President Biden Signed New Executive Order Against China



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Biden signs order pushing federal government to buy more American-made products

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References -

https://www.washingtonpost.com/us-policy/2021/01/25/biden-buy-american-rules/

https://www.livemint.com/companies/news/modi-govt-starts-promoting-make-in-india-goods-on-government-procurement-portal-11592891778665.html

https://economictimes.indiatimes.com/news/economy/policy/india-steps-up-scrutiny-on-investment-from-china-and-its-neighbours/articleshow/75219816.cms?from=mdr


आज के पाजिटिविटी पार्टनर हैं, श्रीकांत मराठे जी (Shrikant Marathe). स्पॉन्सरशिप के लिए आपको धन्यवाद.


जैसा की आपको जानकारी होगी, मोदी सर्कार की पूरी शक्ति मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट में लगी हुई है. सेंट्रल गवर्नमेंट के सभी मंत्रालय और बिभाग अपने लिए मेड इन इंडिया व्हीकल्स से लेकर स्टेशनरी तक Government e-मार्केटप्लेस से खरीद रहे हैं. साथ ही चीन जैसा कोई भी देश जो भारत के साथ लैंड बॉर्डर साझा करते हैं, उनसे आने वाले निवेश को सर्कार से पहले अप्रूवल चाहिए होता है.




और यह सब कुछ एक दिन में नहीं हुआ है, पिछले छह सालों से लगातार इस दिशा में काम चल रहा है, पहले कोरोना और बाद में गलवान ने मेड इन इंडिया और आत्मा निर्भर भारत को मोदी सर्कार की मुख्य मुहीम में तब्दील कर दिया.




लेकिन इस दौरान जब एक एक करके यह कदम उठाये जा रहे थे, तो लेफ्ट लिबरल और बड़े बड़े अर्थिशास्त्रियो ने इन कदमो का विरोध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मेड इन इंडिया से भारत डिस्ट्रॉय हो जायेगा, चीन का निवेश रोकने से इंडियन स्टार्ट up   के लिए निवेश का अकाल फ़ैल जायेगा. ऐसे ना जाने कैसे कैसे कुतर्क दिए गए. हालाँकि गुजरते समय ने इन सभी डिग्रीधारि सापों को गलत साबित कर दिया. लेकिन आज देखिये, जिन प्रेजिडेंट बाइडन की जीत का यह लोग भारत में जश्न आज भी मना रहे हैं, उन्होंने कल एक ऐसा कदम उठा लिया, जो की हूबहू मोदी जी के कदमो की नक़ल कर रहा है.




जी हाँ दोस्तों, प्रेसडेंट बाइडन ने मेड इन अमेरिका एग्जीक्यूटिव आर्डर पर कर दिए हैं हस्ताक्षर.




पहले की अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने बनाई थी, buy अमेरिकन पालिसी, जिसके अंतर्गत यदि किसी सरकारी डिपार्टमेंट अथवा एजेंसी को विदेशी माल खरीदना होता था, तो उसे सर्कार ढिलाई दे देती थी, लेकिन असाधारण परिस्थितियों में अपवाद स्वरुप दी जाने वाली ढिलाई बन गयी थी आम बात, परिणाम स्वरुप अमेरिका की सर्कार दवा दवा के खुलेआम विदेशो से माल ख़रीदा करती थी. लेकिन अब यदि अमेरिका की किसी एजेंसी को इम्पोर्टेड माल खरीदना होगा, तो उसे हर बार अलग से वाइट हाउस में जाकर अपनी मजबूरी को एक्सप्लेन करना होगा.




और यदि इन government agencies को विशेष ढिलाई मिल जाती है, तो इस वेवर को इसी काम के लिए बनायीं जा रही special वेबसाइट पर पोस्ट किया जाएगा, ताकि वहां पर कोई भी कंपनी जो उसी माल को अमेरिका में ही बना सकती हो, वह इस वेवर के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सके.




पॉइंट सिंपल है, बाइडन  एडमिनिस्ट्रेशन Buy अमेरिकन गुड्स पालिसी को और भी कड़ा कर रहा हैं,  साथ ही साथ सर्कार के सभी अंग मिलकर काम करें, इसके लिए वाइट हाउस में एक विशेष पद डायरेक्टर मेड इन अमेरिका क्रिएट किया जा रहा है.




इस एग्जीक्यूटिव आर्डर के इम्पैक्ट को समझने के लिए यह जानना काफी होगा, की अमेरिकी सर्कार के सभी अंग मिलकर सालाना 600 बिलियन डॉलर की प्रोडक्ट एंड सर्विसेज खरीदते है.  इस प्रकार आप देख सकते हैं, की एक ही झटके में प्रेजिडेंट बाइडन  ने 600 बिलियन डॉलर का अवसर made in America बिज़नेस के लिए खोल दिया है.




जाहिर है,अब जबकि मोदी जी की राह पर प्रेजिडेंट बाइडन  निकल चुके हैं, तो भारत में बैठे बाइडन भक्तो को सांप सूंघ गया है. वह ना तो इसका विरोध कर पा रहे हैं, और ना ही स्वागत.




हाँ, आप में से कुछ लोगों का यह डर जायज है, की इस Buy मेड इन अमेरिका आर्डर का दुष्परिणाम भारत को भी भुगतना पड़ सकता है, तो इसका जवाब यह है, की इस आर्डर से ज्यादा इम्पैक्ट हो रहे हैं, चीन एवं वह देश जिनके अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हैं. इसलिए भारत को होने वाले नुक्सान की तुलना में चीन को कई गुना अधिक हानि उठानी पड़ सकती है.




और वैसे भी ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के दौरान भारत अमेरिका ट्रेड डील होते होते रह गयी, अब चूँकि नया प्रशाशन वाइट हाउस में बैठा हुआ है, देखना होगा, की भारत और अमेरिका की ट्रेड डील किस दिशा में कब तक आगे बढ़ती है. कहने की जरूरत नहीं है, हमें अमेरिका के साथ फ्री एंड फेयर डील चाहिए, जिसमे दोनों देशो का भला हो.




कल के buy मेड इन अमेरिका एग्जीक्यूटिव आर्डर का निशाना उन देशो पर हैं, जो दिन रात अमेरिका का खून चूस रहे थे. कोई भी देश हो जनाब, बिना मैन्युफैक्चरिंग देश की कल्पना नहीं की जा सकती है, आप ही बताएं, क्या ऐसा देश संभव है, जहाँ सभी नागरिक केवल उपभोक्ता हों, और उत्पादक कोई भी नहीं.




अमेरिका हो या भारत हो, ग्लोबलाइजेशन के नाम पर नौकरियों का एक्सपोर्ट बंद होना चाहिए, पिछले 40 साल गवाह हैं, इस वैश्वीकरण के बरदान ने ही लुटे पिटे गरीब देश चीन को आज दुनिया के लिए भस्मासुर बना दिया है.


अंत में इस वीडियो के Sponsor श्रीकांत मराठे जी को धन्यवाद देते हुए हम यह वीडियो समाप्त करते हैं.

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