Well Done Modi Ji - India to Become New Battery Production Hub
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https://in.reuters.com/article/india-batteries-incentives/exclusive-india-plans-4-6-billion-in-incentives-for-battery-makers-in-electric-vehicle-push-document-idINKCN26G1CP
https://auto.economictimes.indiatimes.com/news/auto-components/india-plans-4-6-billion-in-incentives-for-battery-makers-in-electric-vehicle-push/78314554
https://www.pv-magazine.com/2020/02/10/indian-lithium-ion-battery-imports-quadrupled-in-two-years/#:~:text=China%2C%20Hong%20Kong%20and%20Vietnam,to%20the%20Ministry%20of%20Commerce.
https://www.hindustantimes.com/business-news/govt-plans-import-tax-on-lithium-ion-cells/story-1RJBDbjodta8JxVxOCb9YP.html
https://energy.economictimes.indiatimes.com/news/renewable/made-in-india-li-ion-batteries-to-cut-dependence-on-china-anant-geete/64472516
हमें अच्छे से याद है, की आप सभी ने हमेसा इस बात का समर्थन किया है, की भारत ने खाड़ी के कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की तरफ बढ़ना चाहिए.
हम अपने चारो तरफ देख सकते हैं, हाल के कुछ समय में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का चलन धीरे धीरे बढ़ने लगा है. लेकिन हम सभी इस जमीनी सच्चाई से अच्छी तरह वाक़िफ़ हैं, की इलेक्ट्रिक वाहनों की मदद से भले ही हम खाड़ी के तेल पर ओवर डिपेंडेंस को कम कर रहे हैं, लेकिन इलेक्ट्रिसिटी स्टोरेज बैटरी के मामले में चीन होन्ग कोंग और वियतनाम जैसे देशो पर हमारी डेपेंडेन्स बढ़ती जा रही है.
इस प्रकार तो हम खाड़ी के देशो पर अपनी ओवर डिपेंडेंस को चीन के ऊपर निर्भरता से रिप्लेस कर रहे हैं. आंकड़े गवाह है, पिछले दो सालों में भारत का बैटरी इम्पोर्ट चो गुना हो गया है, पिछले वित्तीय वर्ष अकेले में भारत ने चीन से 773 मिलियन डॉलर की बैटरी इम्पोर्ट की है. अगर इन्वेस्टीगेशन की जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होगा, की पिछले फाइनेंसियल ईयर में होन्ग कोंग और वियतनाम से भी 381 मिलियन डॉलर की चाइनीस बैटरी भारत में डंप हुई हो.
वैसे भी हम सभी को पता है, दुनिया का कुल 80% लिथियम आयन बैटरी का प्रोडक्शन सिर्फ चीन अकेले में होता है.
इसलिए आप में से कई दर्शको ने इस जरूरत को समय से पहले भांप लिया था, की भारत को ना सिर्फ खाड़ी के कच्चे तेल बल्कि चीन की बैटरी पर से भी अपनी ओवर डेपेंडेन्स को एक साथ ख़तम करना होगा.
क्योकि निर्भरता सिर्फ शोषण को जन्म देती है.
और अब आपकी सोच नजर आ रही है, मोदी सर्कार के नए कदमो में .
जी हाँ, नीति आयोग ने एक योजना तैयार की है, जिसके अंतर्गत भारत में बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए और इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल को बढाने के लिए जल्द ही मोदी सर्कार 4.6 बिलियन डॉलर की भारी भरकम सब्सिडी स्कीम लेकर आने वाली है.
इस योजना के अंतर्गत ना सिर्फ बैटरी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए बल्कि बाद में Electric Battery प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव भी दिए जाने का प्रस्ताव है.
साथ ही बैटरी के इम्पोर्ट को कम करने के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी को 5 से 15 परसेंट करने की भी योजना है.
बेहद सरल सब्दो में यह स्कीम फार्मा API और केमिकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाली सब्सिडी स्कीम से मिलती जुलती हैं.
निति आयोग के अनुमान के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से वर्ष 2030 तक भारत हर साल 40 बिलियन डॉलर के क्रूड आयल इम्पोर्ट से बच सकता है.
इसलिए यदि हमने बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा नहीं दिया, तो क्या पता इन बचे 40 बिलियन डॉलर की मलाई भारत को बैटरी एक्सपोर्ट करके चालू चीन उड़ा ले जाये.
पॉइंट सिंपल हैं, मोदी सर्कार एक तीर से दो शिकार करने की फ़िराक में हैं. ना सिर्फ खाड़ी के तेल बल्कि चीन की बैटरी पर भी ओवर डिपेंडेंस को एक साथ एक ही झटके में समाप्त करने की कोसिस जारी है.
अब सवाल उठता है, की आखिर इस स्कीम का लाभ हम सभी को कैसे मिल सकता है, तो इसका जवाब है, टाटा मोटर्स और महिंद्रा & महिंद्रा जैसी कंपनियों में बढ़ती इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के दृस्टिकोंड से निवेश के मौके तलाशे जा सकते हैं.
साथ ही साथ Exide और अमरा राजा जैसे कन्वेंशनल बैटरी मनुफेक्टर्स भी इस सब्सिडी स्कीम का लाभ उठाने की कोसिस कर सकते हैं.
कोई आश्चर्य की बात नहीं है, आज जैसे ही इस प्रपोजल के बारे में खबर आयी, तो ऑटो और बैटरी कंपनियों के शेयर्स में अच्छा उछाल भी देखा गया है.
इसलिए यदि आप ऑटो और बैटरी कंपनियों में निवेश करने के इच्छुक है, तो यह नई योजना आपके लिए ना सिर्फ रोचक होगी, बल्कि यह आपको मालामाल भी कर सकती है.
हम सभी ने देखा है, स्मार्ट फ़ोन मैन्युफैक्चरिंग की स्कीम के आने के बाद कैसे डिक्सॉन टेक्नोलॉजी और अम्बर एंटरप्राइज जैसी कंपनियों के जमीं पर रेंगने वाले शेयर कुछ ही महीनो में राकेट हो गए. चूँकि इन इंडियन इलेक्ट्रॉनिक कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के शेयर अभी सांतवे आसमान पर चढ़े हुई हैं, इसलिए हमें इनसे दूर ही रहना चाहिए.
लेकिन नए सेक्टर्स जिनमे मोदी सर्कार सब्सिडी स्कीम लेकर आने वाली हैं, उनमे वेल्थ क्रिएशन के सुनहरे अवसर मिल सकते हैं.
हमारा कहना सिंपल हैं, जब मोदी सर्कार इतने पॉजिटिव काम कर रही है, तो हमने उनसे direct अथवा indirect लाभ उठाने की चेष्ठा करनी चाहिए.
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