Super News - Cochin Shipyard to make Most Advanced Warship for Indian Navy

 


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References -   

https://www.business-standard.com/article/news-cm/cochin-shipyard-italy-s-fincantieri-sign-mou-120102800196_1.html

https://www.outlookindia.com/newsscroll/cochin-shipyard-inks-pact-with-italys-fincantieri-for-cooperation-in-shipbuilding/1965307

http://www.uniindia.com/cochin-shipyard-signs-mou-with-fincantieri/business-economy/news/2215182.html

https://www.navalnews.com/naval-news/2020/10/fincantieri-and-cochin-shipyard-sign-cooperation-agreement/

https://www.financialexpress.com/defence/make-in-india-indian-and-turkish-shipyards-close-contract-for-building-fss-ships-for-the-indian-navy/2037522/


सायद आपको पता हो, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड भारत की सबसे बड़ी शिपबिल्डर कंपनी है. और इटालियन कंपनी फिनकांटिएरी को दुनिया के एक सबसे बड़े और आधुनिक शिपबिल्डिंग ग्रुप के रूप में गिना जाता है.




फिनकांटिएरी ने इंडियन नेवी के लिए दीपक और शक्ति नामके फ्लीट टैंकर सप्लाई किये हैं.  साथ ही साथ भारतीय नौ सेना के लिए बन रहे एयर क्राफ्ट कर्रिएर INS विक्रांत के इंजन की डिज़ाइन और इंटीग्रेशन में फिनकांटिएरी ने कोचीन शिपयार्ड के साथ मिलकर काम किया है.




कहने का मतलब यह है, की भारतीय नौसेना की जरूरत को ध्यान में रखते हुए यह फिनकांटिएरी ग्रुप काफी समय से काम कर रहा है.






अब जरा कल्पना कीजिये, यदि फिनकांटिएरी ग्रुप और कोचीन शिपयार्ड के बीच कहीं विवाद पैदा हो जाता, तो हमारी लेफ्ट लिबरल मीडिया ने अभी तक आसमान सर पर उठा लेना था.




लेकिन 27 अक्टूबर को फिनकांटिएरी ग्रुप ने कोचीन शिपयार्ड के साथ मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर किये, ताकि ये दोनों कम्पनिया मिलकर इंडियन नेवी के रिन्यूअल और एक्सपेंशन प्रोग्राम की जरूरत को पूरा कर सके.   जाहिर है, इस महत्वपूर्ण पॉजिटिव डेवलपमेंट की चर्चा करने का किसी के पास समय नहीं है.




इस प्रकार इन दोनों के बीच एक सिस्टम का विकास किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत नए जहाज का निर्माड़, जहाज में लगने वाले सिस्टम्स का भारत में प्रोडक्शन, ऑटोमेशन, शिप रिपेयर और इंडियन नेवी के ह्यूमन रिसोर्स को ट्रेनिंग भी दी जाएगी.




सरल सब्दो में कहें, तो आत्मा निर्भर भारत और मेक इन इंडिया की थीम के अंतर्गत ये दोनों कंपनियां अब मिलकर एडवांस्ड शिपबिल्डिंग  के लिए तैयार हो गयी हैं.




साथ  ही साथ ये दोनों मिलकर ऐसे सोलूशन्स का विकास करेंगे, जो न केवल इंडियन नेवी बल्कि दुनिया की जरूरत को पूरा कर सके. जैसा की आप को समझ आ गया होगा, यह एग्रीमेंट दोनों कंपनियों को बराबर लाभ पहुंचाता है.




लेकिन यहाँ पर कहना जरूरी है, की यह एग्रीमेंट हाई लेवल पर किया गया है, भविस्य में इंडियन नेवी की डिमांड को ध्यान में रखते हुए बनाये जाने वाले प्रोडक्ट के हिसाब से सप्लाई के लिए डिटेल्ड एग्रीमेंट किये जायेंगे.




स्वाभाविक बात है, अब जबकि मौटे तौर पर सहमति बन गयी है, तो भविस्य में  विशेष प्रोडक्ट के लिए नए एग्रीमेंट को finalize करने में इन दोनों कंपनियों को ज्यादा दिक्कत नहीं होनी चाहिए.




पॉइंट सिंपल हैं, इंडियन नेवी की डिमांड बड़ा मार्किट पेश करती है, जिसे यह दोनों कंपनियां नजर अंदाज़ नहीं कर सकती है.


यहाँ पर याद रखना जरूरी है, की इस साल जुलाई महीने में भारत ने 5 फ्लीट सपोर्ट शिप बनाने का कॉन्ट्रैक्ट टर्किश शिपयार्ड और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड को दिया था.




तब हम सभी ने मिलकर एक सुर में इस निर्णय का विरोध किया था, क्योकि भारत विरोधी टर्की के साथ व्यापर को पचा पाना हम सभी के लिए आसान नहीं था. इसे दुर्भाग्य ही कहा जायेगा, की टर्की भारत को  गालियां देता है, और हम बदले में उसे पैसा दे रहे हैं.




गौर करने वाली बात यह है, की इस प्रोजेक्ट के लिए इटली बेस्ड फिनकांटिएरी ग्रुप ने भी अपनी दावेदारी प्रस्तुत की थी, लेकिन बातचीत और मोलभाव के दौर में फिनकांटिएरी ग्रुप को बहार निकाल दिया गया. 




इसलिए यदि आप हमें इन दो डॉट्स को कनेक्ट करने की इजाजत दे, तो फिनकांटिएरी ग्रुप  की स्ट्रेटेजी हमें समझ आ जाती है, भविस्य में यह ग्रुप कोचीन शिपयार्ड के साथ मिलकर इंडियन नेवी की जरूरतों को पूरा करने की कोसिस कर रहा है.




कॉमन सेंस कहता है, कोचीन शिपयार्ड के साथ मिलकर काम करने से यह सस्ते में शिपबिल्डिंग कर पायेगा, जिससे मेक इन इंडिया के तहत ग्लोबल कम्पटीशन के बाबजूद  कॉन्ट्रैक्ट जीतने की सम्भावना इन दोनों कंपनियों के लिए बढ़ जाएगी.




सरल सब्दो में यह दोनों कम्पनिया एक और एक मिलकर ११ हो रही है. इसलिए जहाँ तक हमें समझ आता है, यह एग्रीमेंट भारत के लिए एक स्वागत योग्य डेवलपमेंट हैं.

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