और एयरफोर्स की एक्टिविटीज पर रहता है.
लेकिन इसी बीच हमने यह नहीं भूलना चाहिए, की इंडियन नेवी भी अपने काम को बखूबी अंजाम दे रही है, आपको सायद पता होगा, की LAC के उस पार चालबाज चीन की खुरापातों पर नजर इंडियन नेवी के P8I हवाई जहाज रख रहे हैं.
हिन्द महासागर के चप्पे चप्पे पर इंडियन नेवी की नजर है ही , और इसके साथ साथ हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 15 जून के गलवान फेस ऑफ के बाद इंडियन नेवी ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया था, जिसके अंतर्गत पूर्वी और पश्चिमी हिन्द महासागर में जंगी जहाजों और पन डुब्बियों की तैनाती ऐसे की गयी थी, की चीन के किसी भी खतरे का मुँह तोड़ जवाब दिया जा सके.
भले ही जिबूती ग्वादर और हम्बनटोटा में चीन को पकड़ हांसिल है, फिर भी इंडियन नेवी की एक्टिविटी को देखकर चीन को गल्फ ऑफ़ Aden के कोनो की शरण लेनी पड़ी.
और तो और जब चीन के जंगी जहाज चुपके से इंडोनेशिया की तरफ से हिन्द महासागर में घुसने की कोसिस कर रहे थे, तो इंडियन नेवी के डिप्लॉयमेंट को देखकर उन्हें उलटे पांव भागना पड़ गया.
मल्लका स्ट्रेट से हिन्द महासागर में घुसने का रास्ता भारत कभी भी रोक सकता है, इस बात का डर चीन के शहंशाह को रात में सोने नहीं देता है, लेकिन यहाँ तो कायर चीन इंडोनेशिया के दरवाजे से भी इंडियन ओसेन में नहीं घुस पा रहा है.
अब आप स्वयं देख लीजिये, इस चम्पू चीन की इमेज को कितना चमकाया गया था, की चीन की नेवी ये कर सकती है, वह कर सकती है, उससे टकराने की ताकत अमेरिका में तक नहीं है.
लेकिन जब मौका आया, तो इंडियन नेवी के आगे चाइनीस नेवी के पसीने छूट गए.
इस असाधारण सफलता का हमें कोई घमंड नहीं है, यह घटनाक्रम सिर्फ यह सिद्द करता है, चीन को दुनिया ने जरूरत से ज्यादा overestimate किया हुआ है. और हाँ डर चीन को भी लगता है, कम से कम यह तो साफ़ हो गया है.
साथ ही साथ ऐसा नहीं है, की इंडियन नेवी अपनी इस सफलता को सूंघकर सो गयी है, ना केवल अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप आइलैंड पर इंडियन डिफेंस कैपेबिलिटीज को और अधिक मजबूत किया जा रहा है.
बल्कि हिन्द महासागर में जिन 1062 द्वीपों पर भारत का अधिकार है, उन पर भी एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड तैयार किये जा रहे हैं, ताकि हिन्द महासागर के ऊपर इंडियन पावर प्रोजेक्शन को स्ट्रांग किया जा सके.
अभी भारत के पास एक एयरक्राफ्ट कर्रिएर है, और समय समय पर यह भी प्रस्ताव पेश किया जाता है, की भारत के पास कम से कम तीन एयर क्राफ्ट कर्रिएर्स होने चाहिए. लेकिन अब इंडियन नेवी ने ऑलमोस्ट यह डिसिशन ले लिया है, की प्रकृति ने हमें जो एयरक्राफ्ट कर्रिएर्स दिए हैं, हमें सबसे पहले उनका भरपूर लाभ उठाना चाहिए.
आप ही बताएं, मल्लका स्ट्रेट के मुँह पर बैठा अंडमान निकोबार आइलैंड से बड़ा और कभी ना डूबने वाला क्या और कोई बेहतर एयरक्राफ्ट कर्रिएर हो सकता है??
पॉइंट सिंपल हैं, यदि हिन्द महासागर को हम अपना मानते हैं, तो हमें उस पर अपना प्रभाव भी बढ़ाना होगा, बड़ी बड़ी बातों के आगे नहीं बल्कि केवल शक्ति के आगे दुनिया शीश झुकाती है.
यदि हमनें समय रहते हिन्द महासागर का ख्याल नहीं रखा, तो वह दिन दूर नहीं है, जब साउथ चाइना सी की तरह चीन के आर्टिफीसियल आइलैंड हिन्द महासागर में भी नजर आने लगेगें.
वैसे भी पायरेसी से निपटने का बहाना बनाकर चीन की नौसेना ने इंडियन ओसेन में अपना डिप्लॉयमेंट बड़ा लिया है. और साथ ही साथ चीन हिन्द महासागर में मछलियां पकड़ने की कोसिस करने लगा है. इसलिए चाइनीस खतरे को हमनें गंभीरता से लेना ही होगा.
हमें पूरा विस्वास है, की इंडियन नेवी चीन की 100 सालों की साजिस को नाकाम करने के लिए लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेजी पर काम तो करती रहेगी, साथ ही साथ शार्ट टर्म में जिस प्रकार इंडियन नेवी हिन्द महासागर से चीन को चम्पत करने में कामयाब हुई है, यह भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है.
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