India became Top Most Priority for Australian Trade Minister


 

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India could be next big trade market for Australian exporters: Dan Tehan

Prospects for an Australia–India trade deal

India, Australia will gain from expanded trade of lithium resources, says Aus High Commissioner Barry O'Farrell

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References -

https://economictimes.indiatimes.com/news/economy/foreign-trade/india-australia-will-gain-from-expanded-trade-of-lithium-resources-says-aus-high-commissioner-barry-ofarrell/articleshow/80164347.cms

https://www.livemint.com/news/india/india-could-be-next-big-trade-market-for-australian-exporters-dan-tehan-11611831719023.html

https://www.eastasiaforum.org/2021/01/25/prospects-for-an-australia-india-trade-deal/

https://economictimes.indiatimes.com/news/economy/foreign-trade/india-australia-will-gain-from-expanded-trade-of-lithium-resources-says-aus-high-commissioner-barry-ofarrell/articleshow/80164347.cms

https://tradestat.commerce.gov.in/eidb/iecnt.asp


आज के पाजिटिविटी पार्टनर हैं, सुपर सेफ वायर्स, केबल्स एंड एलेट्रिकल इक्विपमेंट बनाने वाली ग्रेट वाइट ग्लोबल कंपनी के प्रेजिडेंट कैलाश डिडवानिया जी (Kailash Didwania). स्पॉन्सरशिप के लिए आपको धन्यवाद.




जैसा की हम सभी को पता है, पिछले साल जैसे ही ऑस्ट्रेलिया ने इस मांग का समर्थन किया, की कोरोना कहाँ कैसे और कब पैदा हुआ, इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए इंटरनेशनल इन्क्वारी होनी चाहिए. लेकिन जिस बात का जिक्र तक ऑस्ट्रेलिया ने नहीं किया, वही बात चीन को बड़ी नागवार गुजरी.




परिणाम स्वरुप दशकों से ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच फल फूल रहे व्यापारिक रिश्तों में अचानक से खटास आ गयी, और फिर क्या था, ऑस्ट्रेलिया का हाथ मरोड़ते हुए चीन ने ऑस्ट्रेलिया से आने वाले बार्ली, टिम्बर, कोल्, कॉटन, वाइन  इत्यादि के इम्पोर्ट की राह में रुकावट खड़ी कर दी.




और चूँकि ऑस्ट्रेलिया अपना एक तिहाई एक्सपोर्ट सिर्फ चीन को करता है, इसलिए चीन के द्वारा छेड़ी गयी ट्रेड वॉर की तगड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है, ऑस्ट्रेलिया को. जो की आज कल चीन के खिलाफ वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन का दरवाजा पीट रहा है, जाहिर है, किसी भी राहत के लिए ऑस्ट्रेलिया को इंतजार करना पड़ रहा है.




इसलिए हम कहते हैं, की निर्भरता सिर्फ शोषण को जन्म देती है, काश ऑस्ट्रेलिया चीन की चासनी भरी बातों में ना फंसा होता, तो आज वह चीन पर इतना ओवर डिपेंडेंट नहीं होता, हम सभी भूले नहीं है, कुछ साल पहले तक चाइनीस नशा ऑस्ट्रेलिया के सर चढ़ कर बोल रहा था, यहाँ तक की भारत के साथ हाथ मिलाने के पहले ऑस्ट्रेलिया दस बार सोचा करता था, की कहीं चीन को बुरा ना लग जाये.




कोई बात नहीं, जो खुद बा खुद नहीं सीखते, उन्हें ढंग से सिखाने का ठेका समय ने ले रखा है.



इस बैकग्राउंड में सायद आपके ध्यान में हो, वर्ष 2011 से 2015 तक भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के लिए हुई थी, 9 चरणों की बातचीत, लेकिन फिर यह बात आगे नहीं बढ़ पायी.




तब ऑस्ट्रेलिया को भारत के साथ ट्रेड डील से कोई ज्यादा लाभ होने की सम्भावना दिखाई नहीं दे रही थी, इसलिए बिना किसी अनोउसमेंट के उस डील को डेड घोसित कर दिया गया.




लेकिन समय का पहिया घूम कर आज फिर वही आ गया है दोस्तों, ऑस्ट्रेलिया के ट्रेड मिनिस्टर को आज भारत में भर भर के अवसर दिखाई देने लगे हैं. जिनका दोहन करने के लिए वह धैर्यपूर्वक प्रॅक्टिवेली काम करने को तैयार हो चुके हैं.




इस प्रकार ऑस्ट्रेलिया के मंत्री ने भारत के साथ ट्रेड डील को अपनी टॉप प्रायोरिटी बना लिया है.




वैसे भी चूँकि Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP)  के चाइना प्रायोजित फर्जीवाड़े को भारत ने पूरी तरह से अलविदा कह दिया है, इसलिए भारत के साथ व्यापार को बढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया के पास द्विपक्षीय ट्रेड डील का ही विकल्प बचा है,




चालू चीन से धोखा खाने के बाद आज ऑस्ट्रेलिया का ह्रदय परिवर्तन हो चूका है, लेकिन हमें यह जमीनी कड़वी सच्चाई पता है, की साल दर साल ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापर में भारत को ब्यापारिक घाटा खाना पड़ता है, इसलिए ऐसी किसी भी ट्रेड डील का हम स्वागत तो नहीं कर सकते, जिससे भारत का गरीबी में आटा गीला हो जाये.




भले ही ऑस्ट्रेलिया के मंत्री साहब इस ट्रेड डील को कितना भी महत्वा देते रहे , सब कुछ निर्भर करता है, की वह टेबल पर कौन सा ऑफर भारत को देते हैं. पॉइंट सिंपल है, फ्री एंड फेयर ट्रेड डील का हम सभी समर्थन करते हैं. डील ऐसी होनी चाहिए, जिससे दोनों देशो के बीच व्यापार की साइज बड़े, ना की अकेला ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत का व्यापारिक घाटा.




सरल सब्दो में खून चूसने वाले ट्रेड एग्रीमेंट से भारत की दूरी ही भली. हम ऑस्ट्रेलिया की दोस्ती का सम्मान करते हैं, लेकिन कॉमन सेन्स कहता है,  दोस्ती अपनी जगह, व्यापार अपनी जगह,




लेकिन कुछ समय पहले जब हमने चर्चा की थी, की ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच ट्रेड टेंशन के चलते उदहारण स्वरुप ऑस्ट्रेलिया की टिम्बर और लिथियम एक्सपोर्ट के लिए भारत एक उम्मीद की किरण बनकर उभरा है. 




तब कई दर्शको ने इस बात का मजाक उड़ाया था,  की हम शेखचिल्ली के हंसीं सपने देखते हैं.




लेकिन दोस्तों, अब तो स्वयं ऑस्ट्रेलिया के डूबते ट्रेड मिनिस्टर ने भारत को तिनके का सहारा मान लिया है. इसलिए भारत के बढ़ते महत्वा को देखकर आप चाहे तो खुस हो सकते हैं, अथवा ऑस्ट्रेलिया के मंत्री जी को मोदी भक्त कहके अपने दिल की भड़ास निकाल सकते हैं.




हमारे लिए तो अच्छी बात यह है, की जिस ट्रेड डील की बात 2015 में ख़तम हो चुकी थी, आज उसे फिर से चालू करवाने की कोसिस में ऑस्ट्रेलिया लगा हुआ है.




अंत में  ग्रेट वाइट कंपनी के प्रेजिडेंट  Sponsor कैलाश डिडवानिया जी को वीडियो स्पॉन्सरशिप के लिए धन्यवाद देते हुए हम यह वीडियो समाप्त करते हैं.

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