Indian Army builds New Military Infrastructure in Arunachal Pradesh

 


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Defence Ministry acquires land in Arunachal Pradesh's border village

Arunachal Students Hold Protests Over Chinese Village In Indian Territory

India, Japan review implementation of projects in northeastern region

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References -

https://www.ndtv.com/india-news/arunachal-pradesh-students-hold-protests-over-chinese-village-in-indian-territory-2359643

https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/defence-min-acquires-land-in-arunachal-border-village/articleshow/80515900.cms

https://www.wionews.com/india-news/india-japan-review-implementation-of-projects-in-northeastern-region-359923


जैसा की हम सभी ने देखा है, कुछ ही दिनों पहले लेफ्ट लिबरल मीडिया ने बात का बतंगड़ बना दिया, जब सेटेलाइट इमेज को साक्ष्य बनाकर यह दर्शाने की कोसिस की गयी, की चीन ने अरुणाचल प्रदेश में गाँव बसा दिया, और मोदी सर्कार घोड़े बेचकर सोती रह गयी.




चूँकि सेटेलाइट इमेज से इतिहास की जानकारी नहीं मिलती है, इसी एक कमजोरी का जमकर लाभ उठाया नकारात्मक मीडिया ने, क्योकि जिस जमीं पर चीन ने इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया था, उस जगह पर चीन ने कबजा तब किया था, जब भारत के प्रधानमंत्री थे पंडित नेहरू, जिनके ब्रांड को आज भी आधुनिक भारत के निर्माता के लेबल के साथ बेचा जाता है.




जबकि अरुणाचल प्रदेश में अभी भी चीन के गांव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं, इसी बैकग्राउंड में सवाल उठता है, की चीन ने अपने कब्जे के इलाके में जो इंफ्रास्ट्रक्चर बना लिया सो बना लिया, लेकिन जो जमीं अभी भी भारतीय अधिकार में है, उसमे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से भारत को किसने रोका.




दोस्तों, इस बात को हमने पहले भी कवर किया है, सीमा वर्ती और खासकर अरुणाचल प्रदेश में आधारभूत संरचना का विकास सिर्फ इसलिए नहीं किया गया, क्योकि तब की सरकारों को यह भय था, की भारत की बनायीं सड़क का इस्तेमाल करके चीन अंदर तक घुश कर हमला कर देगा.




आप ही बताएं, क्या इससे नकारात्मक विचार आपने आज तक सुना है. एनीवे हमें गड़े मुर्दे उखाड़ने का शौक नहीं है, लेकिन जो डिग्रीधारी सांप आज कल बहुत सवाल पूछते हैं, उन्हें इतिहास का आइना दिखाना जरूरी होता है.




अब जायज सवाल यह है, की जो हुआ सो हुआ, लेकिन मोदी सर्कार इस बारे में क्या कर रही है, तो इसका जवाब यह है, की इकनोमिक टाइम्स की खबर के अनुसार हाल ही में  अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल से 30 किलोमीटर अंदर 14 एकड़ की जमीं को डिफेंस मिनिस्ट्री को सौंप दिया गया है.




और पिछले साल अक्टूबर में भी अरुणाचल प्रदेश की 200 एकड़ जमीं डिफेंस मिनिस्ट्री को allocate कर दी गयी.




इस नयी जमीं पर इंडियन आर्मी अपने लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने जा रही है. यह बात और है, की जिस लेफ्ट लिबरल मीडिया को चीन के गाँव के सेटेलाइट इमेज दिखाने की फुर्सत मिल गयी, वह यह कभी नहीं दिखाएगी, की बड़ी तेज रफ़्तार से भारत अरुणाचल प्रदेश में मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवेलोप कर रही है.




यह बात कॉमन सेंस की है, की अरुणाचल प्रदेश में इंडियन आर्मी के मजबूती से खड़े होने से, ना केवल हमें युद्ध में चीन का सामना करने में आसानी होगी, वल्कि ऐसा होने से इस बात की पूरी सम्भावना है, की हम पर युद्ध थोपने की चीन की कभी हिम्मत ही ना हो.




यहाँ पर क्रिस्टल क्लियर करना जरूरी है, की हम यह नहीं कह रहे हैं, की डेवलपमेंट का सारा काम अरुणाचल प्रदेश में पूरा हो चूका है, हम सिर्फ यह कहना चाह रहे हैं, की यदि चीन अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, तो भारत भी कोई हाथ पर हाथ धरकर बैठा हुआ नहीं है.




और ऐसा नहीं है, की भारत केवल अकेला नार्थ ईस्ट में मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत कर रहा है, कल ही की बात है, भारतीय विदेश सचिव और भारत में जापानी राजदूत ने एक्ट ईस्ट फोरम में हिस्स्सा लिया, वर्ष 2017 से कार्यरत इस इंडो जापान फोरम ने पूर्वोत्तर के राज्यों के आधुनिकीकरण में काफी अच्छा काम किया है, और इसके अलग अलग प्रोजेक्ट को हमने समय समय पर कवर भी किया है.




इस मीटिंग में सिविलियन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट जैसे की रोड बांध स्कूल आदि के निर्माड कार्य का जायजा लिया गया. साथ ही साथ उन नए प्रोजेक्ट्स की पहचान भी की गयी, जिनमे भारत और जापान कंधे से कन्धा मिलाकर काम कर सकते हैं.




कहने का तात्पर्य यह है, की जो काम अकेले किया जाना चाहिए, उसे भारत अपने बलबुते पर कर रहा है, और जिस निर्माड कार्य में  जापान और इसराइल जैसे मित्र देशो की मदद ली जा सकती है, उन कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट पर भी काम तेजी से आगे बढ़ रहा है.




इन सभी कदमो की मंजिल सिर्फ एक है, पूर्वोत्तर राज्यों का विकास, इस कार्य में देर जरूर लग सकती है, लेकिन हम जानते हैं, हर अच्छे काम की राह में कई बाधाएं आती है, जिन्हे दूर करने में समय लगता है, इसलिए जब तक कोसिस जारी है, तब तक हम ऐसे प्रयासों की प्रशंसा करने का प्रयत्न करते रहेंगे

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