Good News - Indian Railway Stops Container Import from China


 

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https://swarajyamag.com/news-brief/containing-china-snub-to-hostile-neighbour-as-psus-braithwaite-and-bhel-to-now-manufacture-containers-to-boost-make-in-india

https://www.thehindubusinessline.com/economy/logistics/cargo-container-manufacturing-hub-planned-at-bhavnagar/article33378963.ece

https://www.livemint.com/news/india/container-shortage-threatens-india-s-nascent-export-revival-11607471829432.html

https://theloadstar.com/container-shortages-the-biggest-disrupter-where-are-all-the-empty-boxes/

आज के पाजिटिविटी पार्टनर हैं, कृष्ण सिंह रावत जी (Krishan Singh Rawat). स्पॉन्सरशिप के लिए आपको धन्यवाद.




यदि आप इम्पोर्ट एक्सपोर्ट ट्रांसपोर्ट की फील्ड से ताल्लुक रखते होंगे, अथवा हो सकता है, आपने अखबारों में पड़ा हो, की शिपिंग कंटेनर की कमी के कारण एक्सपोर्ट कर पाने में भारत को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. जाहिर था, मोदी सरकार के सामने एक्सपोर्टर्स ने हाथ खड़े कर दिए .




और 9 दिन पहले ही हमने एक वीडियो में कवर किया था, की  किस प्रकार कोरोना क्राइसिस के चलते दुनिया भर की सप्लाई चैन टूट गयी, परिणामस्वरूप भारत ही क्यों साहब दुनिया भर में कंटेनर्स की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है.




अब चूँकि कंटेनर प्रोडक्शन और उन्हें किराये पर देने के मामले में चीन दुनिया का नंबर one देश है, इसलिए कंटेनर की कीमत और किराया दोनों ही आसमान छु रहे हैं, यहाँ तक की पैमेंट कर देने के बाद भी एक्सपोर्ट के लिए समय पर कंटेनर नहीं मिल पा रहे हैं.




कोई आश्चर्य नहीं, यही होता है, जब आप किसी भी एक सोर्स पर जरूरत से अधिक निर्भर हो जाते है.




एनीवे इस समस्या का समाधान करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ़ शिपिंग ने दिमागी घोड़े दौड़ाने चालू कर दिए हैं, की कैसे भारत को कंटेनर मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाया जा सके, और शुरुआती तौर पर  कंटेनर मैन्युफैक्चरिंग का आर्डर प्राइवेट कंपनी को भी दे दिया गया है.




यह तो हो गयी थी एक्सपोर्ट की बात, लेकिन यह अफ़सोस करने वाली बात है, की स्वराज्य मैगज़ीन की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्या रूप से रेलवे कंटेनर ट्रांसपोर्ट के लिए कंटेनर मुहैया करवाने वाली सरकारी PSU कंपनी कंटेनर कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया कॉनकोर हर साल चीन से दस हज़ार कंटेनर इम्पोर्ट किया करती थी.




देख लीजिये जनाब, हम पर सस्ती चाइनीस दोस्ती का नशा किस हद तक चढ़ा हुआ था, और इस हालत के लिए पिछले 20 सालों की हर सरकार जिम्मेवार है. आप कोई हाई टेक प्रोडक्ट इम्पोर्ट करो, समझ में आ सकता है, लेकिन कंटेनर जैसी चीज़ हम इम्पोर्ट कर रहे हैं चीन से.




वैसे चूँकि हमारे देश में दिए और झालर चीन से इम्पोर्ट हो रहे हैं. इसलिए कंटेनर इम्पोर्ट का सदमा कुछ कम हो जाता है.




इस बुरे बैकग्राउंड में अच्छी खबर यह है, की रेलवे मिनिस्टर ने एक मीटिंग में तय कर दिया है, कीअब कंटेनर का भारत में उत्पादन करने के लिए ही इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जायेगा.




और कोसिस की जाएगी, की कॉनकोर अपने लिए चीन से कंटेनर इम्पोर्ट जीरो कर दे, और local container manufacturing  के लिए आर्डर दिए जायेंगे, PSU कम्पनीज जैसे की BHEL और ब्रैथवेट को.




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टॉपिक पर लौटते हुए, जैसा की हम सभी को समझ में आता है, की कंटेनर कोई राकेट नहीं है, इसलिए इंडियन कंपनियों का कहना है, की वह चीन की कीमत पर ही कॉनकोर को कंटेनर सप्लाई कर सकती है.




और यदि शुरुआत में चीन की तुलना में इंडियन कंटेनर की कीमत ज्यादा पड़े, तो कॉनकोर को प्रेरित किया जा रहा है, की वह इसके लिए भी तैयार रहे, 






और स्वराज्य मैगज़ीन की रिपोर्ट के ही अनुसार कॉनकोर भी BHEL और ब्रैथवेट को आर्डर देने के लिए आधिकारिक रूप से तैयारी कर रही है.




पॉइंट सिंपल है, अब चूँकि घंटी स्वयं रेल मंत्री ने बजायी है, इसलिए कुम्भकरण की नींद सो रहे अधिकारियो की नींद खुल गई है.




लेकिन एक बात तो तय हो गयी है, की हमारे पास कंटेनर बनाने की छमता का नहीं बल्कि इंडियन कंटेनर खरीदने की इच्छाशक्ति का आभाव था.




कोई नहीं देर आये दुरुस्त आये, लेकिन हम यहाँ पर जरूर कहना चाहेंगे, की कॉनकोर की कंटेनर डिमांड बहुत बड़ी है, और दुनिया भर में कंटेनर ढूडने से भी नहीं मिल रहे हैं, इसलिए इस फील्ड में पब्लिक के साथ साथ प्राइवेट कंपनियों को भी बराबर का मौका मिलना चाहिए.




ताकि शिपिंग या रेलवे हो दोनों में ही ट्रांसपोर्ट के लिए उस कंपनी के कंटेनर लिए जाएँ, जो भारत में सबसे कम कीमत में हाई क्वालिटी कंटेनर्स का उत्तपादन कर सके. 




क्योकि 100 बातों की एक बात, प्रतिस्पर्धा ही प्रोत्साहन के रूप में काम करती है. 


साथ में हम सभी अपेक्षा करते हैं, की रेलवे और शिपिंग मिनिस्ट्री भारत को ग्लोबल कंटेनर मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए मिल जुलकर काम करेंगे.



अंत में वीडियो पार्टनर कृष्ण सिंह रावत जी को धन्यवाद देते हुए हम यह वीडियो समाप्त करते हैं.

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