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दोस्तों, बड़े दिनों के बाद हमारे इस वीडियो को स्पोंसरशिप मिली है, स्पोंसर अनिल कुमार जी, आपको धन्यवाद्.

जैसा की पिछले कुछ दिनों में आप सभी ने देखा है, पहले ऐसी खबरें आयी, की ईरान ने भारत को चाबहार रेलवे लाइन प्रोजेक्ट से बहार निकाल दिया है. जिसके जवाब में हमारे यहाँ विद्वानों के बीच मानो इस निष्कर्ष तक पहुंचने की होड़ लग गयी, की ईरान को लेकर मोदी जी की विदेश निति पूरी तरह से असफल सिद्ध हो चुकी है.

ईरान के इस निर्णय के रिस्पांस में हमने अपने वीडियो में भी चर्चा की थी, की यदि बंद बड़े प्रोजेक्ट से भी ईरान ने भारत को अलग कर दिया है, तो इसके बारे में ज्यादा रोना धोना मचाने की जरूरत नहीं है, और ईरान पर गुस्सा निकालने से ज्यादा अच्छा होगा, की हम अपनी हर समस्या की जड़ में बैठे हुए चालू चीन से निपटने पर फोकस करें.

इसी बीच बाद में आधिकारिक रूप से ना केवल भारत की तरफ से बल्कि ईरान की साइड से भी क्लियर हो गया, की भारत अभी भी इस रेलवे लाइन प्रोजेक्ट का हिस्सा है, और ईरान में भारत के राजदूत को इस प्रोजेक्ट की रिव्यु मीटिंग में कुछ ही दिन पहले invite किया गया था.

जबकि यह रेलवे लाइन प्रोजेक्ट अभी भी फसा हुआ है, कुछ एक्सपर्ट लोगों का सुझाव था, की चीन ईरान के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट को पूरा कर सकता है, लेकिन चाबहार पोर्ट के लिए क्रेन्स भी तो चाइनीस कंपनी को सप्लाई करनी थी.उनका क्या हुआ?

तीन साल पुरे होने को है , पैमेंट के आभाव में चाइनीस कंपनी अभी तक यह आर्डर पूरा नहीं कर पायी है. अब आप स्वयं देख लीजिये, जबकि अमेरिका ने चाबहार प्रोजेक्ट पर भारत के काम को विशेष ढिलाई दी हुई है, तब ये हालत है. इसलिए चीन को बहुत बहुत बधाई यदि वह ईरान के साथ इस रेलवे लाइन प्रोजेक्ट को कम्पलीट करना चाहता है.

गरीब देशो को शेख़चिल्ली के सपने दिखाने वाले चालक चीन ने जिस तरह 4 से 8 ट्रिलियन डॉलर के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, 60 बिलियन डॉलर के चीन पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर की घोसणा कर दी, उसी तरह यह 400 बिलियन डॉलर की ईरान के साथ डील को अन्नोउंस करने में किसी का क्या जाता है??

एनीवे चीन और ईरान के बीच दोस्ती के इस दिखावे को दरकिनार करते हुए, आप सभी जानते हैं, की ईरान में चाइनीस वायरस कितना विकराल रूप ले चूका है.

चार दिन पहले ही ईरान के राष्ट्रपति ने एस्टीमेट प्रस्तुत किया था, की ईरान में ढाई करोड़ कोरोना वायरस के केस हैं. यह अनुमान एक तरफ, सरल सब्दो में मिडिल ईस्ट में वुहान वायरस का सबसे विकराल संक्रमण ईरान में ही देखा जा रहा है.

यह तो हो गयी बात जमीनी सच्चाई की, लेकिन आपको यह भी पता है, की यह वही ईरान है, जहाँ डेथ to अमेरिका के नारे लगाए जाते हैं.

समय की शक्ति देखिये, ईरान का ऊंट अब अमेरिकन पहाड़ के नीचे आ गया है, ईरान को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अमेरिकन रेमडिसवीर मेडिसिन चाहिए.

लेकिन अमेरिका में बनने वाली रेमडिसवीर ना केवल बहुत महगी है, वल्कि उसकी अगले तीन महीनो तक पूरी सप्लाई को अमेरिका ने अपने लिए बुक कर लिया है.

इसलिए घूम फिर कर ईरान को याद आयी पुराने दोस्त भारत की, और ईरान की एक फार्मा कंपनी इंडियन फार्मा कंपनी के साथ मिलकर रेमडिसवीर का उत्पादन करने जा रही है, ताकि ईरान में इस दवाई की सप्लाई अगले सप्ताह से चालू हो जाये.

ईरान के अधिकारियों का कहना है, की भारत और ईरान की कंपनियों के सहयोग से बनी रेमडिसवीर अमेरिकन रेमडिसवीर  से कोई कम नहीं होगी, और वह सस्ती भी पड़ेगी.

अब आप स्वयं देख लीजिये, पिछले कुछ समय से माइक मुँह के सामने आते ही, ईरान के लीडर्स भारत को कोसने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. भारत ने चाबहार पोर्ट में ये नहीं किया, रेलवे लाइन में वह नहीं किया, तेल नहीं ख़रीदा जैसी बातों को लेकर भारत को खुले आम गालियां दी जाती है.

लेकिन जब मौका पड़ा, तो काम भी भारत आ रहा है, यह बात और है, की जब ईरान भारत को भला बुरा कहता है, तो उन खबरों को इंडियन मीडिया में मिर्च मसाले के साथ खूब परोसा जाता है, लेकिन आज जब जरूरत के समय इंडियन फार्मा इंडस्ट्री ईरान की हेल्प कर रही है, तो ऐसी खबरें ईरानियन अख़बारों के पन्नो में ही दम तोड़ देती है.

वैसे ईरान को भारत हेल्प कर रहा है, इस बात का हमें कोई गुमान नहीं है. मुसीबत में दुनिया की मदद करना हमारी संस्कृति है. अरे भारत तो ऐसा देश हैं, जो पाकिस्तान तक को दवाएं सप्लाई करता हैं, जबकि पाकिस्तान 24 by 7 भारत की मौत की दुआ मांगता रहता है.

कोई बात नहीं,  पीठ पर छुरा घोपना उनकी तहजीब है, और मानवता की मदद करना हमारी संस्कृति है. जब वह अपनी तहजीब को नहीं छोड़ रहे हैं, तो हम क्यों अपने संस्कृति को भूल जाएँ.

लेकिन इम्पोर्टेन्ट बात यह है, की पाकिस्तान हो या ईरान हो, जब भारत इन देशो की इतनी मदद कर रहा है, तो इन रियल ख़बरों को बड़े लेवल पर कवर किया जाना चाहिए. आखिर ऐसा क्यों है, की दुनिया को दवाओं की सप्लाई करने वाले भारत को पाकिस्तान जैसे दो कौंड़ी के देश विश्व शांति के लिए खतरा बता देते हैं, और उनसे कोई काउंटर question भी नहीं पूछता है.

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