Success of Modi Ji : D-Link to make India Global Production Hub



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References -

https://gadgets.ndtv.com/internet/news/dlink-india-production-unit-pli-scheme-2330016

https://www.gizmochina.com/2020/11/24/d-link-looking-at-plans-to-start-production-in-india/

https://www.digitimes.com/news/a20201124PD208.html

https://www.business-standard.com/article/technology/d-link-sees-india-as-global-manufacturing-hub-106020301138_1.html

https://en.wikipedia.org/wiki/D-Link

https://www.livemint.com/companies/news/-china-plus-one-strategy-prompting-global-firms-to-invest-in-india-utpal-oza-nomura-11606275400588.html 


आज के इस वीडियो के स्पांसर है, पियूष कामदार (Piyush Kamdar) जी from बोरीवली ईस्ट मुंबई, हमें सपोर्ट करने के लिए आपको धन्यवाद.




यदि कभी आपने Wi fi राऊटर ख़रीदा हो, तो आपको ताइवान की नेटवर्किंग इक्विपमेंट कंपनी डी लिंक के बारे में पक्के से पता होगा.




साल 2013 की बात है, जब डी लिंक की तरफ से कहा गया था, की वह भारत को अपने लिए एक ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में देखता है.




तब डी लिंक की भारत में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी गोवा में हुआ करती थी, जहाँ पर केबलिंग प्रोडक्ट्स, स्विचेस, मोड़ेम्स एंड IP फ़ोन बनाये जाते थे. इस प्रकार ताइवान चीन और अमेरिका के बाद भारत चौथा देश बन गया, जहाँ पर डी लिंक की मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी स्थापित हो गयी.




लेकिन सात साल गुजर चुके हैं, फिर भी डी लिंक का प्रोडक्शन आज भी सबसे अधिक चीन में होता है, और डी लिंक मेड इन चाइना माल दुनिया भर में बेचा करता है.




अब आप स्वयं देख लीजिये, ताइवान की कंपनियों ने चीन को ग्लोबल फैक्ट्री बना दिया, और भारत one चाइना की पालिसी की लॉलीपॉप चूसता रह गया.




एनीवे हमें गड़े मुर्दे उखाड़कर सूंघने का कोई शौक नहीं है. लेकिन इस बैकग्राउंड में ही कुछ सालों पहले चालू हुआ अमेरिका चीन ट्रेड टेंशन, और डी लिंक जैसी multi नेशनल कंपनियों ने बेमन से ही सही लेकिन ही इस बात पर विचार चालू कर दिया, की क्या उन्हें अपने एक चाइनीस सप्लाई के अनेक सोर्स खड़े करने चाहिए.




लेकिन वह कहते हैं ना, की आदमी को अकल बादाम खाने से नहीं, ठोकर खाने से आती है. लाखो करोड़ों की सैलरी उठाने वाले इन कंपनियों के एक्सपर्ट और अधिकारी अभी सोच विचार ही कर रहे थे, और अचानक से कोरोना वायरस ने सबके होश ठिकाने पर ला दिए.




अभी तक जिन योजनाओ को सिर्फ वाद विवाद ही चल रहा था, अचानक से उन योजनाओ पर अमल करने की जरूरत सबको समझ आ गयी. और इस प्रकार पैदा हुआ एक फैंसी फ्रेज, चाइना प्लस one Strategy




देख लीजिये जनाब, जब किसी को पैसे कमाने से फुर्सत नहीं थी ,तब आप सभी फ्री में जो सलाह दिया करते थे, उसी सलाह को चाइना प्लस one स्ट्रेटेजी के रूप में आज ख़रीदा और बेचा जा रहा है.




चलो कोई बात नहीं, सब कुछ लुटा कर ही होश में आये तो भी अच्छा हुआ.




अब डी लिंक के प्रेजिडेंट का कहना है, की भारत के मार्किट में जिन जिन नेटवर्क devices की विक्री होती है, उन सभी का उत्पादन वह भारत में बढ़ाने की सोच रही है.




और इसके लिए वह भारत में कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग पर खासा बल दे रही है. ताकि भारत ना केवल अपनी बल्कि अमेरिका समेत दुनिया की डिमांड को पूरा कर सके.




पॉइंट वही सिंपल है, डी लिंक अब अपनी सप्लाई चैन को diversify करने जा रही है. ताकि फिर कभी ऐसा ना हो, की एक वायरस पूरी दुनिया की सप्लाई चैन को ब्लॉक कर दे .




लेकिन यहाँ पर ध्यान रखना जरूरी है, अचानक से ताइवान की कंपनी डी लिंक का ह्रदय परिवर्तन नहीं हुआ है, डी लिंक को आकर्षित करने में मोदी सर्कार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का खासा योगदान रहा है.




PLI स्कीम के जन्म लेने के पहले जिन बुद्धिजीवियों ने उसकी मौत की भविस्यवाणी कर दी थी, वह आज डी लिंक के प्रेसिडेंट के स्टेटमेंट को कान खोलकर सुन सकते हैं.




अब आप में से कुछ दर्शक कह सकते हैं, यह चीन से भारत की और चल रही सप्लाई चैन शिफ्टिंग कुछ चुनिंदा एक दो कंपनियों तक ही सिमित है.




तो आपके डाउट को क्लियर किया, Global इन्वेस्टमेंट बैंक नोमुरा के इंडिया हेड ने.




कल ही इनका इंटरव्यू कई अख़बारों में छापा है, यह बात अलग है,की उन्होंने भारत के सर्व विनास की आशंका प्रकट नहीं की, सायद इसलिए उनकी बात का मीडिया में विवाद नहीं बना.




उनके अनुसार मार्च के बाद से ही इंटरनेशनल कम्पनिया चीन जैसे किसी भी एक देश पर अपनी निर्भरता को कम करने के बारे में सोच रही है, और निवेश के लिए भारत एक सुनहरे विकल्प के रूप में उभरा है.




खास तौर पर जापान कोरिया थाईलैंड और यूरोप की कम्पनिया भारत में एग्रो केमिकल पैकेजिंग इलेक्ट्रॉनिक्स और न्यू Age टेक्नोलॉजी जैसी फील्ड में इन्वेस्टमेंट को लेकर रूचि दिखा रही है.




कहने का मतलब है. सप्लाई चैन शिफ्टिंग का यह ट्रेंड कुछ इक्का दुक्का कंपनियों तक सिमित नहीं है.




हालाँकि यह बातें सुनने में हम सभी को बहुत अच्छी लगती है, लेकिन लक्ष्य प्राप्ति के पहले हमने लड्डू नहीं बांटने है. इसलिए इस पूरी मेक इन इंडिया फॉर the वर्ल्ड कम्पैन पर हम सभी गिद्ध की नजर बनाये रखेंगे.




अंत में स्पॉन्सरशिप के लिए बोरीवली ईस्ट मुंबई के पियूष कामदार जी को धन्यवाद देते हुए हम  यह वीडियो समाप्त करते हैं.

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