Good News - UAE Ready for Big Make In India Defense Project
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https://www.aninews.in/news/business/caracal-international-refocuses-commitment-in-line-with-make-in-india-initiative20200921180442/
https://www.aninews.in/news/business/business/advanced-gas-piston-based-assault-rifles-to-be-made-in-india-by-mku-with-edic-caracal-uae201804131548460001/
https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/carbines-anti-air-systems-for-indian-army-to-be-made-in-india-after-mod-cancels-import/articleshow/78141347.cms
https://theprint.in/defence/indian-army-could-get-carbines-from-uae-soon-deal-in-final-stages-of-confirmation/461288/
https://swarajyamag.com/insta/battle-carbines-for-indian-army-uaes-caracal-says-will-make-them-in-india-ready-to-start-immediate-production
सायद आपको याद हो, साल 2018 में UAE की कंपनी कैरकल इंटरनेशनल को सबसे कम कीमत पर इंडियन आर्मी के लिए क्लोज क्वार्टर कार्बाइन सप्लाई करने के लिए सेलेक्ट किया गया था.
UAE से लगभग १ लाख कार्बाइन को इम्पोर्ट किया जाना था, और तब इस डील को भारत और UAE के बीच एक सफल डिप्लोमेटिक डील के रूप में देखा गया था.
उसी दौरान UAE की इस कंपनी ने इंडियन कंपनी MKU के साथ करार किया था, जिसके अनुसार इस असाल्ट राइफल को MKU की कानपूर में स्थित फैसिलिटी में बनाये जाने का प्रस्ताव था.
2 साल पुरे होने को थे, लेकिन यह कॉन्ट्रैक्ट आगे नहीं बढ़ पाया. और फिर कुछ ही दिनों पहले इस तरह की खबरें आयी, की UAE से इस इम्पोर्ट कांटेक्ट को रद्द करके अब मेक इन इंडिया के तहत इन असाल्ट राइफल को भारत में ही बनाया जायेगा.
कॉन्ट्रैक्ट हाथ से निकलता देख अब कैरकल के चीफ का कहना है, की पहले इस राइफल के 20 परसेंट कॉम्पोनेन्ट को भारत में बनाया जाना था, लेकिन अब 100% मेक इन इंडिया और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए उनकी कंपनी तैयार है. और इसके लिए लैंड फैसिलिटी और लोकल पार्टनर के साथ यह कंपनी पूरी तरह से तैयार है.
यहाँ पर ध्यान रखना जरूरी है, की इंडियन आर्मी के लिए इन आधुनिक क्लोज क्वार्टर कार्बाइन की सप्लाई की तयारी वर्ष 2008 से की जा रही है. लेकिन जैसा की अन्य किसी भी डिफेंस contract में होता है, जाहिर है, आज तक यह परचेस कम्पलीट नहीं हो पायी है.
वर्ष 2017 में दो लाख असाल्ट राइफल की जरूरत के लिए प्रपोजल मगाये गए थे, और यह अंदाज़ा लगाया गया था, की भविस्य में ओवर आल भारत को पांच लाख ऐसी राइफल्स की जरूरत पड़ सकती है.
बात साफ़ है, भारत के पास लॉन्ग टर्म के लिए इन असाल्ट राइफल की डिमांड मौजूद है, इसलिए इम्पोर्ट की जगह पर मेक इन इंडिया को प्राथमिकता देना सही जान पड़ता है.
इन्ही सम्भावनाओ को ध्यान में रखते हुए सायद कैरकल को अब जमीनी सच्चाई समझ आ गयी है, की 20% मेक इन इंडिया से भारत अब संतुस्ट नहीं होगा, और वह अब मेड इन UAE राइफल को मेड इन इंडिया राइफल बनाने के लिए तैयार हो गयी है.
चलिए कोई बात नहीं, देर आये दुरुस्त आये, लेकिन अब गेंद इंडियन आर्मी और डिफेंस मिनिस्ट्री के पाले में हैं. देखते हैं, इस नए प्रस्ताव पर उनका क्या रुख होता है.
वैसे भी भारत सर्कार ने अब डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में 74% FDI को आटोमेटिक रूट के अंतर्गत allow कर दिया है. इसलिए UAE की कंपनी को India में निवेश करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. हाँ नए नियमो के मुताबिक इस कंपनी को सिक्योरिटी क्लीयरेंस तो चाहिए ही होगा.
पॉइंट यहाँ पर क्लियर है, भले ही भारत में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने में देरी लग रही है, लेकिन जिस तरह के संकेत अब आ रहे हैं, उससे साफ़ हो जाता है, की हम सही रस्ते पर हैं.
जहाँ तक कैरकल की असाल्ट राइफल को लेना है, या फिर से नयी सिलेक्शन प्रोसेस को चालू करना है, इसका निर्णय बड़ा काम्प्लेक्स है, लेकिन कॉमन सेंस के हिसाब से तो हम यही कह सकते हैं, इस पूरी परचेस में पहले ही 12 सालों की देरी हो चुकी है, अब जल्द से जल्द इंडियन आर्मी की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस खरीद को कम्पलीट किया जाना चाहिए.
वैसे भी हमारे चारों और खतरों की कोई कमी नहीं है, इसलिए हमें पूरा विस्वास है, की मेक इन इंडिया की थीम के अंतर्गत जल्द ही बेस्ट इन the वर्ल्ड क्लोज क्वार्टर कार्बाइन इंडियन आर्मी के हाथो में आ जाएगी.
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