Smart Idea - India to get Huge Benefit from Saudi Arabia
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https://www.hindustantimes.com/india-news/jaishankar-nsa-naqvi-attend-saudi-arabia-s-national-day/story-0av8L1dQLxiEFctwSgz52K.html
https://nrinews24x7.com/saudi-national-day-event-nsa-ajit-doval-sends-signal-with-surprise-presence/
https://www.dnaindia.com/india/report-jaishankar-nsa-ajit-doval-attend-saudi-national-day-in-new-delhi-2844987
हाल के कुछ वर्षो में भारत और सऊदी अरब के बीच सुधरते हुए सम्बन्धो के हम सभी साक्षी रहे हैं.
इसी क्रम में भारत में सऊदी अरब के दूतावास ने कल मनाया सऊदी अरब का नेशनल डे. आप सभी को पता है, इस तरह के कार्यक्रम बेहद औपचारिक हुआ करते हैं, और इनमे भारत सर्कार की तरफ से कोई न कोई सीनियर मिनिस्टर अथवा ऑफिसियल भाग लेता है.
लेकिन इस बार लीग से हटते हुए, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री दोनों ने सऊदी अरब के नेशनल डे कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जो यह साफ़ तौर पर दर्शाता है, की भारतीय विदश निति में सऊदी अरब का महत्वा कितना अधिक बढ़ गया है.
आम तौर पर हम सभी सऊदी अरब को पाकिस्तान के प्रिज्म से देखते हैं, लेकिन हाल ही के समय में हम सभी ने यह देखा है, की सऊदी अरब पाकिस्तान का पिछलग्गू नहीं है. और यदि भारत ने सऊदी अरब की तरह एक कदम आगे बढ़ाया, तो सऊदी अरब ने भी भारत की तरफ एक कदम आगे बढ़ाया है.
हाल के कुछ वर्षो में सऊदी अरब हो या UAE हो, इन दोनों की रॉयल फैमिलीज़ को भी अपनी सत्ता को सबसे बड़ा खतरा धार्मिक आंदोलनों से लगने लगा है. और इन्हे अच्छे से पता है, की धरम के बहाने इन देशो का नाजायज़ लाभ उठाने की पाकिस्तान जैसे देशो ने जमकर कोसिस भी है. और इसमें वे सफल भी हुए हैं.
सायद यह एक प्रमुख कारण है, की आज UAE ने इसराइल के साथ डिप्लोमेटिक सम्बन्ध इस्थापित कर लिए हैं. इस बात का आपको भी अंदाज़ा है, यदि UAE ने इसराइल से दोस्ती का हाथ मिलाया है, तो यह घटनाक्रम सऊदी अरब को भी रास आ रहा होगा.
मुद्दे की बात यह है, की हमने सऊदी अरब UAE और अन्य अरब देशो को पाकिस्तान के प्रिज्म से देखने से बचना चाहिए, हाँ यह बात बिलकुल सही है, की जब हम इन देशो के साथ अपने सम्बन्ध को मजबूत कर रहे हैं, तो हमें सजग रहना चाहिए.
इसलिए यहाँ पर इम्पोर्टेन्ट हो जाता है, की हम सऊदी अरब को इकनोमिक दृस्टि से देखें.
सऊदी अरब के भारत में बढ़ते निवेश के बारे में तो हम सभी जानते हैं, लेकिन अब मोदी सर्कार कोसिस कर रही है, की दोनों देशो के बीच स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप को भी स्ट्रांग किया जाये.
हम सभी हमेसा से भारत के अमेरिका और EU के साथ फ्री एंड फेयर ट्रेड एग्रीमेंट के समर्थक रहे है. इस बैकग्रॉउंड में आपको सायद पता हो, की सऊदी अरब जैसी अरेबियन कन्ट्रीज के पहले से ही US और EU के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हैं.
इसलिए भविस्य में फोकस इस बात पर रहने वाला है, की इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग के छेत्र में भारत और सऊदी अरब जैसे देशो के बीच जॉइंट वेंचर्स को बढ़ावा दिया जायेगा.
ताकि अरेबियन देशो की US और EU सप्लाई चैन से भारत जुड़ जाये.
बेहद सरल सब्दो में यदि सऊदी अरब में असेंबली होनी है, तो कॉम्पोनेन्ट को इंडिया सप्लाई कर सकता है, ताकि फाइनल प्रोडक्ट को FTA के लाभ के साथ US और EU के बाज़ारो में बेचा जा सके.
मौटे तौर पर यह ठीक वैसे ही है, जैसे आसियान के साथ भारत के FTA का भरपूर लाभ चीन ने उठाया है.
हम सभी को इस बात का अहसास है, की US और EU के साथ हमारे डायरेक्ट FTA हों तो वह बेहतर होगा, लेकिन FTA का मोलभाव पेचीदा होता है, और उसमे लम्बा समय भी लगता है.
इसलिए जब तक भारत के US और EU के साथ FTA होते हैं, तब तक हमने अरेबियन कन्ट्रीज के FTA का लाभ उठाने की चेष्ठा करनी चाहिए.
पिछले मंगलवार को विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने एक कार्यक्रम में यह स्मार्ट आईडिया प्रस्तुत किया है, जिस पर भारत सर्कार अभी काम कर रही है.
जहाँ तक हम समझ सकते हैं, मोदी सर्कार एक दम सही रस्ते पर चल रही है, लेकिन इन देशो के साथ मेलजोल बढ़ाते समाये हमें सदैव चौककना रहने की भी जरूरत है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है.
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