Good news - France is READY to Make Rafale Fighter Jet Engine in India
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References -
https://www.hindustantimes.com/india-news/indian-air-force-to-get-a-big-rafale-boost-16-fighters-to-land-by-april/story-Ezh1Pt1Co5frHnWI89LK7M.html
https://www.livemint.com/news/india/dassault-aviation-failed-to-offer-cutting-edge-technology-to-drdo-cag-11600873999257.html
https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/ready-to-partner-india-transfer-technology-of-jet-engine-safran/articleshow/73950370.cms
https://www.financialexpress.com/defence/nirmala-sitharaman-press-conference-defence-make-in-india-imports-list-fdi-in-defence-procurement-manufacturing-2/1961173/
आज के इस वीडियो को स्पांसर किया है, प्रदीप (Pradip Mishra) जी ने, हमें सपोर्ट करने के लिए आपको धन्यवाद.
आप को सायद याद हो, इस साल सितम्बर महीने में CAG की रिपोर्ट आयी थी, जिसमे स्पस्ट तौर पर कहा गया था, फ्रांस की कंपनियों ने 59 हज़ार करोड़ की रफाल डील के अंतर्गत अपने वादे के अनुसार आज तक कावेरी इंजन के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर नहीं की है.
लम्बे समय से हम सभी यह बात सुनते आ रहे हैं, की फ्रेंच टेक्नोलॉजी की मदद से घरेलु कावेरी इंजन प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित किया जायेगा, लेकिन फाइटर जेट इंजन की प्राइसिंग रिलेटेड इश्यूज के कारण यह प्रोजेक्ट रफ़्तार नहीं पकड़ पाया है.
हालाँकि हम सभी यह चाहते हैं, की फ्रांस की कंपनियां भारत को अपनी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर के घरेलु फाइटर जेट इंजन की जरूरत को पूरा कर दे, लेकिन CAG की रिपोर्ट साफ़ कर देती है, की हमारे सपने साकार होते नहीं हुए हैं.
यहाँ पर साफ़ करना जरुरी है, भारत के मित्र फ्रांस को इस स्तिथि के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. क्योकि फ्रांस को यदि टांग अड़ानी होती, तो वह रफाल विमान की डिलीवरी में देरी के बहाने ढूंढ सकता था.
हम यहाँ पर सिर्फ यह पॉइंट हाईलाइट करना चाहते हैं, की ट्रांसफर ऑफ़ टेक्नोलॉजी का जो यह सिस्टम था, वह सिस्टम ही फौल्टी था.
जरा आप स्वयं फ्रांस की कंपनी के हिसाब से सोचिये, भला क्यों भारत से कुछ विमानों के आर्डर के चक्कर में वह अपनी टेक्नोलॉजी और ट्रेड सीक्रेट किसी ऐसी private कंपनी या DRDO जैसे सरकारी संसथान के साथ साझा करेंगी, जिस पर उन्हें मेजोरिटी कण्ट्रोल प्राप्त नहीं है.
सायद यही कारण है, नेक इरादों के साथ भारत का पक्का मित्र फ्रांस भी कावेरी इंजन के मामले में हमारी मदद करने के बादे तो करता रहा, लेकिन उन पर अमल आज तक नहीं हो पाया है.
यहाँ पर हम बेसिक फंडामेंटल सवाल पूछना चाहते हैं, हमारे लिए इम्पोर्टेन्ट क्या होना चाहिए, भारत में फाइटर जेट इंजन का उत्पादन चालू होना, अथवा DRDO के साथ मिलकर कावेरी इंजन का बनना.
जाहिर है, आप में से ज्यादातर लोग यही कहेंगे, की high quality and performance के साथ फाइटर जेट इंजन भारत में किफायती कीमत पर बनना चाहिए, उसे कौन सी कंपनी, किस कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर के अंतर्गत बनाती है, यह बात कुछ ज्यादा इम्पोर्टेन्ट नहीं है.
इस बैकग्राउंड में हम सभी को पता है, हाल ही में भारत सर्कार ने डिफेंस सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 74% FDI को अनुमति दे दी है.
आपको सायद जानकारी हो, भारतीय विदेश सचिव फ्रांस की यात्रा पर निकल गए हैं, इस जर्नी के दौरान हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस भारत को एक बेहतरीन प्रस्ताव देने वाला है.
इस प्रपोजल के अनुसार रफाल लड़ाकू विमान में लगा M88 फाइटर जेट इंजन भारत में ही बनाने के लिए फ्रेंच कंपनी सफ्रान तैयार हो गयी है.
और यदि फाइटर जेट इंजन का कॉन्ट्रैक्ट उन को मिलता है, तो कॉन्ट्रैक्ट फाइनल हो जाने के बाद चार सालों के भीतर इस फाइटर जेट इंजन का पूरी तरह 100% उत्पादन भारत में चालू हो जायेगा.
जैसा की आपको समझ आ गया होगा, इस प्रस्ताव में ट्रांसफर ऑफ़ टेक्नोलॉजी, जॉइंट वेंचर, मिलकर काम करने जैसी कोई गोल गोल बात नहीं है.
सफ्रान के द्वारा बनाये जाने वाला यह प्रस्तावित फाइटर जेट इंजन ना केवल Light Combat Aircraft Mark two बल्कि DRDO के द्वारा डेवेलप किये जाने वाले twin-engine advanced multi-role combat एयरक्राफ्ट में भी लगाया जा सकता है.
सरल सब्दो में फ्रांस कावेरी इंजन के प्रोजेक्ट से बहार निकलने का रास्ता ढूंढ रहा है, उसका कहना है, की DRDO अपने हिसाब से लड़ाकू विमान का डिज़ाइन और डेवलपमेंट जारी रख सकती है. और तब तक इंडियन एयर फाॅर्स की जरूरत को सफ्रान का फाइटर जेट इंजन पूरा कर सकता है.
कॉमन सेंस के हिसाब से यदि फ्रांस की कंपनी भारत में फाइटर जेट इंजन का अपने दम पर majority 74% control के साथ उत्पादन करना चाहती है, तो हमें इस प्रस्ताव पर positively विचार करना चाहिए.
पॉइंट सिंपल है, फाइटर जेट इंजन भारत में बनना चाहिए, उसे DRDO बनाए HAL बनाए या सफ्रान, यह बात कोई ज्यादा importance नहीं रखती है.
1986 से कावेरी फाइटर जेट इंजन का इंतजार चल रहा है, भविस्य में इस एक प्रोडक्ट के लिए और इंतजार करने के बजाय अच्छा होगा, यदि फ्रांस और अमेरिका की कंपनियां भारत में फुल कण्ट्रोल के साथ फाइटर जेट का उत्पादन करने के लिए सामने आती है.
हमारे कहने का मतलब सिर्फ यह, की मित्र फ्रांस ने भारत को यह आकर्सक ऑफर दिया है, लेकिन हमें उपलब्ध सभी विकल्पों पर विचार करके अपने लिए सर्वोत्तम निर्णय लेना चाहिए.
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