Smart Strategy of Modi ji - Chinese companies leaving China to Make in India
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References -
https://www.timesnownews.com/videos/et-now/news/motorola-in-discussion-with-indian-manufacturer-for-producing-mobile-phones-worth-1bn/76050#:~:text=Motorola%20Mobility%20is%20in%20discussions,familiar%20with%20the%20matter%20said.
https://www.moneycontrol.com/news/business/dixon-technologies-arm-inks-deal-with-motorola-mobility-llc-for-manufacturing-of-smartphones-6277481.html
https://www.livemint.com/market/stock-market-news/dixon-technologies-gains-5-on-deal-with-motorola-11609142016882.html
https://en.wikipedia.org/wiki/Motorola_Mobility
https://www.ndtv.com/business/dixon-technologies-gains-after-arm-gets-chosen-as-mobile-making-partner-under-production-linked-scheme-2306335
https://www.theleaflet.in/pms-make-in-india-programme-faces-roadblock/#
आज के पाजिटिविटी पार्टनर हैं, श्रीनिवासन गोविंद राव जी (Sreenivasan Govinda Rao). स्पॉन्सरशिप के लिए आपको धन्यवाद. हम सभी को जानकारी है, की चाइनीस Xiaomi और अमेरिकन एप्पल ने अपने कॉन्ट्रैक्ट suppliers के माध्यम से भारत में प्रोडक्शन चालू करवा दिया है. और अब इस लिस्ट में शामिल हो गयी है, एक और चाइनीस कंपनी मोटोरोला. आपको जानकारी होगी,की एक समय मोटोरोला एक अमेरिकन ब्रांड हुआ करता था, लेकिन अब यह मोटोरोला मोबिलिटी चाइनीस मल्टीनेशनल लेनोवो का ही एक अंग बन कर रह गयी है. आज ही तो खबर आयी है, की मोटोरोला ने इंडियन कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर डिक्सॉन टेक्नोलॉजी की एक सहयोगी कंपनी पेजेट Electronics के साथ करार किया है, जिसके अंतर्गत अब मोटोरोला के स्मार्ट फ़ोन का उत्पादन नॉएडा Plant में किया जायेगा. इसलिए सवाल उठता है, की जब भारत और चीन के बीच रिश्ते इतने ख़राब हो रखे हैं, तो आखिर क्यों मोटोरोला चीन छोड़कर भारत में उतपादन चालू करवा रही है. तो इसका जवाब यह है, की पिछले अक्टूबर महीने में डिक्सॉन टेक्नोलॉजी की इस सब्सिडियरी को मोबाइल PLI स्कीम के तहत सेलेक्ट किया गया था. और PLI स्कीम के ही मद्देनजर मोटोरोला ने इस साल सितम्बर महीने में लावा और डिक्सॉन टेक्नोलॉजी के साथ १ बिलियन डॉलर यानि की लगभग 7 हज़ार चार सो करोड़ के मोबाइल फ़ोन की लोकल मैन्युफैक्चरिंग के लिए बातचीत चालू की थी. और आज इस मोलभाव का परिणाम सामने आ गया, जिसमे मोटोरोला ने डिक्सॉन टेक्नोलॉजी की PLI सिलेक्टेड सब्सिडियरी का चुनाव कर लिया है. अगर आप शेयर मार्किट के खिलाडी होंगे, तो आपको इस खबर के असर के बारे में भी पता होगा, की आज डिक्सॉन टेक्नोलॉजी का शेयर 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ क्लोज हुआ. इस प्रकार मोटोरोला के स्मार्ट फ़ोन का उत्पादन तो जब चालू होगा तब होगा, लेकिन आज ही डिक्सॉन टेक्नोलॉजी के Shareholders ने तो चांदी काट ली है. वैसे PLI स्कीम क्या जादुई कमाल कर सकती है, यह जानने के लिए आपको केवल डिक्सॉन टेक्नोलॉजी का चार्ट देखना है, महज पिछले आठ महीनो में इस कंपनी का शेयर चार गुना हो गया है. हालाँकि यह बात हम स्वीकार करते हैं, की यह सब संभावित सफलता के शुरुआती संकेत हैं, लेकिन कम से कम यह संकेत साबित कर देते हैं, की चाइनीस कंपनियों का भी चीन से मोह भाग हो रहा है. वैसे भी एप्पल हो या मोटोरोला हो, ये सभी कंपनियां हैं तो प्रॉफिट की ही गुलाम, इसलिए आज इन्हे PLI स्कीम के चलते भारत में लाभ होता हुआ दिख रहा है, तो यह भारत आ गयी है. हाँ यह बात जरूर है, की जिस प्रकार चाइनीस कम्पनीया भी PLI स्कीम का लाभ उठाने के लिए लाइन में लग गयी है , उसे देखकर ऐसा डर लगता है, की हम सभी टैक्स Payer के पैसे का इस्तेमाल करके जो सब्सिडी दी जा रही है, कहीं इस प्रकार उसका लाभ चाइनीस कम्पनिया तो उड़ा के नहीं ले जाएँगी. इसलिए यह फैक्टर तो चिंता का कारण पक्के से है, लेकिन अब जैसे की मोबाइल फ़ोन के इम्पोर्ट पर तगड़ी इम्पोर्ट ड्यूटी लग रही है, इसलिए एप्पल हो मोटोरोला हो अथवा कोई भी अन्य कंपनी हो, उसके लिए भारत में मोबाइल फ़ोन इम्पोर्ट करके बेच पाना मुनाफे का सौदा नहीं रह गया है. इसलिए PLI स्कीम का लाभ उठाकर यह कम्पनिया सिर्फ यह निश्चित कर रही है, की इंडियन मार्किट में वह खिलाड़ी बनी रहे. इसलिए वह अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी चीन से इंडिया में शिफ्ट कर रही है. लेकिन फिर भी हमें आशंका है, की PLI सब्सिडी का किसी भी प्रकार से लाभ चीन तक नहीं पहुंचना चाहिए, और हम अपेक्षा करते हैं, की मोदी सर्कार मेक इन इंडिया में शामिल इन चाइनीस कंपनियों के चाल चलन पर नजर बनाये रखेगी. आज ही हमारे एक दर्शक जयंत साहा जी ने लेफ्ट लिबरल विद्वान का एक लेख हमारे साथ साझा किया था, जिसमे इस निष्कर्ष पर पंहुचा गया था, की मोदी जी का मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट रुकावटों में फंसकर रुक गया है. इस पुरे लेख में उन्होंने हर उस बात का जिक्र तो किया, जो गलत हो रही है, और यह भी उपदेश दिया, की मोदी सर्कार ने क्या क्या करना चाहिए. लेकिन वह इस लेख में PLI स्कीम का जिक्र करना भूल गए. लेफ्ट लिबरल विद्वानों के साथ दिक्कत भी यही है, की उन्होंने आँखों पर मोदी विरोध की काली पट्टी बाँध रखी है,परिणाम स्वरुप उन्हें निराशा के अंधियारे में आशा की कोई किरण दिखाई ही नहीं देती है. भारत का ग्लोबल फैक्ट्री बनना कठिन है, तभी तो इसमें इतना अधिक समय लग रहा है, और अनेका नेक परेशानियां आ रही है. लेकिन बड़ी बात यह है, की इस असंभव कार्य को संभव बनाने की कोसिस बराबर चालू है. और हम सभी जानते हैं, कोसिस करने वालों की हार नहीं होती है. अंत में वीडियो पार्टनर श्रीनिवासन गोविंद राव जी को धन्यवाद देते हुए हम यह वीडियो समाप्त करते हैं.
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