Now clever India is playing Smart Game against China
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आप सभी को जानकारी है, हाल ही के कुछ समय में भारत सर्कार एपीआई मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक आकर्षक सब्सिडी स्कीम लेकर आयी है.
जैसा की हम सभी को अंदेसा था, चीन को यह बात फूटी आंख नहीं सुहा रही है, की आखिर भारत कैसे एपीआई की फील्ड में आत्मा निर्भर बन सकता है. इसलिए अब चीन वही पुराने हथ कंडो पर उतर आया है.
यह कॉमन सेंस की बात है, यदि रॉ मटेरियल की कॉस्ट बढ़ जाये, लेकिन फाइनल प्रोडक्ट की प्राइस ना बड़े, तो लागत अधिक होने के कारण ना सिर्फ हमें कम लाभ बल्कि घाटा भी हो सकता है.
बिलकुल यही कर रहा है, चीन.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एपीआई के उत्पादन में लगने वाले चाइनीस रॉ मटेरियल Key Starting Material की कॉस्ट हाल के कुछ समय में 10 से 20 फ़ीसदी बढ़ गयी है, लेकिन फाइनल प्रोडक्ट API की प्राइस में कोई इजाफा नहीं हुआ है.
बात साफ़ है, अब चीन से रॉ मटेरियल इम्पोर्ट कर भारत में API का उत्पादन महॅगा होगा. फिर भारत की फार्मा कंपनियां अपने देश में API का उत्पादन करने के बजाये सस्ती API को चीन से इम्पोर्ट करना पसंद करेगी.
इस साजिस के जरियेचीन मोदी सर्कार की API की फील्ड में आत्मा निर्भर भारत की स्कीम की हवा निकलने में लगी हुई हैं.
लेकिन फ़र्क़ इस बार इतना है, की आप सभी की तरह भारत सर्कार भी यह बात समय से पहले भांप गयी, की ना सिर्फ एपीआई बल्कि उसके रॉ मटेरियल की फील्ड में भी भारत ने सेल्फ डिपेंडेंट होना चाहिए.
तभी तो कुछ ही दिनों पहले हमने चर्चा की थी, की जल्द ही भारत सर्कार API के रॉ मटेरियल केमिकल्स के उत्पादन को बढ़ाने के लिए आकर्षक प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव scheme लेकर आने वाली है.
पॉइंट सिंपल है, यदि भारत को सही मायनो में ग्लोबल फार्मेसी बनाना है, तो हमें एन्ड to एन्ड सप्लाई चैन को चीन से इंडिपेंडेंट बनाना होगा.
क्योकि चीन हमारी हर कमजोरी का लाभ उठाने की फ़िराक़ में तैयार बैठा है. इसलिए देखने में अच्छा लगता है, की कम से कम इस बार भारत सर्कार रिएक्टिव नहीं बल्कि प्रोएक्टिव होकर काम कर रही है.
आप ही बताएं, चीन की साजिस के कारण API के रॉ मटेरियल को सब्सिडी स्कीम के बिना, API प्रोडक्शन की सब्सिडी स्कीम कैसे सफल हो सकती है.
पहले की सरकारों की तरह यदि मोदी सर्कार API प्रोडक्शन सब्सिडी स्कीम लांच करके सो जाती, तो हमें पांच सालों बाद पता चलता की सब्सिडी का पैसा भी खर्च हो गया, और स्कीम भी फ़ैल हो गयी.
जैसा की हमने हर छेत्र में देखा है, चोर चीन और पुलिस भारत के बीच हम डाल डाल तुम पात पात का खेल चल रहा है, इसलिए हमें हर कदम पर चोक्कना रहने की जरूरत है.
लेकिन जिस तरह चीन की कंपनियों ने फाइनल प्रोडक्ट की कीमत को बढ़ाये बिना रॉ मटेरियल की कीमत बड़ा दी है, उससे साफ़ हो जाना चाहिए, की चाइनीस सर्कार की इस काला बाज़ारी से निपटने के लिए भारत की प्राइवेट कंपनियों को भी सरकारी मदद चाहिए होगी.
नहीं तो बिना किसी मदद के तो इंडियन इंडस्ट्री कभी भी चाइनीस सरकार का मुकाबला नहीं कर पायेगी, वैसे भी पिछले 25 सालों से यही तो होता आ रहा है.
दुर्भाग्य देखिये, भारत में बड़े बड़े एक्सपर्ट कभी चीन की इन ब्लैक मार्केटिंग के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे, इन विद्वानों से तो आप केवल चीन को लाभ पहुंचाने वाले ग्लोबलाइजेशन की पैरवी करवा लीजिये.
चलिए कोई बात नहीं , अंत में हम उम्मीद करते हैं, की जल्द से जल्द भारत सरकार API के रॉ मटेरियल key स्टार्टिंग केमिकल के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए आकर्षक subsidy स्कीम लेकर सामने आएगी.
जैसा की आपको समझ आ गया होगा, यदि आपने फार्मा स्टॉक्स में निवेश कर रखा है , तो आगे आने वाले समय में आपको होने वाला फायदा इस प्रस्तावित स्कीम पर भी निर्भर करेगा.
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