Success of Modi Ji- Indian Electronics Export to witness 600% growth



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References -

https://www.financialexpress.com/industry/global-firms-to-move-from-china-to-india-modis-atmanirbhar-bharat-3-0-package-is-average-survey/2158935/

https://retail.economictimes.indiatimes.com/news/industry/india-to-benefit-from-shifting-of-global-supply-chains-from-china-survey/80007071

https://economictimes.indiatimes.com/industry/cons-products/electronics/electronic-contract-manufacturing-in-india-to-grow-over-6-fold-to-152-bn-by-2025/articleshow/80032751.cms

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 दोस्तों आप सभी को नए साल की शुभ कामनाएं. हम आसा करते हैं, की आगामी साल आप सभी के लिए अपार खुसिया लेकर आये, साथ ही साथ मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट और आत्मा निर्भर भारत अभियान सफलता की नई उचाइयां छूता रहे. 




साल 2020 के समाप्त होने के पहले हम धन्यवाद देना चाहेंगे, पिछले 12 महीनो से हमारे सबसे पुराने गोल्ड मेंबर रहे, सचिन मधुकर धर्माधिकारी (Sachin Madhukar dharmadhikari ) जी को. आपके सहयोग और समर्थन के बल पर ही हम आज तक यूट्यूब पर सर्वाइव कर पाए हैं.




चलिए दोस्तों, अब बात करते हैं, आज के टॉपिक की.




जैसा की हम सभी  ने अनुभव किया है, 100 सालों में एक बार आने वाले उतार चढ़ाव से गुजर कर हम यह वर्ष समाप्त कर रहे हैं. जब भी हम कोरोना क्राइसिस की बात करते हैं, तो हमारे ध्यान में आता है, की अब ग्लोबल सप्लाई चैन अपने आप को re organize करेगी, ताकि यह निश्चित हो सके, की सप्लाई चेन्स का भविस्य किसी भी एक वायरस की दया पर निर्भर नहीं रहे.




यह बात होती है, कॉमन सेंस की, हमारा सभी का आम अनुमान कितना सही जा रहा है, इसका पता लगाने के लिए यह जरूरी है, की भारत के बिजनेसमैन, कम्पनीज एंड इंडस्ट्रीज इस बारे में क्या सोच रहे हैं.




इसी बात को जानने समझने के लिए भारत के सबसे बड़े और सबसे पुराने बिज़नेस आर्गेनाइजेशन फिक्की  ने कराया एक सर्वे, जिसमे देश की 150 कंपनियों ने भाग लिया. 




जिनमे से 69 प्रतिशत कंपनियों का मानना था, की ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां अब चीन से भारत में शिफ्ट होने लगी है, और यह ट्रेंड आगे और जोर पकड़ेगा.




पॉइंट सिंपल है, हम सभी का आम अनुमान और इंडियन कंपनियों का फोरकास्ट मैच कर रहे हैं.




इससे पहले की आप में से कुछ दर्शक कहें, की यह सब की सब कंपनियां मोदी भक्त हैं, तो आपकी जानकारी के लिए हमें बताना होगा, की इसी सर्वे में 50 परसेंट से अधिक लोगों ने आत्मा निर्भर भारत पैकेज को एवरेज माना है.




इस प्रकार साफ़ हो जाता है, की इन कंपनियों ने अपने दिमाग का इस्तेमाल करके सर्वे में भाग लिया है, और मोदी विरोध करने के लिए आप फटा फट इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते हैं, की ये  सब की सब कंपनियां चापलूस हो चुकी हैं.




यह तो हो गयी बात, सप्लाई चैन मूवमेंट की.




अब हम बात करते हैं, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग की, यहाँ पर ही हम सभी को अपेक्षा है, की  इस फील्ड में भारत का भाग्य उदय अब होने वाला है.




तो यहाँ पर इतिहास और वर्तमान का अध्यन करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने भी भविस्य वानी करि है, की अगले पांच सालों में इंडियन इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का आकार छह गुना हो जायेगा.




यह बात हम सभी को पता है, की आज ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर  का किंग चीन हैं. लेकिन कोरोना अटैक, मोदी सर्कार की PLI स्कीम ने अब खेल के नियम पूरी तरह बदल दिए हैं.




कल तक जो ग्लोबल कम्पनिया केवल अपनी सप्लाई चैन कॉस्ट को किसी भी हालत में कम से कम करके प्रॉफिट को बढ़ाने की कोसिस में लगी रहती थी, आज वही कंपनियां प्रयास कर रही है, की भले ही कॉस्ट बढ़ जाये, लेकिन यह निश्चित होना चाहिए, की भविस्य में उनकी सप्लाई चैन कभी चौक ना हो.




इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया का अनुमान है, की आज ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारत की हिस्सेदारी महज तीन प्रतिशत है, जो की साल 2015 तक बढ़कर 14 प्रतिशत हो जाएगी. परिणाम स्वरुप इंडियन इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के एक्सपोर्ट की साइज बढ़कर 152 बिलियन डॉलर हो जाएगी.




यहाँ पर कहना जरूरी है, की PLI स्कीम को मद्दे नजर रखते हुए मोदी सर्कार ने साल 2025 तक 100 बिलियन डॉलर का लक्ष्य सामने रखा है, मतलब साफ़ है, इंडस्ट्री एसोसिएशन मोदी जी से भी ज्यादा आशावादी है.


 


आप सभी ने हमेसा से कहा है, की मोबाइल लैपटॉप टेबलेट एंड सर्वर जैसे प्रोडक्ट में भारत के सामने खुला मैदान पड़ा है. और यही बात निकल कर आ रही है, इंडस्ट्री एंड मिनिस्टर्स की तरफ से भी.




जबकि एक और ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मार्किट की साइज बढ़ रही है, तो दूसरी और दुनिआ चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने की कोसिस भी कर रही है, क्योकि कोरोना ने सबको यह ज्ञान दे दिया है, की निर्भरता सिर्फ शोषण को जन्म देती है.




लेकिन यहाँ पर क्रिस्टल क्लियर करना जरूरी है, की यह राह हमारे लिए बिलकुल भी आसान नहीं होने वाली है, आप ही बताएं, यदि ये काम इतना ही आसान होता, तो फिर इसे पूरा करने के लिए मोदी जी की जरूरत ही क्यों पड़ती.



जबकि सजग होकर हम सभी भविस्य के प्रति उत्साहित एवं आशा वादीहै, परन्तु निराशावादी लोग अंधकारमय भविस्य को लेकर पूरी तरह आस्वस्त है. 


अब कौन सही और कौन गलत है, यह तय करने की शक्ति तो केवल समय के पास है.


अंत में एक बार फिर आप सभी को नव वर्ष की शुभ कामनाएं देते हुए हम यह वीडियो समाप्त करते हैं.

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