Well Done Taiwan for starting Mobile COMPONENTs Production in India



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References - 

https://www.livemint.com/technology/gadgets/made-in-india-iphone-chargers-apple-top-cable-supplier-to-start-mass-production-soon-11603546887795.html

https://www.bloomberg.com/news/articles/2020-10-24/apple-cable-supplier-said-to-start-mass-production-in-india-soon

https://www.foxlink.com/web/en/company-profile/

जैसा की हम सभी को पता है, ताइवान की तीन कंपनियों फॉक्सकॉन पेगाट्रॉन और wistron का सिलेक्शन भारत सरकार के द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी के लिए किया गया है.




जबकि इस सब्सिडी स्कीम में इंडियन टैक्स पयेर्स का पैसा ही बांटा जा रहा है.  फिर भी भारत में मोबाइल असेंबली को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के द्वारा उठाये गए इस कदम का हम सभी ने स्वागत भी किया है. क्योकि हम सभी को पता है, लम्बी छलांग लगाने के लिए थोड़ा सा पीछे भी हटना पड़ता है.




यहाँ पर एक  बड़ा सवाल उठता है, की ताइवान की यह तीन कंपनियां, सैमसंग और भारत की अन्य कंपनियां मिलकर मोबाइल फ़ोन असेंबली इन इंडिया तो कर लेगी, लेकिन मोबाइल कॉम्पोनेन्ट का तो फिर भी इम्पोर्ट हमें करना पड़ेगा.




इसलिए मेक इन इंडिया सही मायने में पूरा तभी होगा, जब मोबाइल कॉम्पोनेन्ट की मैन्युफैक्चरिंग भी भारत में चालू होगी.




इसी दिशा में अब भारत एक लम्बी छलांग लगाने जा रहा है. 




जी हाँ दोस्तों, ब्लूमबर्ग के हवाले से छपी रिपोर्ट के मुताबिक, केबल और कनेक्टर का उत्पादन करने वाली ताइवान की कंपनी फोक्सलिंक भारत में अपने नए प्लांट से इस साल के अंत तक मास प्रोडक्शन चालू कर देगी.




फोक्सलिंक कंपनी के चेयरमैन फॉक्सकॉन कंपनी के चेयरमैन के भाई है. फोक्सलिंक जहाँ केबल और कनेक्टर का उत्पादन चीन में किया करती थी, वही फॉक्सकॉन इन कॉम्पोनेन्ट का इस्तेमाल करके मोबाइल की असेंबली किया करती थी.




अब चूँकि एक भाई की कंपनी फॉक्सकॉन ने भारत में असेंबली चालू कर दी है, तो दूसरा भाई कैसे पीछे रहता , वह भी भारत में मोबाइल कॉम्पोनेन्ट मैन्युफैक्चरिंग चालू करने वाले है.




इसे कहते हैं, एक तीर से दो शिकार करना. मोदी सरकार ने सब्सिडी दी मोबाइल असेंबली करने वाली कंपनियों को, लेकिन indirectly मोबाइल कॉम्पोनेन्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भी अब भारत में अपना प्लांट लगाना पड़ रहा है.



लेकिन यहाँ पर हाईलाइट करना जरूरी है, की मोदी सर्कार की सब्सिडी स्कीम के कारण ही यह कंपनियां भारत में नहीं आ रही है, चीन से अपनी प्रोडक्शन capacity भारत में शिफ्ट करने के लिए ताइवान की new south bound पालिसी भी इन कंपनियों को प्रेरित कर रही है.




वैसे भी बिना सरकारी हरी झंडी के कोई कंपनी कहीं एक पैसा तक नहीं लगाती है. क्योकि हर प्राइवेट कंपनी का पहला काम अपने निवेश को बचाना होता है. इसलिए सर्कार के खिलाफ खेलने से हर कंपनी बचती है.



अब मुद्दे की बात यह उठती है, की बड़ी मेहनत से चीन ने जो चमन बसाया  था, अब जबकि वह उजड़ रहा है, तो कपटी चीन भी हाथ पर हाथ धरकर बैठेगा तो नहीं.




ताइवान की कंपनी फोक्सलिंक ने फ्राइडे को स्टेटमेंट जारी किया है, की चेन्नई में लगे उसके प्लांट में काम कर रहे चाइनीस इंजीनियर को ऑटोमेशन इक्विपमेंट की तोड़ फोड़ करते हुए रंगे हाथो पकड़ा गया.




इस उपद्रव की घटना में गहरी चाइनीस साजिश की बू हमारी तरह आपको भी आ रही होगी. इसी बीच फोक्सलिंक ने इस घटना की सुचना लोकल पुलिस और चाइनीस अथॉरिटीज को दे दी हैं.




चीन इस इंजीनियर के खिलाफ कोई कदम उठाएगा, इस बात की सम्भावना तो कम है, लेकिन हमें उम्मीद है, की चेन्नई की पुलिस फोक्सलिंक के प्लांट में इस तोड़ फोड़ की घटना को गंभीरता से लेगी.




पॉइंट सिंपल है, जब हम ताइवान की कंपनियों का भारत में निवेश के लिए स्वागत कर रहे हैं, तब हमने उनके लिए सुरक्षित वातावरण भी सुनिश्चित करना होगा.




आज कल जब हम इन पॉजिटिव डेवलपमेंट को कवर करते हैं, तो हमें नेगेटिव कमेंट मिलते है, भारत को कोसने के लिए तैयार बैठे इन विद्वान लोगों से हमारा छोटा सा सवाल है, 




की जब ताइवान की फॉक्सकॉन और फोक्सलिंक जैसी कंपनियां चीन में अपना प्लांट लगा रही थी, तब 2004 से 2014 के बीच इन कंपनियों को भारत में बुलाने की कौन सी कोसिस की गयी.




हमारी आखों के सामने ताइवान की कंपनियों ने प्लांट लगाकर चीन को ग्लोबल फैक्ट्री बना दिया, और हम बेवक़ूफ़ों की तरह one चाइना की पालिसी की लॉलीपॉप चूसते रह गए.




अब चूँकि ताइवान ने भारत में प्लांट लगाना चालू कर दिया है, हम सभी को अच्छे से समझ आता है, चीन को कोल्हापुरी मिर्ची क्यों लग रही है. सवाल one चाइना की पालिसी का है ही नहीं दोस्तों, पूरा ववाल तो व्यापार और पैसे का है.

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