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https://www.timesnownews.com/india/article/after-defending-india-at-oic-maldives-helps-new-delhi-block-bid-to-hold-saarc-summit-in-pakistan/658334
https://swarajyamag.com/insta/maldives-stands-by-india-to-block-the-bid-to-hold-saarc-summit-in-pakistan-this-year
https://timesofindia.indiatimes.com/india/maldives-helps-india-block-bid-to-hold-saarc-summit-in-pakistan/articleshow/78327651.cms
https://www.indiatoday.in/world/story/19th-saarc-summit-pakistan-hold-covid-19-pandemic-consensus-1725213-2020-09-25
अभी कुछ ही दिनों पहले की बात तो है, जब पहली बार मालदीव को 250 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता भारत ने मुहैया करवाई थी.
इतिहास गवाह है, पड़ोसी पहले की नीति का अक्षरशः पालन करते हुए भारत ने मालदीव्स की हर संभव मदद करने की कोशिस की है.
कई बार इस तरह के सवाल उठते हैं, की आखिर इंडियन taxpayers का पैसा इन देशो पर क्यों उड़ाया जा रहा है,
पिछले कुछ दिनों में मालदीव्स ने साबित किया है, की हमारा हर पड़ोसी कम्युनिस्ट नेपाल की तरह थैंकलेस नहीं है.
जैसा की आज सायद आपने टाइम्स ऑफ़ इंडिया में पड़ा हो, इस गुरुवार को सार्क समिट की मीटिंग में यह मुद्दा उठा, की सार्क का अगला शिखर सम्मलेन पाकिस्तान में आयोजित किया जाना चाहिए.
मालदीव्स के ठीक विपरीत सार्क का वर्तमान अध्यक्ष नेपाल यह भरपूर कोशिस कर रहा था, की किसी तरह पाकिस्तान में सार्क समिट का रास्ता खुल जाये.
इसमें हमें कुछ आश्चर्य नहीं है, कम्युनिस्ट नेपाल आज कल छोटे पाकिस्तान की तरह वैसे भी हर मौके पर ब्यवहार करता आ रहा है.
एनीवे जब दुनिया के हर देश का फोकस चाइनीस वायरस से लड़ने पर है, तो चीन हो या उसके प्यादे पाकिस्तान और नेपाल जैसे देश अपने निजी स्वार्थ साधने से कहाँ पीछे हटने वाले हैं.
चूँकि भारत का स्टैंड बेहद साफ़ है, जब तक पाकिस्तान भारत विरोधी आतंकवाद को प्रायोजित करना बंद नहीं करता, तब तक भारत पाकिस्तान के साथ बातचीत की टेबल पर नहीं बैठेगा.
भारत के इस स्टैंड में बदलाव करवाना, पाकिस्तान ने अपनी विदेश नीति का एक प्रमुख उद्देश्य बना लिया है, ताकि इस बातचीत के जरिये फिर से कश्मीर की आग को हवा दी जाये.
अच्छी बात यह है, की पाकिस्तान की इस घिसी घिसाई साजिस को भांपते हुए, भारत ने पाकिस्तान में अगले सार्क सम्मलेन की बात को आगे ना बढ़ाते हुए, कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई पर ध्यान लगाने की बात आगे रखी.
इसी दौरान मालदीव्स के विदेश मंत्री ने भारत की बात को आगे बढ़ाते हुए साफ़ कर दिया, की अगली सार्क समिट के आयोजन के पहले सभी देशो के बीच मित्रता पूर्ण माहौल का निर्माण किया जाना ज्यादा आवश्यक है.
चूँकि सभी देश कोरोना संग्राम में व्यस्त हैं, इसलिए इस दौरान नेक्स्ट सार्क समिट कब और कहाँ होगी, ऐसे मुद्दों पर बात करने का अभी समय नहीं है .
जैसे ही मालदीव्स ने भारत की बात का डिप्लोमेटिक सपोर्ट कर दिया, पाकिस्तान और नेपाल की साजिस धरी की धरी रह गयी.
और आज भी अगली सार्क समिट के ऊपर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं.
इसी बैकग्राउंड में आपको बेहद अच्छे से याद होगा, सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के बाद जब OIC में भारत निशाने पर था, तब मालदीव ने भारत के लिए ढाल बनने का काम किया था.
इसलिए हाल के समय ने मालदीव्स ने हर मौके पर भारत का साथ दिया है, और इसके लिए हम सभी मालदीव्स को तहे दिल से धन्यवाद देते है.
जबकि नेपाल जैसे अहसान फरामोश देश की मदद करने का हम सभी विरोध करते हैं, मालदीव्स जैसे देशो को मदद देने में हमें कोई दिक्कत नहीं है.
पॉइंट सिंपल हैं, ताली दो हाथो से बजती है, यदि भारत मालदीव की मदद कर रहा है, तो मालदीव्स भी भारत के पक्ष में बोलकर हमें सही मायने में थैंक यू बोल रहा है.
क्योकि ट्विटर पर थैंक यू बोलने से यह कही ज्यादा अच्छा है, OIC और सार्क के मंच पर मालदीव्स सार्वजानिक तौर भारत के साथ खड़ा हुआ दिखाई दिया है.
अगर आपने नोटिस किया हो, यही अंतर है, मालदीव्स की डेमोक्रेटिक सर्कार और नेपाल की कम्युनिस्ट सर्कार में .
हम सभी को अच्छे से याद है, दो तीन साल पहले दिन प्रतिदिन चाइनीस समर्थन वाली मालदीव्स सर्कार भारत के लिए खतरा साबित हो रही थी.
इसलिए मालदीव्स जो आज भारत की अपेक्षा पर खरा उतर रहा है, वह आप सभी के उस विचार को सही साबित करता है, की भारत ने डेमोक्रेटिक देशो के साथ मिलकर कम्युनिस्ट चीन और उसके प्यादो का मुक़ाबला करना चाहिए.
यह बात और है, की कूट नीति के बड़े बड़े पंडितो को यह बात गलवान घाटी में चीन से धोका खाने के बाद भी सायद ही समझ आयी हो.
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