Smart Strategy of Modi ji - India started Global Export of Sanitizer
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References -
https://www.business-standard.com/article/economy-policy/india-poised-to-export-hand-sanitiser-bottle-dispensers-says-govt-120111901425_1.html
https://knnindia.co.in/news/newsdetails/msme/msme-ministry-takes-initiatives-to-boost-manufacturing-and-export-of-hand-sanitizers
दोस्तों, आज के इस वीडियो के स्पांसर है, आनंद बुदीहल (Anand Budihal) जी.
जैसा की हम सभी अपने आपको कोरोना वायरस से बचने के लिए हैंड sanitizer का इस्तेमाल करते हैं. बॉटल से हाथ में sanitizer को निकालते समय सायद ही कभी हमने सोचा होगा, की आखिर यह प्लास्टिक बोतल आती कहाँ से है.
जी हाँ दोस्तों, आपका अंदाज़ा सही है, sanitizer bottle डिस्पेंसर भारत चीन से इम्पोर्ट करता है. कोरोना वायरस के पहले भारत के पास प्रतिदिन 5 लाख bottle बनाने की छमता थी, लेकिन जैसे ही कोरोना वायरस फैला और लोगों में जागरूकता बड़ी, तो प्रतिदिन 50 लाख sanitizer bottle की जरूरत आन पड़ी.
हम सभी को पता है, की इस साल की शुरुआत में ही सयाने चीन ने इन सब जरूरी सामान की होर्डिंग चालू कर दी थी, और जैसे ही दुनिया भर में sanitizer bottle की जरूरत तेजी से बड़ी, चीन से आने वाली सप्लाई ऊंट के मुँह में जीरा बन गयी.
वैसे देखा जाये, तो चीन भी इनका उत्पादन बड़ा सकता था, लेकिन जहाँ चाह नहीं होती है, वहां राह भी नहीं मिलती है.
देख लीजिये साहब, यहाँ पर हम किसी हाई टेक प्रोडक्ट की बात नहीं कर रहे हैं, हम एक बेसिक प्रोडक्ट की बात कर रहे हैं, जो कहीं पर भी बन सकता है. आप ही बताएं, क्या हमें प्लास्टिक बोतल के लिए अपने दुश्मन नंबर 1 चीन पर डिपेंडेंट होने की जरूरत थी.
निर्भरता सिर्फ शोषण को जन्म देती है, हम चीन पर निर्भर थे, तो कोरोना वायरस ने कर लिया हमारा शोषण.
मौके पर माल कमाने के चक्कर में सभी बैठे रहते हैं, परिणाम यह हुआ, की ब्लैक मार्केटिगं के कारण एक समय तो sanitizer bottle ही 36 रुपये की बिक रही थी, पॉइंट सिंपल है, इस bottle की कमी के कारण हम सभी की जेब में चुना लगना तय हो गया था.
हालत इतनी गंभीर थी, की sanitizer bottle के एक्सपोर्ट पर भारत सर्कार को रोक लगानी पड़ी.
यदि भारत में sanitizer bottle की sufficient मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी होती, तो ना केवल हम घरेलु मांग को पूरा कर लेते, बल्कि ग्लोबल डिमांड को पूरा करने के लिए एक्सपोर्ट भी कर रहे होते. कहने की जरूरत नहीं है, इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाने से ना केवल विदेशी मुद्रा की कमाई हो जाती, बल्कि साथ में रोजगार के अवसर भी पैदा होते.
वह तो भला हो कोरोना का, की मोदी सर्कार ने भांप लिया, की भारत पूरी तरह से चीन के दलदल में धंस चूका है, कोई अचरज नहीं है, तभी आत्मा निर्भर भारत अभियान ने जन्म लिया.
फिर क्या था, भारत सर्कार ने सामने खड़ी इस डिमांड को पूरा करने के लिए एक के बाद एक प्लास्टिक मनुफक्चरर्स के संगठनो से बात की.
लेकिन तभी यह बात पता चली, की अचानक से sanitizer bottle का उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकता है, क्योकि प्लास्टिक को bottle का आकर देने के लिए सात सांचे मोउल्ड्स लगते हैं, जिनको भी भारत इम्पोर्ट करता है.
कोई आश्चर्य की बात नहीं है, यही होता है, जब घर में आग लगने पर कुआ खोदा जाता है.
लेकिन इस चुनौती से निपटने के लिए भारत सर्कार के टूल्स एंड टेक्नोलॉजी सेण्टर ने बीड़ा उठाया, और समय पर सांचे भी तैयार हो गए. और इस काम के लिए 26 करोड़ के नए उपकरण भी ख़रीदे गए.
कहने का तात्पर्य यह है, की मौका पड़ने पर मोदी सर्कार के मंत्रालय सरकारी संस्थानों और प्राइवेट कंपनियों ने मिलाया कंधे से कन्धा और परिणाम हमारे सामने है, किसी को पता भी नहीं चला, और भारत की sanitizer बॉटल की डिमांड भी पूरी हो गयी.
यही नहीं भारत ने इन bottle के एक्सपोर्ट पर से लगी रोक भी हटा ली, मतलब अब भारत ना केवल अपनी बल्कि दुनिया की डिमांड भी पूरा कर सकता है.
ऐसा नहीं है, की सिर्फ खाली bottle के प्रोडक्शन को ही बढ़ाया गया, बल्कि sanitizer का उत्पादन बढ़ाने के लिए लाइसेंस भी थोक में बांटा गया. जिसके कारण bottle में भरने के लिए sanitizer का प्रोडक्शन भी बड़े पैमाने पर हो सका, और आज हम इस मामले में आत्मा निर्भर हो चुके हैं.
अब आप में से कुछ दर्शक कह सकते हैं, की क्या हम इन छोटे मोटे bottle ढक्कन और sanitizer की बातें कर रहे हैं, तो जरा आप ही अंदाज़ा लगाएं, यदि भारत सर्कार ने यह सब कदम एक साथ न उठाये होते तो sanitizer की कीमतें क्या आसमान नहीं छूती??
बात साफ़ है, कोई कोसिस छोटी नहीं होती है, यदि अंतिम लक्स्य बड़ा हो.
अंत में इस वीडियो के स्पांसर आनंद बुदीहल जी को धन्यवाद देते हुए हम यह वीडियो समाप्त करते हैं.
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